रांचीः लोकसभा चुनाव 2024 में उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिलने की वजहों को इन दिनों बीजेपी तलाशने में जुटी है. केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश पर देशभर के सभी लोकसभा क्षेत्र में पार्टी द्वारा गठित बड़े नेताओं के द्वारा इसकी पड़ताल की जा रही है.
इन बैठकों में जिस तरह से कार्यकर्ताओं की नाराजगी सामने आ रही है उससे पार्टी चिंतित है. झारखंड बीजेपी भी इससे अछूता नहीं है. लोकसभा चुनाव के वक्त पूर्व केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा के अलावा धनबाद विधायक राज सिन्हा और कई मंडल अध्यक्ष को प्रदेश कार्यालय द्वारा भेजे गए नोटिस और उसका करारा जवाब से पार्टी के अंदर जारी अंतर्कलह सार्वजनिक हो गई है.
अब पार्टी की समीक्षा बैठक के दौरान जिस तरह से देवघर, दुमका और अन्य स्थानों में पार्टी के नेता-कार्यकर्ताओं ने नाराजगी जताई इससे साफ जाहिर होता है कि पार्टी के अंदर ऑल इज वेल नहीं है. दुमका में तो सार्वजनिक रुप से बैठक के बजाय समीक्षा के लिए गए प्रदेश के दो बड़े नेता राज्यसभा सांसद आदित्य साहू और बाल मुकुंद सहाय को बंद कमरे में बारी-बारी से बुलाकर एक-एक कार्यकर्ताओं से बात करनी पड़ी. इस बीच नाराज कार्यकर्ता चुनाव प्रभारी राज परिवार, सह संयोजक निवास मंडल, संयोजक गौरव कांत, मीडिया प्रभारी पिंटू अग्रवाल को हटाने की मांग कर रहे थे. इसी तरह देवघर में भी सोमवार को समीक्षा के दौरान परिस्थिति उत्पन्न होती देखी गई.
भाजपा के नेता-कार्यकर्ताओं में नाराजगी क्यों?
पार्टी नेता और कार्यकर्ताओं की नाराजगी के पीछे कई वजह बताई जा रही है. जिसमें प्रमुख है, लोकसभा चुनाव के दौरान स्थानीय कार्यकर्ताओं की उपेक्षा, प्रत्याशी बदले जाने से पार्टी को कोई लाभ नहीं मिला, एक वर्ग और जाति विशेष की ओर भाजपा का आकर्षण बढ़ा, स्थानीय मुद्दे के बजाय 400 पार पर ज्यादा फोकस, ट्रायबल और दलित को तरजीह देने के बावजूद सफलता का न मिलना शामिल है.
विधानसभा चुनाव को लेकर चिंतित प्रदेश भाजपा
लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद से भाजपा के अंदर जारी अंदरूनी कलह थमने का नाम नहीं ले रहा है. समीक्षा के बहाने पार्टी भले ही नाराज कार्यकर्ताओं को शांत करने की कोशिश में है मगर अब तक सफलता नहीं मिल रही है. सोमवार 17 जून को बीजेपी प्रदेश कार्यालय में समीक्षा बैठक होनी थी मगर इसे ऐन वक्त पर इसे टाल दिया गया. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी लोहरदगा दौरे पर हैं तो आदित्य साहू, बाल मुकुंद सहाय जैसे बड़े नेता देवघर में हैं.
इन बैठकों में जिस तरह की नाराजगी देखी जा रही है उससे पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर चिंतित है. पूर्व स्पीकर और वरिष्ठ भाजपा नेता सीपी सिंह भी तल्ख टिप्पणी करते नजर आ रहे हैं. उनका साफ मानना है कि जो हमने पाया है उसकी चर्चा कोई नहीं कर रहा है जबकि खोये हुए के लिए माथा पीटा जा रहा है जबकि सच्चाई यह है कि एक वर्ग ऐसा है जो भाजपा को वोट नहीं किया है तो हम क्या करेंगे, हम अपना प्रयास तो नहीं छोड़ेंगे. बहरहाल चुनावी मंथन के बीच पार्टी के अंदर सबसे ज्यादा खलबली एक ट्रायबल प्रदेश अध्यक्ष के रहते एक भी ट्रायबल सीट नहीं ला पाना चर्चा में है. इसको लेकर लोग दबी जुबान तरह तरह की बातें करने में मशगुल हैं.
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