बागेश्वर: कपकोट तहसील क्षेत्र की पोथिंग मार्ग विकास के दावों की पोल खोल रहा है. सड़क का डामरीकरण अधिकांश जगहों पर उखड़ चुका है. निकास नाली, कलमठ और कॉजवे नहीं होने से बारिश और गदेरों का पानी सड़क पर बह रहा है. जगह-जगह बने गड्ढे कभी भी बड़े हादसे को दावत दे सकते हैं.
करीब 3500 की आबादी वाले पोथिंग गांव के लिए बनी सड़क पर साल 2017 में डामरीकरण किया गया था. वर्तमान में सात किमी लंबी सड़क बदहाल हो चुकी है. सड़क में निकास नाली नहीं है. अधिकांश स्थानों पर कलमठ नहीं बनाए गए हैं, जो बने हैं उनको सफाई की दरकार है. माउझील गदेरे और मोनिया गदेरे में बने कॉजवे बारिश की भेंट चढ़ चुके हैं. सुंअरीगाड़ गदेरे में 10 साल पहले कॉजवे बनाने का काम शुरू हुआ था, लेकिन वह पूरा ही नहीं हुआ.
वर्तमान में गदेरे को पार करना खतरनाक है. कई बार यहां पर गाड़ियों फंस जाती हैं. नायल गदेरे और पातलबगड़ गदेरे का हाल भी इससे अलग नहीं है. भुगरिया गदेरे पर बना कलमठ भी बंद है, जिस कारण पानी सड़क में बह रहा है. आवासीय क्षेत्र में भी सड़क का डामर पूरी तरह से उखड़ गया है. सड़क में डामर कम, गड्ढे अधिक होने से वाहन चालकों और यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.वहीं क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता दीपक गड़िया का कहना है कि सड़क कई साल से बदहाल है.
इस दुर्दशा से वाहन मालिकों को सबसे अधिक दिक्कत झेलनी पड़ रही है. यात्री रोजाना जान जोखिम में डालकर सफर करने के लिए मजबूर हैं. सड़क खराब होने के कारण वाहन चालक भाड़ा भी अधिक लेते हैं. दोपहिया वाहन चालक अक्सर गड्ढों के कारण चोटिल होते रहते हैं. वहीं स्थानीय लोगों का क्षेत्र के विधायक के प्रति नाराजगी है. लोगों ने तंज कसते हुए 'सरेश है तो संभव है' की तख्तियां हाथों में लेकर विरोध जताया.
वहीं अधिशासी अभियंता पीएमजीएसवाई अंबरीश रावत ने बताया कि पोथिंग सड़क पर डामरीकरण कराने के लिए निविदा प्रक्रिया चल रही है. एक महीने के भीतर प्रक्रिया पूरी हो जाएगी. मानसून के बाद सड़क पर डामरीकरण का कार्य शुरू हो जाएगा.
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