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चौरा-तरंडा में सैकड़ों भेड़-बकरियां बीमार, दवा का नहीं कोई नामोनिशान, दहशत में पशुपालक, दर-दर भटकने को मजबूर - Sheep and Goats Disease

Disease Spreading in Sheep-Goats in Kinnaur: किन्नौर जिले के चौरा और तरंडा में सैकड़ों भेड़-बकरियां एक बीमारी की चपेट में आ गई हैं, लेकिन पशुपालन विभाग के औषधालयों में दवाई की सप्लाई ही नहीं है. जिससे भेड़ पालकों को दवा के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है.

Disease Spreading in Sheep-Goats in Kinnaur
किन्नौर में भेड़-बकरियों में फैली बीमारी (File Photo)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Aug 29, 2024, 7:26 AM IST

रामपुर: किन्नौर जिले के चौरा और तरंडा पंचायत के कंडों और जंगलों में भेड़-बकरियों में काफी समय से एक बीमारी फैली हुई है, जिससे भेड़ पालक दहशत में है. वहीं, अब ये भेड़ पालक दवा की खोज में रामपुर पहुंचे हैं. भेड़ पालकों का कहना है कि इस बीमारी से उनकी सैकड़ों भेड़-बकरियां बीमार हैं, लेकिन किन्नौर में पशुपालन विभाग के औषधालयों में बकरियों की फेफड़ों से जुड़ी बीमारी की दवा ही नहीं है. ऐसे में उनको अपनी भेड़-बकरियों को जंगल में ही छोड़ कर दवाइयों के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है.

विभाग के पास नहीं है दवाई की सप्लाई

बता दें कि पिछले काफी समय से जनजातीय जिला किन्नौर के प्रवेश द्वारा चौरा और तरंडा पंचायत के कंडे में भेड़-बकरियों की एक बीमारी फैली हुई है. जिसे लेकर भेड़ पालक बेहद परेशान हैं. उन्होंने अपने स्तर पर कुछ दवाइयां ले जाकर भेड़-बकरियों को ठीक करने की कोशिश की, लेकिन फिर भी बीमारी ठीक नहीं हुई. हालांकि पशुपालन विभाग के डॉक्टरों की टीम ने कुछ भेड़ पालकों के तक पहुंचकर उनकी भेड़-बकरियों का इलाज भी किया है. डॉक्टरों ने भेड़ पालकों को बताया कि बकरियों में कौन सी बीमारी फैली हुई है और उनकी कौन सी दवा उनके लिए असरदार रहेगी. मगर पशुपालन विभाग के औषधालयों में दवाइयां न मिलने के चलते भेड़ पालकों को दर-दर भटकना पड़ रहा है.

भेड़-बकरियों में तेजी से फैल रही बीमारी

भेड़ पालकों ने पशुपालन विभाग से जल्द दवाइयां मुहैया करवाने की मांग की है, क्योंकि जो दवाइयां मौजूदा समय में भावा नगर के एक निजी दवा दुकान से मिल रही हैं, वो काफी ज्यादा महंगी हैं. सभी भेड़ पालक इसे नहीं खरीद सकते हैं. चौरा गांव के भेड़ पालक मेहर चंद, अशोक कुमार, गोपीचंद, जयसिंह, कैलाश, ज्ञान सिंह ने बताया, "पिछले 5 दिनों से भेड़ बकरियों में ये बीमारी तेजी से फैल रही है. इस समय करीब 100 भेड़-बकरियां बीमारी की चपेट में हैं. ऐसे में विभाग के औषधालयों में दवा ही उपलब्ध नहीं है. खासकर बकरियों के फेफड़ों से जुड़ी बीमारी की दवा नहीं मिल रही है." इसलिए भेड़ पालक जल्द से जल्द दवा मुहैया करवाने की मांग कर रहे हैं.

Disease Spreading in Sheep-Goats in Kinnaur
सैंकड़ों भेड़-बकरियां बीमारी की चपेट में (File Photo)

इलाके में गुर्जरों के आने पर पाबंदी की मांग

भेड़ पालकों का कहना है कि गर्मियों में बाहर से आने वाले गुर्जरों की भेड़-बकरियों को यहां के इलाकों में आने पर पाबंदी लगानी चाहिए, क्योंकि गुज्जर हर साल प्रदेशभर में और प्रदेश के बाहर भेड़-बकरियां लेकर जाते हैं. जिनमें कई तरह की बीमारियां होती हैं. इस बार भी गुर्जरों की भेड़-बकरियां पहले से बीमार थी और साथ में चुगान के चलते अन्य भेड़-बकरियां भी इसकी चपेट में आ गई. चौरा गांव के फकीर चंद ने बताया, "मेरा एक बकरा बीमारी से मर गया, क्योंकि उसे फेफड़ों से जुड़ी बीमारी की दवा ही उपलब्ध नहीं हो पाई."

