देहरादूनः उत्तराखंड में मॉनसून सीजन आते ही आसमान से आफत की बारिश बरसनी शुरू हो गई है. मौसम विभाग ने कुमाऊं क्षेत्र में भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी किया है. जबकि गढ़वाल के भी कई हिस्सों में सुबह से बारिश जारी है. इसके मद्देनजर मौसम विभाग के पूर्वानुमान को देखते हुए आपदा प्रबंधन विभाग ने ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम प्रहरियों को एक्टिव कर दिया है.
उत्तराखंड में अगले 5 दिन चुनौती भरे: उत्तराखंड में इस मॉनसून सीजन को पहले से ही सामान्य से अधिक प्रभावी होने का अनुमान लगाया जा रहा है. मौसम विभाग और आपदा प्रबंधन भी इस बात को लेकर चिंतित है. जिस तरह से गर्मियों का एक लंबा दौर बीता है और उस दौरान बिल्कुल भी बारिश नहीं हुई है. और दूसरी तरफ जिस तरह से मॉनसून सीजन में सामान्य से ज्यादा बारिश बताई गई है. ऐसे में बहुत कम समय में बहुत ज्यादा बरसात होने की आशंका के चलते ज्यादा नुकसान होने की भी संभावना जताई जा रही है. मौसम विभाग ने उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में आज से 5 दिन तक भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी किया गया है.
रात का समय रहेगा ज्यादा चुनौती भरा: उत्तराखंड मौसम निदेशक विक्रम सिंह ने बताया कि अगले 4 से 6 दिनों के भीतर प्रदेश के सभी जिलों में बारिश देखने को मिल सकती है. कुमाऊं क्षेत्र के मैदानी इलाकों में सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की जा सकती है. हालांकि कुमाऊं के साथ गढ़वाल में भी पूरे सप्ताह बारिश देखने को मिल सकती है. ऐसे में मौसम विभाग का कहना है कि यह सप्ताह चुनौती भरा रहने वाला हो सकता है. हालांकि ज्यादा चुनौतियां रात के समय देखने को मिल सकती है. विक्रम सिंह ने बताया कि अभी तक हमारे पास कोई सायरन सिस्टम नहीं है. लिहाजा, हमें मैन्युअल तरीके से स्थानीय लोगों के साथ मिलकर कुछ ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए जो रात के समय आने वाले आपदा के लिए लोगों को अलर्ट किया जा सके.
ग्राम प्रहरी को किया अलर्ट: उत्तराखंड में आगामी एक सप्ताह को लेकर मौसम विभाग द्वारा जारी हुए अलर्ट को देखते हुए आपदा प्रबंधन विभाग भी सतर्क हो गया है. आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि आगामी एक सप्ताह तक जिस तरह से मौसम विभाग ने बारिश का पूर्वानुमान जताया है. इससे चुनौतियां बढ़ सकती है. लिहाजा, उनके द्वारा ग्राम प्रहरियों को एक्टिव रहने के निर्देश दिए गए हैं.
सचिव आपदा प्रबंधन ने बताया कि दिन के समय आपदाओं से बचा जा सकता है. लेकिन रात के समय आने वाली आपदा सबसे ज्यादा नुकसान करती है. इसलिए रात के समय ग्राम प्रहरियों को एक्टिव किया जाएगा. उन्होंने कहा कि मौसम विभाग से उन्होंने वेदर अलर्ट के साथ-साथ बादलों की मोटाई को लेकर भी डाटा मांगा है. सचिव आपदा प्रबंधन का कहना है कि अगर मौसम विभाग बरसात का फोरकास्ट के अलावा बादलों के फॉर्मेशन और क्लाउड थिकनेस का भी डाटा आपदा प्रबंधन को देता है तो उससे आने वाली आपदाओं से लड़ने के लिए आपदा प्रबंधन को ज्यादा मदद और समय मिलेगा.