रांची: राजधानी रांची के बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पर विस्थापितों की समस्या वर्षों से लंबित पड़ी है. इसके समाधान को लेकर आए दिन एयरपोर्ट के आसपास रहने वाले विस्थापित विरोध प्रदर्शन करते रहे हैं. इसी कड़ी में गुरुवार को भी एयरपोर्ट के आसपास रहने वाले कई गांवों के लोगों ने एयरपोर्ट के मुख्य द्वार के पास धरना प्रदर्शन किया.
विस्थापितों के प्रदर्शन को कांग्रेस के कई नेताओं ने समर्थन देते हुए इस प्रदर्शन में शामिल होकर उनकी आवाज को बुलंद किया. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व सांसद सुबोध कांत सहाय ने प्रदर्शनकारियों की मांग को जायज बताते हुए कहा कि वर्षों से इनकी समस्या देखने को मिल रही है. इस क्षेत्र में एयरपोर्ट के अलावा आर्मी का कैंप भी है. जिस वजह से विकास के कई कार्य ग्रामीण क्षेत्रों तक नहीं पहुंच पाती है. उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर केंद्र की रक्षा विभाग सेनाओं को समझाने का प्रयास करें तो ग्रामीणों के विकास के लिए सड़क और पानी के लिए पाइपलाइन भी बिछाया जा सकता है.
विस्थापितों के द्वारा किए जा रहे प्रदर्शन को समर्थन करने पहुंचे प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व डिप्टी मेयर अजय नाथ शाहदेव ने कहा कि इस क्षेत्र में रह रहे लगभग हजारों लोग ठगा सा महसूस कर रहे हैं. क्योंकि एयरपोर्ट को बड़ा और बेहतर बनाने के लिए केंद्र सरकार ने ग्रामीणों की जमीन अधिकृत कर ली लेकिन अभी तक उनका मुआवजा नहीं दिया गया है. उन्होंने भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व केंद्रीय उड्डयन मंत्री जयंत सिन्हा पर निशाना साधते हुए कहा कि जब वह देश के उड्डयन मंत्री थे तो एयरपोर्ट के लिए मिलने वाले फंड को अपने क्षेत्र हजारीबाग में ले जाकर अपना चुनावी उल्लू सीधा कर रहे थे. इसीलिए रांची एयरपोर्ट के आसपास रह रहे हैं हजारों लोगों को उनका मुआवजा नहीं मिल पाया.
कांग्रेस नेता अजय नाथ शाहदेव ने कहा कि सेना का कैंप भी ग्रामीणों के विकास के लिए बड़ा अड़चन बन रहा है. हुंडरू, हेतुगढ़ा टोला जैसे गांव में अगर राज्य सरकार कोई विकास के कार्य करना चाहती है तो सेना के जवान और अधिकारी सुरक्षा का हवाला देकर इसका विरोध करते हैं. जिस वजह से रांची एयरपोर्ट के आसपास के ग्रामीण इलाकों का विकास अब तक नहीं हो पाया है.
वहीं विस्थापित नेता अजीत उरांव ने कहा कि एयरपोर्ट प्रबंधन ग्रामीणों से सिर्फ जमीन ले रही है. इसके बदले अभी तक ग्रामीणों को ना तो मुआवजा मिल पाया और ना ही स्थानीय लोगों को नौकरी दी जा रही है. ऐसी सभी समस्याओं को देखते हुए एयरपोर्ट के आसपास रहने वाले ग्रामीण अब प्रदर्शन के लिए मजबूर हो गए हैं. अगर एयरपोर्ट प्रबंधन विस्थापितों की मांग पर विचार नहीं करती है तो आने वाले दिनों में उनका विरोध प्रदर्शन और भी उग्र होगा.
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