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स्कूल में प्रिंसिपल से पियून तक बन जाते हैं मास्टरजी, कृष्ण या सुदामा सबके गुणों की खान सर - Dindori Superman Masssab

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 13, 2024, 4:37 PM IST

Updated : Jul 13, 2024, 7:02 PM IST

डिंडोरी जिले के शासकीय हाईस्कूल मिढली में बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है. पूरा स्कूल सिर्फ एक शिक्षक के भरोसे चल रहा है. इस स्कूल में न तो बाबू है और न ही कोई चपरासी है. स्कूल की पूरी जिम्मेदारी शिक्षक पंचम सिंह के हवाले है. वहीं, प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं है.

Dindori Superman Masssab
शासकीय हाईस्कूल मिढली के सुपरमैन मास्साब (ETV Bharat)

Khan Sir of Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश के डिंडोरी जिले से एक अजीबो गरीब मामला निकलकर सामने आया है. जिसमें एक प्राचार्य अपने ही विद्यालय में बाबू और चपरासी की भी भूमिका निभा रहे हैं. जिस कारण स्कूल के बच्चों को अभी से ही बोर्ड परीक्षा की चिंता सताने लगी है.

मिढली शासकीय हाईस्कूल एक शिक्षक के भरोसे (ETV Bahrat)

एक शिक्षक के भरोसे पूरा स्कूल

जानकारी के मुताबिक यह पूरा मामला आदिवासी बाहुल्य इलाके डिंडोरी जिले के शासकीय हाईस्कूल मिढली का है. इस स्कूल में पदस्थ इकलौते शिक्षक पंचम सिंह मरावी का हैं. जिनके पास प्राचार्य के साथ साथ स्कूल के चपरासी और बाबू की जिम्मेदारी भी है. वो इसलिए क्योंकि स्कूल में 6 रिक्त पद हैं और इस वर्ष वे अकेले ही सभी पदों की पूर्ति कर रहे हैं.

अकेले ही पढ़ाते हैं सभी विषय

उनकी दिनचर्या कुछ इस तरह से है. वे रोज सुबह 10 बजे स्कूल पहुंचते हैं और स्कूल का तला खोलने के पश्चात वे वहां की साफ सफाई करते हैं. इसके बाद वे अपने हाथों से स्कूल की घंटी बजाकर बच्चों को सूचित करते हैं कि स्कूल खुल गया है. जिसके पश्चात बच्चों का स्कूल आना शुरू होता है. चपरासी की ड्यूटी पूरी करने के पश्चात पंचम सिंह शिक्षक के रूप में नौवीं और दसवीं कक्षा के छात्र-छात्राओं को अकेले ही सभी विषय पढ़ाते हैं. अकेले होने के कारण नौवीं और दसवीं कक्षा एक ही क्लास में लगाते हैं.

दसवीं के विद्यार्थी एग्जाम को लेकर चिंतित

इन सब के अलावा पंचम सिंह स्कूल में बच्चों के एडमिशन और स्कूल न आने वाले बच्चों के घर जाने सहित जिला मुख्यालय में आयोजित होने वाली बैठकों में भी उपस्थित होते हैं. इस दौरान बच्चों को स्वयं ही अपनी पढ़ाई करनी होती है. ऐसे में बोर्ड कक्षा दसवीं के बच्चों में चिंता की लकीरें साफ तौर पर देखी जा सकती है.

अकेले दम शिक्षक पंचम चला रहे पूरा स्कूल

वहीं, मीडिया से बात करते हुए शिक्षक पंचम सिंह ने बताया कि पिछले शिक्षण सत्र तक स्कूल में कुल दो शिक्षक थे. तब किसी तरह ठीक से स्कूल का संचालन हो जाता था, लेकिन इस वर्ष वे अकेले रह गए हैं और उनके एक हाथ में दर्द भी बना रहता है. इसके बावजूद वो पूरी ईमानदारी के साथ अकेले दम पर स्कूल का संचालन कर रहे हैं.

यहां पढ़ें...

