जयपुर : प्रदेश की भजनलाल सरकार में अब विधायक और मंत्री आमने-सामने होने लगे हैं. तबादलों को लेकर यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा और विधायक रामबिलास मीणा एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं. मीणा ने एक दिन पहले मंत्री खर्रा को चोर बताया तो पलटवार में खर्रा ने कहा कि ये एक अनुशासित जन प्रतिनिधि का कृत्य नहीं है. वो रोक के बावजूद तबादला कराना चाहते हैं, जो करने के लिए में सक्षम नहीं हूं. जिसने गलत किया है वो भोगेगा.
तबादला नहीं करने से लगा रहे आरोप : यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने रामबिलास मीणा के आरोपों पर कहा कि "मेरी शिकायत बिल्कुल करनी चाहिए, कहीं कोई दिक्कत नहीं है. मैंने कुछ गलत किया है तो मैं भोगूंगा, अगर उन्होंने कुछ गलत किया है तो वह भोगेंगे, इसमें कुछ गलत नहीं है." खर्रा ने कहा कि कहीं कोई नाराजगी नहीं है. उनकी जो नाराजगी है वह तबादलों को लेकर है. वह कहते हैं कि तबादला करो, लेकिन जब तबादलों पर रोक लगी हुई है, तो तबादला कैसे कर सकते हैं. मैं खुद इतना सक्षम नहीं हूं कि उनकी बात मानकर किसी का तबादला कर दूं. मंत्री सो रहे हैं के सवाल पर खर्रा ने कहा कि "अब यह तो उनकी सोच है मैं क्या करूं, मैं बोल चुका हूं कि अभी तबादला करना मेरे हाथ मे नहीं है, लेकिन अगर उसके बावजूद भी कुछ कहते हैं तो यह उनका अपना सोचना है."
मुख्यमंत्री से शिकायत को लेकर खर्रा ने कहा कि उन्होंने जो शिकायत की वो उनका मामला है. मुझे जहां अपनी बात कहनी हैं, मैंने वहां अपर अपनी बात रख दी. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ को पूरे मामले को लेकर अवगत करा दिया है. किसी तरह की कोई बात छिपी नहीं है, जो कुछ उन्हें करना था, वह कर दिया. मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन जो उन्होंने किया वह उचित नहीं था. एक अनुशासित पार्टी के कार्यकर्ता और जनप्रतिनिधि के नीते उनका यह कृत्य उचित नहीं था.
ये कहा था मीणा ने : बता दें एक दिन पहले लालसोट से बीजेपी विधायक रामबिलास मीणा अपनी ही सरकार के यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा की कार्यशैली से नाराज होते हुए उन्होंने यहां तक कह दिया कि खर्रा सो रहे हैं. सीएम से उनकी शिकायत करेंगे. बताया जाता है कि विधायक की मंत्री खर्रा के चैंबर में बहस भी हो गई थी. रामबिलास मीणा ने कहा था कि सरकार में काम नहीं होने की व्यथा हर विधायक की है. सीएम भजनलाल शर्मा से मिलकर इसकी शिकायत करूंगा. उन्होंने कहा था कि लग ही नहीं रहा कि प्रदेश में सरकार बदली है. विधानसभा की नगरपालिका में पर्याप्त स्टाफ नहीं हैं. मंत्री सुनवाई नहीं कर रहे हैं. उनके चक्कर काटने पड़ रहे हैं.