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नीतीश के मंत्री और अधिकारियों के बीच विवाद हो, तो खामियाजा मंत्री को ही भुगतना पड़ता - चंद्रशेखर और केके पाठक विवाद

Bureaucracy in Bihar बिहार में नीतीश कुमार करीब 18 साल से भी अधिक समय से सरकार चला रहे हैं. उन पर लंबे समय से यह आरोप लगता रहा है कि वे अधिकारियों पर ज्यादा भरोसा करते हैं. एनडीए गठबंधन के साथ थे तब भी उनपर मंत्रियों या फिर विधायकों की बात नहीं सुनने का आरोप लगता रहा है. नीतीश कुमार अपने अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं करते. ताजा मामला पूर्व शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर का है. पढ़ें, विस्तार से.

नीतीश कुमार
नीतीश कुमार
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 22, 2024, 8:39 PM IST

Updated : Jan 22, 2024, 10:08 PM IST

नीतीश कुमार को अधिकारी पर भरोसा.

पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर यह यह आरोप हमेशा से लगता रहा है कि अधिकारियों के भरोसे ही सरकार चला रहे हैं. मंत्रियों पर भरोसा नहीं है. इसलिए जब भी मंत्री और अधिकारी के बीच विवाद होता है तो, खामियाजा मंत्री को ही भुगतना पड़ता है. ताजा मामला पूर्व शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर का है. चंद्रशेखर और शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक के बीच का विवाद किसी से छिपा नहीं है. कहा जाता है कि विवाद के कारण ही शिक्षा मंत्री का विभाग बदला गया है. बता दें कि चंद्रशेखर अब गन्ना विकास विभाग के मंत्री बनाये गए हैं.

पहले भी मंत्रियों के बदले गये हैं विभागः चंद्रशेखर पहले मंत्री नहीं हैं. इससे पहले महागठबंधन की सरकार में ही सुधाकर सिंह को इस्तीफा देना पड़ा था. कई मंत्री के विभाग पहले भी अधिकारियों के कारण बदले जा चुके हैं. राजनीति के जानकार आरजेडी कोटे के मंत्रियों के विभाग बदले जाने को लेकर नीतीश कुमार का प्रेशर पॉलिटिक्स कह रहे हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 2005 से बिहार की सत्ता के केंद्र बिंदु में हैं. कुछ महीना को छोड़ दें तो लगातार मुख्यमंत्री बने हुए हैं. गठबंधन बीजेपी के साथ हो या फिर राजद के साथ, हुकूमत अधिकारियों के भरोसे ही चलाते रहे हैं.

जदयू कोटे के मंत्री भी हुए थे नाराजः यह आरोप सहयोगी दलों की तरफ से भी लगाया जाता रहा है और पार्टी के अंदर भी इसको लेकर कई बार आवाज उठी है. जदयू कोटे के मंत्री मदन सहनी ने अपने विभाग के अधिकारी के रवैया पर नाराजगी जताते हुए इस्तीफा देने तक की बात कही थी. उससे पहले वर्तमान में विधानसभा के उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी के विभाग को भी अधिकारी से विवाद के बाद ही बदल दिया गया था. जब एनडीए की सरकार थी तो उस समय बीजेपी के मंत्रियों की तरफ से भी लगातार यह आरोप लगाया जाता रहा है कि उनकी जानकारी के बिना ही विभाग में फैसले लिए जा रहे हैं.

"मंत्रियों को लेकर फैसला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के क्षेत्राधिकार में आता है. इस पर कोई प्रेशर पॉलिटिक्स नहीं है. मुख्यमंत्री राजहित में इस तरह का फैसला लेते हैं."- हेमराज राम, जदयू प्रवक्ता