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बच्चों ने शिक्षकों को नियुक्त करने की रखी मांग

वहीं, दसवीं कक्षा की छात्राओं ने मीडिया को बताया कि बोर्ड एग्जाम हैं और सभी विषयों की पढ़ाई जैसे तैसे करके एक ही शिक्षक करा रहे हैं. ऐसे में उन्हें अपने रिजल्ट की चिंता अभी से सताने लगी है. स्कूल के छात्र-छात्राओं ने मीडिया के माध्यम से स्कूल में अन्य शिक्षकों की नियुक्ति करने की प्रशासन से मांग की है.

Khan Sir of Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश के डिंडोरी जिले से एक अजीबो गरीब मामला निकलकर सामने आया है. जिसमें एक प्राचार्य अपने ही विद्यालय में बाबू और चपरासी की भी भूमिका निभा रहे हैं. जिस कारण स्कूल के बच्चों को अभी से ही बोर्ड परीक्षा की चिंता सताने लगी है.

मिढली शासकीय हाईस्कूल एक शिक्षक के भरोसे (ETV Bahrat)

एक शिक्षक के भरोसे पूरा स्कूल

जानकारी के मुताबिक यह पूरा मामला आदिवासी बाहुल्य इलाके डिंडोरी जिले के शासकीय हाईस्कूल मिढली का है. इस स्कूल में पदस्थ इकलौते शिक्षक पंचम सिंह मरावी का हैं. जिनके पास प्राचार्य के साथ साथ स्कूल के चपरासी और बाबू की जिम्मेदारी भी है. वो इसलिए क्योंकि स्कूल में 6 रिक्त पद हैं और इस वर्ष वे अकेले ही सभी पदों की पूर्ति कर रहे हैं.

अकेले ही पढ़ाते हैं सभी विषय

उनकी दिनचर्या कुछ इस तरह से है. वे रोज सुबह 10 बजे स्कूल पहुंचते हैं और स्कूल का तला खोलने के पश्चात वे वहां की साफ सफाई करते हैं. इसके बाद वे अपने हाथों से स्कूल की घंटी बजाकर बच्चों को सूचित करते हैं कि स्कूल खुल गया है. जिसके पश्चात बच्चों का स्कूल आना शुरू होता है. चपरासी की ड्यूटी पूरी करने के पश्चात पंचम सिंह शिक्षक के रूप में नौवीं और दसवीं कक्षा के छात्र-छात्राओं को अकेले ही सभी विषय पढ़ाते हैं. अकेले होने के कारण नौवीं और दसवीं कक्षा एक ही क्लास में लगाते हैं.

दसवीं के विद्यार्थी एग्जाम को लेकर चिंतित

इन सब के अलावा पंचम सिंह स्कूल में बच्चों के एडमिशन और स्कूल न आने वाले बच्चों के घर जाने सहित जिला मुख्यालय में आयोजित होने वाली बैठकों में भी उपस्थित होते हैं. इस दौरान बच्चों को स्वयं ही अपनी पढ़ाई करनी होती है. ऐसे में बोर्ड कक्षा दसवीं के बच्चों में चिंता की लकीरें साफ तौर पर देखी जा सकती है.

अकेले दम शिक्षक पंचम चला रहे पूरा स्कूल

वहीं, मीडिया से बात करते हुए शिक्षक पंचम सिंह ने बताया कि पिछले शिक्षण सत्र तक स्कूल में कुल दो शिक्षक थे. तब किसी तरह ठीक से स्कूल का संचालन हो जाता था, लेकिन इस वर्ष वे अकेले रह गए हैं और उनके एक हाथ में दर्द भी बना रहता है. इसके बावजूद वो पूरी ईमानदारी के साथ अकेले दम पर स्कूल का संचालन कर रहे हैं.

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बच्चों ने शिक्षकों को नियुक्त करने की रखी मांग

वहीं, दसवीं कक्षा की छात्राओं ने मीडिया को बताया कि बोर्ड एग्जाम हैं और सभी विषयों की पढ़ाई जैसे तैसे करके एक ही शिक्षक करा रहे हैं. ऐसे में उन्हें अपने रिजल्ट की चिंता अभी से सताने लगी है. स्कूल के छात्र-छात्राओं ने मीडिया के माध्यम से स्कूल में अन्य शिक्षकों की नियुक्ति करने की प्रशासन से मांग की है.

Last Updated : Jul 13, 2024, 7:02 PM IST
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