नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा आगामी बार एसोसिएशन चुनावों के लिए प्रॉक्सिमिटी कार्ड की प्रक्रिया लागू करने के फैसले के खिलाफ वकीलों में व्यापक असंतोष देखने को मिल रहा है. बार काउंसिल ऑफ दिल्ली (बीसीडी) के वाइस चेयरमैन एडवोकेट संजीव नासियर ने इस मामले पर अपनी चिंताएं व्यक्त करते हुए कहा, "मार्च में जारी आदेश के अनुसार प्रॉक्सिमिटी कार्ड की व्यवस्था बनाई गई थी, लेकिन इसके कार्यान्वयन की प्रक्रिया सितंबर में ही शुरू की गई."
अधिवक्ताओं की समस्या: प्रॉक्सिमिटी कार्ड के लिए आवेदन की प्रक्रिया कई कारणों से जटिल और समय-सीमित साबित हो रही है. औपचारिक दस्तावेज, सिग्नेचर की फोटो अपलोड करने की अनिवार्यता और अन्य तकनीकी बाधाएं कई अधिवक्ताओं के लिए समस्या बन गई हैं. संजीव नासियर ने बताया कि ऐसे में आधे योग्य मतदाता अभी तक प्रॉक्सिमिटी कार्ड के लिए आवेदन करने में असफल रहे हैं.
उन्हें आधार कार्ड की अनिवार्यता भी एक बड़ी रुकावट लगी, जिसका अब विकल्प दिया गया है." उन्होंने कहा "यदि चुनाव सुरू करने से पहले प्रॉक्सिमिटी कार्ड बनाने की प्रक्रिया समय पर आरंभ की जाती, तो शायद हम अधिक अधिवक्ताओं के प्रॉक्सिमिटी कार्ड बना पाते.
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चुनावी प्रक्रिया की चुनौती: अगर प्रॉक्सिमिटी कार्ड का इस्तेमाल चुनाव में किया जाता है, तो इससे पूर्ण जनादेश प्राप्त करने की संभावनाएं कम हैं. अधिकांश अधिवक्ता इस प्रक्रिया से असहमत हैं और उनका मानना है कि बार एसोसिएशन और बार काउंसिल के आई कार्ड को चुनाव में मान्यता देनी चाहिए. इससे अधिक से अधिक वकीलों की भागीदारी सुनिश्चित हो सकेगी.
दिल्ली हाई कोर्ट की ओर से चुनाव की तारीख पहले 19 अक्टूबर निर्धारित की गई थी, लेकिन बाद में प्रॉक्सिमिटी कार्ड की प्रक्रिया में विलंब के कारण इसे 13 दिसंबर कर दिया गया. फिर भी, समय की कमी और प्रक्रिया की जटिलता के चलते, चुनाव का सफल आयोजन संदिग्ध लग रहा है.
जटिल सत्यापन प्रक्रिया: प्रॉक्सिमिटी कार्ड के पहले चरण का सत्यापन बार काउंसिल ऑफ दिल्ली द्वारा किया जाना है, जिसके बाद बार एसोसिएशन सत्यापन करेगा. इस प्रक्रिया की लंबाई और जटिलता वकीलों के बीच चिंता का विषय बनी हुई है.
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