नीतीश पर अधिकारी का पक्ष लेने का आरोपः नीतीश कुमार जब भी अधिकारी और मंत्री के बीच विवाद हुआ, हमेशा अधिकारी का ही पक्ष लेते रहे हैं. महागठबंधन की सरकार में राजद कोटे के कृषि मंत्री रहे सुधाकर सिंह को ही लें. उनका विवाद प्रधान सचिव से था, लेकिन नीतीश कुमार ने प्रधान सचिव का पक्ष लिया. अंत में सुधाकर सिंह को मंत्री पद से इस्तीफा तक देना पड़ा. अब ताजा मामला चंद्रशेखर को लेकर है. पूर्व शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर और शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक के बीच विवाद लंबे समय से चल रहा था. आप्त सचिव को लेकर हुए विवाद में सरकार ने शिक्षा मंत्री के खिलाफ ही फैसला लिया था. नाराज होकर चंद्रशेखर ने विभाग आना छोड़ दिया. और अंततः चंद्रशेखर को शिक्षा विभाग छोड़ना पड़ा. चंद्रशेखर को अब गन्ना विकास विभाग का मंत्री बनाया गया है, जो शिक्षा विभाग के मुकाबले बहुत छोटा विभाग है.

"मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लोकतांत्रिक व्यवस्था में विश्वास नहीं है, इसलिए मंत्रियों की जगह अधिकारियों पर ज्यादा भरोसा करते हैं. जनप्रतिनिधियों से लेकर मंत्री तक को अधिकारियों से बेइज्जत करवाते हैं."- सुहेली मेहता, बीजेपी नेत्री

ब्यूरोक्रेसी को क्यों देते हैं तरजीह: नीतीश कुमार को लेकर इन दिनों कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं कि फिर से पाला बदलकर बीजेपी के साथ जा सकते हैं. इस बीच शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर को उनके विभाग से हटाया गया है. शिक्षा मंत्री को ठीक रामलाल के प्राण प्रतिष्ठा से एक दिन पहले हटाया गया. इसको लेकर भी चर्चा हो रही है और इसे नीतीश कुमार kr तरफ से मैसेज देने की कोशिश की जा रही है. क्योंकि चंद्रशेखर लगातार रामचरितमानस और राम को लेकर विवादास्पद बयान दे रहे थे. राजनीति के जानकारों की मानें तो नीतीश कुमार अधिकारियों पर भरोसा करते हैं. महागठबंधन की सरकार में इस बार भी मंत्री पर अधिकारी भारी पड़ रहे हैं. वहीं भाजपा प्रवक्ता रामसागर सिंह नीतीश कुमार पर ब्यूरोक्रेसी के माध्यम से फंड उगाही का आरोप लगा रहे हैं. उनका कहना है कि इसी वजह से ब्यूरोक्रेसी को तरजीह देते हैं.

इसे भी पढ़ेंः बिहार में कार्यपालिका Vs विधायिकाः नीतीश को अधिकारियों पर भरोसा, नहीं सुनते मंत्रियों की शिकायत

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नीतीश कुमार को अधिकारी पर भरोसा.

पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर यह यह आरोप हमेशा से लगता रहा है कि अधिकारियों के भरोसे ही सरकार चला रहे हैं. मंत्रियों पर भरोसा नहीं है. इसलिए जब भी मंत्री और अधिकारी के बीच विवाद होता है तो, खामियाजा मंत्री को ही भुगतना पड़ता है. ताजा मामला पूर्व शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर का है. चंद्रशेखर और शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक के बीच का विवाद किसी से छिपा नहीं है. कहा जाता है कि विवाद के कारण ही शिक्षा मंत्री का विभाग बदला गया है. बता दें कि चंद्रशेखर अब गन्ना विकास विभाग के मंत्री बनाये गए हैं.

पहले भी मंत्रियों के बदले गये हैं विभागः चंद्रशेखर पहले मंत्री नहीं हैं. इससे पहले महागठबंधन की सरकार में ही सुधाकर सिंह को इस्तीफा देना पड़ा था. कई मंत्री के विभाग पहले भी अधिकारियों के कारण बदले जा चुके हैं. राजनीति के जानकार आरजेडी कोटे के मंत्रियों के विभाग बदले जाने को लेकर नीतीश कुमार का प्रेशर पॉलिटिक्स कह रहे हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 2005 से बिहार की सत्ता के केंद्र बिंदु में हैं. कुछ महीना को छोड़ दें तो लगातार मुख्यमंत्री बने हुए हैं. गठबंधन बीजेपी के साथ हो या फिर राजद के साथ, हुकूमत अधिकारियों के भरोसे ही चलाते रहे हैं.

