सरगुजा: आईसीएमआर ने सरगुजा स्वास्थ्य विभाग को एक और नायाब मशीन उपलब्ध कराया है. इस मशीन के इस्तेमाल से अब मरीज को एक्स-रे कराने के लिए डायग्नोस्टिक सेंटर तक नहीं जाना होगा. स्वास्थ्य विभाग की टीम घर पहुंच कर लोगों का एक्स-रे कर रही है. इस डिजिटल पोर्टेबल एक्स-रे मशीन का उपयोग फिलहाल टीबी से लड़ने के लिए किया जा रहा है.
क्या कहते हैं चिकित्सक: इस बारे में राष्ट्रीय क्षय नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ शैलेंद्र गुप्ता से ईटीवी भारत ने बातचीत की. उन्होंने कहा, "यह एक डिजिटल पोर्टेबल एक्स-रे मशीन है, जो आईसीएमआर प्रोजेक्ट की ओर से प्राप्त हुई है. सरगुजा को 2 मशीन मिली है. इन मशीनों की कीमत करीब 25 लाख रुपए हैं. इस मशीन की उपयोगिता अधिक है, क्योंकि ये मशीन कहीं भी जाकर टेस्ट करने में सहायक है. सामान्यतः एक्स-रे मशीन से निकलने वाले खतरनाक रेडिएशन इस मशीन में तुलनात्मक कम निकलते हैं."
इस मशीन में ऐसे फीचर्स हैं कि फेफड़े की बारीकी से जांच की जा सकती है. एक्स रे प्रिंट का कलर कम ज्यादा करके उसे देखा जा सकता है. ये मशीन इतनी छोटी है कि दूरस्थ क्षेत्रों तक आसानी से ले जाया जा सकता है. इस मशीन को चलाने के लिए किसी एक्सपर्ट की जरूरत नहीं है. जो मोबाइल चला लेता है, वो इस मशीन को भी चला लेगा. -डॉ. शैलेंद्र गुप्ता, नोडल अधिकारी, क्षय नियंत्रण कार्यक्रम
टीबी से लड़ने में बड़ी भूमिका निभाएगी ये मशीन: डॉ. शैलेंद्र गुप्ता की मानें तो इसमें कुछ और अपडेट आने वाले हैं, जिससे 2 मिनट में ही रिपोर्ट भी सॉफ्टवेयर के जरिए जनरेट हो सकेगी. टीबी के लिए हमने, ट्रू नॉट, पैथोपेडिक मशीन भी लगाई हुई है. अब यह एक्स रे मशीन फेफड़े में टीबी के लक्षणों की जांच में सहायक हो रही है. निश्चित ही ये क्षय रोग यानी कि टीबी से लड़ने में बड़ी भूमिका निभाएगी.