जयपुर. बीजेपी की पिछली सरकार का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट द्रव्यवती नदी सीवरेज के पानी और प्रदूषण की भेंट चढ़ रही है. यही वजह है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इस पर संज्ञान लेते हुए जयपुर विकास प्राधिकरण को फटकार लगाते हुए उस पर 3.82 करोड रुपए का पर्यावरणीय जुर्माना लगाया है.
1 अगस्त 2016 को द्रव्यवती नदी के सौंदर्यीकरण का काम शुरू किया गया था. तब से अब तक इस परियोजना पर तकरीबन 1400 करोड़ रुपए खर्च हो चुका है. लेकिन अब तक ना तो इस परियोजना का काम पूरा हो पाया है. यही नहीं कुछ जगह सीवरेज का पानी बिना ट्रीट हुए द्रव्यवती नदी में मिल रहा है. कालवाड़ रोड एसटीपी से बहा सीवरेज का पानी पुरानी चुंगी से गुजरने वाली द्रव्यवती नदी में सीधे गिर रहा है. इससे पूरे क्षेत्र के द्रव्यवती नदी प्रदूषित हो रही है. हालांकि यहां गजाधरपुरा में 30 एमएलडी का एसटीपी भी है लेकिन ये प्लांट फिलहाल काम नहीं कर रहा. ऐसे में अब एनजीटी ने इस पर संज्ञान लेते हुए जेडीए को फटकार लगाई है. साथ ही जेडीए पर 3.82 करोड़ रुपए का पर्यावरणीय जुर्माना भी लगाया है.
पढ़ें: फर्जी एनओसी जारी करने के मामले में RUHS और SMS के रिटायर्ड डॉक्टर्स की भूमिका की होगी जांच!
एनजीटी ने नोटिस देते हुए कहा कि जेडीए को लगातार प्रदूषण फैलाते रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. उन्होंने जुलाई तक जुर्माना राशि जमा कराने के निर्देश दिए हैं. साथ ही जयपुर कलक्टर को जमा धनराशि 33.75 लाख तुरंत प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को ट्रांसफर करने का आदेश भी दिया है. उन्होंने स्पष्ट किया है कि जुर्माने की ये राशि प्रदूषण रोकने पर खर्च होगी. इसके लिए डीएम, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के क्षेत्रीय अधिकारी की संयुक्त टीम बनाई गई है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नोडल एजेंसी के रूप में यहां काम करेगा और आदेश के अनुपालन की रिपोर्ट तैयार कर एनजीटी को देगा.
बता दें कि राजधानी में हर दिन 550 एमएलडी से ज्यादा सीवर निकलता है. जबकि यहां जेडीए और निगम की ओर से महज 400 एमएलडी सीवर पानी को ट्रीट करने के लिए ही एसटीपी प्लांट है. ऐसे में फिलहाल 150 एमएलडी सीवर बिना शोधित हुए ही नदी-नालों में मिल रहा है.