'सभी पशुओं को लगाया जाए टैग'

इसे लेकर हिमाचल प्रदेश आदिवासी कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष शेर सिंह नेगी ने कहा, "पशुपालन विभाग को चाहिए की वो शुरू में ही संभावित बीमारी वाले पशुओं को चिन्हित कर लें. खासतौर पर बाहर से अवैध रूप से इन जंगलों में आने वाले गुर्जरों को हिदायत दी जाए और इन पर निगरानी रखी जाए, क्योंकि इनके पशुओं पर कोई टैग नहीं होता है. वर्तमान में दर्जनों ऐसे घोड़े, गाय और भेड़-बकरियां हैं, जिनके कानों में कोई टैग नहीं है. ऐसे पशुओं को टैग लगाया जाए, ताकि किसी व्यक्ति का कौन सा पशु है या कहां से आया है, इसका पता चल सके.हर वेटनरी डिस्पेंसरी में सभी पशुओं और जानवरों की आम जरूरत से जुड़ी दवाएं होनी चाहिए, ताकि जनजातीय लोगों को कोई दिक्कत न हो." उन्होंने कहा कि विभाग को समय रहते सभी दवाइयां सरकारी सप्लाई से मंगवानी चाहिए, क्योंकि पिछले कई सालों से ये बीमारी ऐसे ही फैल रही है. ऐसे में विभाग को सचेत रहने की जरूरत है. विभाग की इस लापरवाही से नुकसान पशुपालकों को उठाना पड़ रहा है.

भेड़-बकरियों में फैली है ये बीमारी

वहीं, पशु पालन विभाग के उपनिदेशक किन्नौर डॉ. अजय नेगी ने बताया कि पिछले दिनों संबंधित क्षेत्र के जंगल में डॉक्टरों को भेजा गया था, ताकि पशुओं में फैली बीमारी का पता लगाया जा सके. वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी भावा नगर रजत दत्ता ने बताया, "हम खुद तरंडा कंडे जाकर आए हैं और काफी पशुओं का वहां इलाज भी किया है. बकरियों में सीसीपीपी बीमारी फैली है. जिससे फेफड़ों में पानी की बूंदें जैसी बनती हैं. उस मर्ज के लिए कारगर और तुरंत प्रभावी दवा भेड़ पालकों को बताई हैं. फिलहाल विभागीय सप्लाई में ये दवा नहीं है. भेड़ पालकों को किसी भी तरह की समस्या होती है तो वो संपर्क कर सकते हैं."

ये भी पढ़ें: हिमाचल का गद्दी समुदाय जिसमें बसी है शुद्ध पहाड़ी संस्कृति, भेड़-बकरियां पालकर करते हैं गुजारा

रामपुर: किन्नौर जिले के चौरा और तरंडा पंचायत के कंडों और जंगलों में भेड़-बकरियों में काफी समय से एक बीमारी फैली हुई है, जिससे भेड़ पालक दहशत में है. वहीं, अब ये भेड़ पालक दवा की खोज में रामपुर पहुंचे हैं. भेड़ पालकों का कहना है कि इस बीमारी से उनकी सैकड़ों भेड़-बकरियां बीमार हैं, लेकिन किन्नौर में पशुपालन विभाग के औषधालयों में बकरियों की फेफड़ों से जुड़ी बीमारी की दवा ही नहीं है. ऐसे में उनको अपनी भेड़-बकरियों को जंगल में ही छोड़ कर दवाइयों के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है.

विभाग के पास नहीं है दवाई की सप्लाई

बता दें कि पिछले काफी समय से जनजातीय जिला किन्नौर के प्रवेश द्वारा चौरा और तरंडा पंचायत के कंडे में भेड़-बकरियों की एक बीमारी फैली हुई है. जिसे लेकर भेड़ पालक बेहद परेशान हैं. उन्होंने अपने स्तर पर कुछ दवाइयां ले जाकर भेड़-बकरियों को ठीक करने की कोशिश की, लेकिन फिर भी बीमारी ठीक नहीं हुई. हालांकि पशुपालन विभाग के डॉक्टरों की टीम ने कुछ भेड़ पालकों के तक पहुंचकर उनकी भेड़-बकरियों का इलाज भी किया है. डॉक्टरों ने भेड़ पालकों को बताया कि बकरियों में कौन सी बीमारी फैली हुई है और उनकी कौन सी दवा उनके लिए असरदार रहेगी. मगर पशुपालन विभाग के औषधालयों में दवाइयां न मिलने के चलते भेड़ पालकों को दर-दर भटकना पड़ रहा है.

