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जनजातीय गौरव दिवस पर हुई परिचर्चा, आदिवासी संस्कृति की दी गई जानकारी

जनजातीय गौरव दिवस के मौके पर गौरव गाथा परिचर्चा का आयोजन हुआ.जिसमें आदिवासी संस्कृति के बारे में जानकारी दी गई.

Discussion held on Tribal Pride Day
जनजातीय गौरव दिवस पर हुई परिचर्चा (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Nov 13, 2024, 7:34 PM IST

बालोद : जनजातीय गौरव स्मृति दिवस के मौके पर शासकीय घनश्याम सिंह गुप्त महाविद्यालय में जनजातीय समाज की गौरव गाथा पर परिचर्चा का आयोजन हुआ. इस आयोजन में सांसद भोजराज नाग सहित पवन साहू ने जनजातीय गौरव विषयों पर अपनी बातों को छात्र छात्राओं के सामने रखा. सांसद भोजराज नाग ने इस दौरान कहा कि ये अवसर है आप सब छात्राओं के लिए कि देश की आजादी से लेकर मुगलों के आक्रमण तक जनजातीय समाज के कार्यों को समझने का, उन्होंने कहा इस सृष्टि में सबसे पहले कोई मानव इस धरती में पैदा हुआ, वो आदि मानव जनजातीय समाज का था.

प्रकृति के हिसाब से चलता है आदिवासी समाज : भोजराज नाग के मुताबिक महादेव को बूढ़ादेव के रूप में पूजते हैं. सबसे बुजुर्ग सबसे बड़े देव मानते हैं. उन्होंने कहा कि प्रकृति कभी किसी के लिए नहीं रुकती और प्रकृति के साथ छेड़छाड़ हो तो प्रकृति अपनी प्रकोप दिखाती है.प्रकृति के हिसाब से चलने वाला विभाग जनजातीय समाज के लोग प्रकृति के पास रहकर प्रकृति के हिसाब से चलने वाले लोग हैं,

जनजातीय गौरव दिवस पर हुई परिचर्चा (ETV Bharat Chhattisgarh)

जब इस देश में संविधान वेद नहीं था तब से जनजातीय समाज की रीति नीति चलती आ रही है. मध्यभारत के क्षेत्र गोंडवाना लैंड के नाम से जाना जाता था. पर मुगलों ने इतिहास बदला. उन्होंने लिखा अकबर महान था, इतिहास के साथ छेड़छाड़ हुआ है- भोजराज नाग, सांसद

छुपाया गया जनजातीय इतिहास : इस दौरान बीजेपी जिलाध्यक्ष पवन साहू ने कहा कि जनजातीय समाज प्रकृति के करीब है. हम आज उनके इतिहास को आपके समक्ष रखने के लिए आए हुए हैं उन्होंने कहा कि समय के साथ साथ सरकारों ने प्रयास किया फिर भी आज हम जनजातीय समाज के गौरव से अंजान हैं उन्होंने कहा कि हमने प्रकृति का बेतहाशा दोहन किया है लेकिन जनजातीय समाज प्रकृति के साथ जीने वाला समाज है और यहां पर उन्होंने प्रकृति की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहे और आजादी की लड़ाई में भी उनका सर्वत्र योगदान रहा.

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प्रकृति के हिसाब से चलता है आदिवासी समाज : भोजराज नाग के मुताबिक महादेव को बूढ़ादेव के रूप में पूजते हैं. सबसे बुजुर्ग सबसे बड़े देव मानते हैं. उन्होंने कहा कि प्रकृति कभी किसी के लिए नहीं रुकती और प्रकृति के साथ छेड़छाड़ हो तो प्रकृति अपनी प्रकोप दिखाती है.प्रकृति के हिसाब से चलने वाला विभाग जनजातीय समाज के लोग प्रकृति के पास रहकर प्रकृति के हिसाब से चलने वाले लोग हैं,

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जब इस देश में संविधान वेद नहीं था तब से जनजातीय समाज की रीति नीति चलती आ रही है. मध्यभारत के क्षेत्र गोंडवाना लैंड के नाम से जाना जाता था. पर मुगलों ने इतिहास बदला. उन्होंने लिखा अकबर महान था, इतिहास के साथ छेड़छाड़ हुआ है- भोजराज नाग, सांसद

छुपाया गया जनजातीय इतिहास : इस दौरान बीजेपी जिलाध्यक्ष पवन साहू ने कहा कि जनजातीय समाज प्रकृति के करीब है. हम आज उनके इतिहास को आपके समक्ष रखने के लिए आए हुए हैं उन्होंने कहा कि समय के साथ साथ सरकारों ने प्रयास किया फिर भी आज हम जनजातीय समाज के गौरव से अंजान हैं उन्होंने कहा कि हमने प्रकृति का बेतहाशा दोहन किया है लेकिन जनजातीय समाज प्रकृति के साथ जीने वाला समाज है और यहां पर उन्होंने प्रकृति की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहे और आजादी की लड़ाई में भी उनका सर्वत्र योगदान रहा.

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