डिंडोरी। डिंडोरी जिले के सरकारी स्कूलो से पॉजिटिव तस्वीर निकलकर सामने आई है. सरकारी स्कूल के बच्चे सिर्फ NEET की परीक्षा में शामिल ही नहीं हुए बल्कि उन्हें सफलता भी मिली है. उनके माता-पिता की खुशी का ठिकाना नहीं है. ज्यादातर छात्र-छात्राएं गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वालों में से हैं. जिन्होंने पहली ही बार में NEET की परीक्षा में सफलता हासिल की है.
अधिकांश गरीबी रेखा से नीचे वाले स्टूडेंट्स
डिंडोरी जिले के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 26 स्टूडेंट्स ने जिले का नाम रोशन किया है. NEET में चयनित हुए अधिकांश छात्रों के पास परीक्षा फीस जमा करने की भी जुगाड़ नहीं थी, क्योंकि ज्यादातर छात्र गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले परिवार से आते हैं. सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले इनमे से ज्यादातर छात्रों को NEET के बारे में भी कोई जानकारी नहीं थी. ऐसे में कलेक्टर विकास मिश्रा के निर्देश पर जनजातीय विभाग के द्वारा छात्रों को पहले NEET की परीक्षा में शामिल होने के लिए मोटिवेट किया गया.
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जिला प्रशासन ने फीस भरकर स्टूडेंट्स की हिम्मत बढ़ाई
जिला प्रशासन की ओर से इन स्टूडेंट्स की फीस एवं निःशुल्क कोचिंग का इंतज़ाम किया गया. प्रशासन से सुविधाएं मिलने के बाद सरकारी स्कूल के इन छात्रों ने भी अपनी मेहनत और लगन के दम पर नीट जैसे परीक्षा में सफलता हासिल की. स्टूडेंट्स अपनी सफलता का श्रेय अपने टीचर और माता-पिता को दे रहे हैं. छात्रा रुकमणी के पिता नहीं हैं, उनकी मां मजदूरी कर उसे पढ़ा रही है. रुकमणी NEET की परीक्षा में चयनित होने से बेहद खुश नजर आ रही है और आगे चलकर डॉक्टर बनना चाहती है. एक अन्य छात्रा के मजदूर पिता धरम सिंह भावुक होकर बोले बच्चों ने बहुत मेहनत की है.