भेड़-बकरियों में तेजी से फैल रही बीमारी

भेड़ पालकों ने पशुपालन विभाग से जल्द दवाइयां मुहैया करवाने की मांग की है, क्योंकि जो दवाइयां मौजूदा समय में भावा नगर के एक निजी दवा दुकान से मिल रही हैं, वो काफी ज्यादा महंगी हैं. सभी भेड़ पालक इसे नहीं खरीद सकते हैं. चौरा गांव के भेड़ पालक मेहर चंद, अशोक कुमार, गोपीचंद, जयसिंह, कैलाश, ज्ञान सिंह ने बताया, "पिछले 5 दिनों से भेड़ बकरियों में ये बीमारी तेजी से फैल रही है. इस समय करीब 100 भेड़-बकरियां बीमारी की चपेट में हैं. ऐसे में विभाग के औषधालयों में दवा ही उपलब्ध नहीं है. खासकर बकरियों के फेफड़ों से जुड़ी बीमारी की दवा नहीं मिल रही है." इसलिए भेड़ पालक जल्द से जल्द दवा मुहैया करवाने की मांग कर रहे हैं.

Disease Spreading in Sheep-Goats in Kinnaur
सैंकड़ों भेड़-बकरियां बीमारी की चपेट में (File Photo)

इलाके में गुर्जरों के आने पर पाबंदी की मांग

भेड़ पालकों का कहना है कि गर्मियों में बाहर से आने वाले गुर्जरों की भेड़-बकरियों को यहां के इलाकों में आने पर पाबंदी लगानी चाहिए, क्योंकि गुज्जर हर साल प्रदेशभर में और प्रदेश के बाहर भेड़-बकरियां लेकर जाते हैं. जिनमें कई तरह की बीमारियां होती हैं. इस बार भी गुर्जरों की भेड़-बकरियां पहले से बीमार थी और साथ में चुगान के चलते अन्य भेड़-बकरियां भी इसकी चपेट में आ गई. चौरा गांव के फकीर चंद ने बताया, "मेरा एक बकरा बीमारी से मर गया, क्योंकि उसे फेफड़ों से जुड़ी बीमारी की दवा ही उपलब्ध नहीं हो पाई."

'सभी पशुओं को लगाया जाए टैग'

इसे लेकर हिमाचल प्रदेश आदिवासी कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष शेर सिंह नेगी ने कहा, "पशुपालन विभाग को चाहिए की वो शुरू में ही संभावित बीमारी वाले पशुओं को चिन्हित कर लें. खासतौर पर बाहर से अवैध रूप से इन जंगलों में आने वाले गुर्जरों को हिदायत दी जाए और इन पर निगरानी रखी जाए, क्योंकि इनके पशुओं पर कोई टैग नहीं होता है. वर्तमान में दर्जनों ऐसे घोड़े, गाय और भेड़-बकरियां हैं, जिनके कानों में कोई टैग नहीं है. ऐसे पशुओं को टैग लगाया जाए, ताकि किसी व्यक्ति का कौन सा पशु है या कहां से आया है, इसका पता चल सके.हर वेटनरी डिस्पेंसरी में सभी पशुओं और जानवरों की आम जरूरत से जुड़ी दवाएं होनी चाहिए, ताकि जनजातीय लोगों को कोई दिक्कत न हो." उन्होंने कहा कि विभाग को समय रहते सभी दवाइयां सरकारी सप्लाई से मंगवानी चाहिए, क्योंकि पिछले कई सालों से ये बीमारी ऐसे ही फैल रही है. ऐसे में विभाग को सचेत रहने की जरूरत है. विभाग की इस लापरवाही से नुकसान पशुपालकों को उठाना पड़ रहा है.

भेड़-बकरियों में फैली है ये बीमारी

वहीं, पशु पालन विभाग के उपनिदेशक किन्नौर डॉ. अजय नेगी ने बताया कि पिछले दिनों संबंधित क्षेत्र के जंगल में डॉक्टरों को भेजा गया था, ताकि पशुओं में फैली बीमारी का पता लगाया जा सके. वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी भावा नगर रजत दत्ता ने बताया, "हम खुद तरंडा कंडे जाकर आए हैं और काफी पशुओं का वहां इलाज भी किया है. बकरियों में सीसीपीपी बीमारी फैली है. जिससे फेफड़ों में पानी की बूंदें जैसी बनती हैं. उस मर्ज के लिए कारगर और तुरंत प्रभावी दवा भेड़ पालकों को बताई हैं. फिलहाल विभागीय सप्लाई में ये दवा नहीं है. भेड़ पालकों को किसी भी तरह की समस्या होती है तो वो संपर्क कर सकते हैं."

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