जदयू कोटे के मंत्री भी हुए थे नाराजः यह आरोप सहयोगी दलों की तरफ से भी लगाया जाता रहा है और पार्टी के अंदर भी इसको लेकर कई बार आवाज उठी है. जदयू कोटे के मंत्री मदन सहनी ने अपने विभाग के अधिकारी के रवैया पर नाराजगी जताते हुए इस्तीफा देने तक की बात कही थी. उससे पहले वर्तमान में विधानसभा के उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी के विभाग को भी अधिकारी से विवाद के बाद ही बदल दिया गया था. जब एनडीए की सरकार थी तो उस समय बीजेपी के मंत्रियों की तरफ से भी लगातार यह आरोप लगाया जाता रहा है कि उनकी जानकारी के बिना ही विभाग में फैसले लिए जा रहे हैं.

"मंत्रियों को लेकर फैसला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के क्षेत्राधिकार में आता है. इस पर कोई प्रेशर पॉलिटिक्स नहीं है. मुख्यमंत्री राजहित में इस तरह का फैसला लेते हैं."- हेमराज राम, जदयू प्रवक्ता

नीतीश पर अधिकारी का पक्ष लेने का आरोपः नीतीश कुमार जब भी अधिकारी और मंत्री के बीच विवाद हुआ, हमेशा अधिकारी का ही पक्ष लेते रहे हैं. महागठबंधन की सरकार में राजद कोटे के कृषि मंत्री रहे सुधाकर सिंह को ही लें. उनका विवाद प्रधान सचिव से था, लेकिन नीतीश कुमार ने प्रधान सचिव का पक्ष लिया. अंत में सुधाकर सिंह को मंत्री पद से इस्तीफा तक देना पड़ा. अब ताजा मामला चंद्रशेखर को लेकर है. पूर्व शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर और शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक के बीच विवाद लंबे समय से चल रहा था. आप्त सचिव को लेकर हुए विवाद में सरकार ने शिक्षा मंत्री के खिलाफ ही फैसला लिया था. नाराज होकर चंद्रशेखर ने विभाग आना छोड़ दिया. और अंततः चंद्रशेखर को शिक्षा विभाग छोड़ना पड़ा. चंद्रशेखर को अब गन्ना विकास विभाग का मंत्री बनाया गया है, जो शिक्षा विभाग के मुकाबले बहुत छोटा विभाग है.

"मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लोकतांत्रिक व्यवस्था में विश्वास नहीं है, इसलिए मंत्रियों की जगह अधिकारियों पर ज्यादा भरोसा करते हैं. जनप्रतिनिधियों से लेकर मंत्री तक को अधिकारियों से बेइज्जत करवाते हैं."- सुहेली मेहता, बीजेपी नेत्री

ब्यूरोक्रेसी को क्यों देते हैं तरजीह: नीतीश कुमार को लेकर इन दिनों कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं कि फिर से पाला बदलकर बीजेपी के साथ जा सकते हैं. इस बीच शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर को उनके विभाग से हटाया गया है. शिक्षा मंत्री को ठीक रामलाल के प्राण प्रतिष्ठा से एक दिन पहले हटाया गया. इसको लेकर भी चर्चा हो रही है और इसे नीतीश कुमार kr तरफ से मैसेज देने की कोशिश की जा रही है. क्योंकि चंद्रशेखर लगातार रामचरितमानस और राम को लेकर विवादास्पद बयान दे रहे थे. राजनीति के जानकारों की मानें तो नीतीश कुमार अधिकारियों पर भरोसा करते हैं. महागठबंधन की सरकार में इस बार भी मंत्री पर अधिकारी भारी पड़ रहे हैं. वहीं भाजपा प्रवक्ता रामसागर सिंह नीतीश कुमार पर ब्यूरोक्रेसी के माध्यम से फंड उगाही का आरोप लगा रहे हैं. उनका कहना है कि इसी वजह से ब्यूरोक्रेसी को तरजीह देते हैं.

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Last Updated : Jan 22, 2024, 10:08 PM IST
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