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कलयुग के 'श्रवण कुमार'! मां को कंधे पर लेकर चारधाम यात्रा पर निकले दो भाई, दे रहे खास संदेश - Son Carrying Mother on Shoulders

Dheeraj And Tejpal Carrying Mother on Shoulders सनातन धर्म में जब भी माता और पिता की सेवा करने का जिक्र होता है, तब श्रवण कुमार का नाम सबसे पहले आता है. जो अपने कंधे पर मां-पिता को लेकर तीर्थ पर निकले थे. त्रेतायुग के श्रवण कुमार की तरह ही कलयुग में भी ऐसा ही कुछ नजारा देखने को मिल रहा है. जी हां, दो सगे भाई अपनी मां को कांवड़ पर बैठाकर चारधाम और तीर्थ के दर्शन कराने निकले हैं. जो माता पिता को वृद्धा आश्रम छोड़ने वालों को खास सीख देने का काम कर रहे हैं.

Dheeraj And Tejpal Carrying Mother on Shoulders
मां को चारधाम के दर्शन कराने निकले धीरज तेजपाल
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Mar 10, 2024, 12:21 PM IST

Updated : Mar 10, 2024, 4:14 PM IST

मां को कंधे पर लेकर चारधाम यात्रा पर निकले दो भाई

हरिद्वार: श्रवण कुमार को उनके माता-पिता की सेवा और भक्ति की वजह से जाना जाता है. वे अपने अंधे माता-पिता को लेकर कंधे पर लेकर तीर्थ यात्रा पर निकले थे. ऐसा ही कुछ हरिद्वार में देखने को मिला है. जहां मातृ पितृ सेवा का संदेश लेकर दो भाई अपनी मां को कंधे पर लेकर निकले हैं. इतना ही नहीं अब वो मां को चारधाम के दर्शन भी कराना चाहते हैं. उनकी मां चलने में असमर्थ है, ऐसे में वो मां को कांवड़ में बिठाकर निकले हैं.

कांवड़ पर मां को लेकर हिमाचल से निकले दो बेटे: दरअसल, उत्तर प्रदेश के बदायूं के निवासी धीरज (उम्र 24 वर्ष) और तेजपाल (उम्र 18 वर्ष वर्ष) अपनी 60 वर्षीया मां राजेश्वरी को कांवड़ पर लेकर निकले हैं. वो हिमाचल प्रदेश के बद्दी से निकले हैं. जो हरिद्वार पहुंचे और मां को गंगा स्नान कराया. साथ ही गंगा और आरती का भी दर्शन कराया. उनके इस सेवा भाव को देख हर कोई हैरान रह गया.

मां की इच्छा पूरी करने निकले दो भाई: धीरज और तेजपाल ने बताया कि दोनों भाई बद्दी में फैक्ट्री में काम करते हैं. उनकी मां की काफी इच्छा थी कि वो चारधाम की यात्रा करें. ऐसे में उन्होंने संकल्प लिया कि वो मां को कांवड़ के जरिए यात्रा कर चारधाम के दर्शन कराएं. राजेश्वरी देवी के बेटे तेजपाल का कहना है कि जीवन भर उन्हें मेहनत कर कमाई करनी है, लेकिन मां के जीवित रहते अगर उनकी इच्छा पूरी कर ली तो उनका सबसे बड़ा कर्तव्य होगा.

Dheeraj And Tejpal Carrying Mother on Shoulders
मां को कंधे पर लेकर निकले दो भाई

चारधाम की यात्रा पूरी कर लौटेंगे: उनका कहना है कि उनकी मां चलने में असमर्थ हैं. उन्होंने अपनी यात्रा हिमाचल के बद्दी से शुरू की है. अब उन्हें 6 महीने से ज्यादा का समय क्यों न लगे, वो चारों धाम की यात्रा पूरी कर ही लौटेंगे. हर-हर महादेव की जयघोष के साथ यात्रा कर रहे धीरज का कहना है कि उत्तराखंड के चारधाम की यात्रा वो दोनों भाई पूरी करेंगे.

Dheeraj And Tejpal Carrying Mother on Shoulders
मां को चारधाम के दर्शन कराने निकले धीरज तेजपाल

माता पिता को वृद्धा आश्रम छोड़ने वालों को खास सीख: उन्होंने कहा कि इससे समाज के उस वर्ग को सीख देने का प्रयास है, जो अपने माता पिता को वृद्धा आश्रम में छोड़कर आते हैं. वहीं, मां राजेश्वरी का कहना है कि आजकल के बच्चों को सीख लेने की जरूरत है. वृद्धा आश्रम भेजने वालों को उनके बेटों ने एक सीख देने का प्रयास किया है. उनकी इस सेवा का हकदार सभी माताएं हैं, जरूरत अच्छे संस्कार देने की है.

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हरिद्वार: श्रवण कुमार को उनके माता-पिता की सेवा और भक्ति की वजह से जाना जाता है. वे अपने अंधे माता-पिता को लेकर कंधे पर लेकर तीर्थ यात्रा पर निकले थे. ऐसा ही कुछ हरिद्वार में देखने को मिला है. जहां मातृ पितृ सेवा का संदेश लेकर दो भाई अपनी मां को कंधे पर लेकर निकले हैं. इतना ही नहीं अब वो मां को चारधाम के दर्शन भी कराना चाहते हैं. उनकी मां चलने में असमर्थ है, ऐसे में वो मां को कांवड़ में बिठाकर निकले हैं.

कांवड़ पर मां को लेकर हिमाचल से निकले दो बेटे: दरअसल, उत्तर प्रदेश के बदायूं के निवासी धीरज (उम्र 24 वर्ष) और तेजपाल (उम्र 18 वर्ष वर्ष) अपनी 60 वर्षीया मां राजेश्वरी को कांवड़ पर लेकर निकले हैं. वो हिमाचल प्रदेश के बद्दी से निकले हैं. जो हरिद्वार पहुंचे और मां को गंगा स्नान कराया. साथ ही गंगा और आरती का भी दर्शन कराया. उनके इस सेवा भाव को देख हर कोई हैरान रह गया.

मां की इच्छा पूरी करने निकले दो भाई: धीरज और तेजपाल ने बताया कि दोनों भाई बद्दी में फैक्ट्री में काम करते हैं. उनकी मां की काफी इच्छा थी कि वो चारधाम की यात्रा करें. ऐसे में उन्होंने संकल्प लिया कि वो मां को कांवड़ के जरिए यात्रा कर चारधाम के दर्शन कराएं. राजेश्वरी देवी के बेटे तेजपाल का कहना है कि जीवन भर उन्हें मेहनत कर कमाई करनी है, लेकिन मां के जीवित रहते अगर उनकी इच्छा पूरी कर ली तो उनका सबसे बड़ा कर्तव्य होगा.

Dheeraj And Tejpal Carrying Mother on Shoulders
मां को कंधे पर लेकर निकले दो भाई

चारधाम की यात्रा पूरी कर लौटेंगे: उनका कहना है कि उनकी मां चलने में असमर्थ हैं. उन्होंने अपनी यात्रा हिमाचल के बद्दी से शुरू की है. अब उन्हें 6 महीने से ज्यादा का समय क्यों न लगे, वो चारों धाम की यात्रा पूरी कर ही लौटेंगे. हर-हर महादेव की जयघोष के साथ यात्रा कर रहे धीरज का कहना है कि उत्तराखंड के चारधाम की यात्रा वो दोनों भाई पूरी करेंगे.

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मां को चारधाम के दर्शन कराने निकले धीरज तेजपाल

माता पिता को वृद्धा आश्रम छोड़ने वालों को खास सीख: उन्होंने कहा कि इससे समाज के उस वर्ग को सीख देने का प्रयास है, जो अपने माता पिता को वृद्धा आश्रम में छोड़कर आते हैं. वहीं, मां राजेश्वरी का कहना है कि आजकल के बच्चों को सीख लेने की जरूरत है. वृद्धा आश्रम भेजने वालों को उनके बेटों ने एक सीख देने का प्रयास किया है. उनकी इस सेवा का हकदार सभी माताएं हैं, जरूरत अच्छे संस्कार देने की है.

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Last Updated : Mar 10, 2024, 4:14 PM IST
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