धार (PTI)। भोजशाला में 22 मार्च को शुरू हुआ सर्वेक्षण नौवें दिन भी जारी रहा. एएसआई टीम के काम में सहयोग करने वाले हिंदू पक्षकार की ओर से आशीष गोयल ने बताया कि सर्वेक्षण नए वैज्ञानिक तरीकों, ग्राउंड पेनेट्रेटिंग का उपयोग करके बिना किसी रुकावट के किया जा रहा है. उन्होंने बताया ''रडार (जीपीआर), ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस), स्थल पर खुदाई के अलावा कार्बन डेटिंग भी की जा रही है. परिसर में वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी भी की जा रही है.'' उन्होंने बताया "यह शाश्वत सत्य है कि भोजशाला का निर्माण राजा भोज ने कराया था. शिलालेख, स्तंभ और भोजशाला के प्रत्येक टुकड़े से पता चलता है कि यह एक हिंदू संरचना है.''
भोजशाला में 50 मीटर के क्षेत्र में सर्वे जारी
आशीष गोयल ने उम्मीद जताई कि मां वाग्देवी (सरस्वती) की मूर्ति लंदन से लाकर शीघ्र ही भोजशाला में स्थापित कर दी जाएगी. खुदाई के दौरान एकत्र की गई मिट्टी और पत्थरों जैसी विभिन्न सामग्रियों को एएसआई द्वारा संरक्षित किया जा रहा है. बता दें कि अदालत ने हिंदू फ्रंट ऑफ जस्टिस की याचिका पर एएसआई को 50 मीटर के क्षेत्र पर सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया है. शुक्रवार को भी सर्वेक्षण दोपहर 12 बजे तक किया गया, क्योंकि यह वह दिन जब मुसलमानों को यहां नमाज पढ़ने की अनुमति दी जाती है.
हाईकोर्ट ने सर्वे के लिए 6 सप्ताह का समय दिया है
गौरतलब है कि हिंदू समाज भोजशाला को वाग्देवी (देवी सरस्वती) को समर्पित मंदिर मानता है. जबकि मुस्लिम समुदाय इसे कमल मौला मस्जिद कहता है. 7 अप्रैल, 2003 के एएसआई के आदेश के अनुसार हिंदुओं को हर मंगलवार को भोजशाला परिसर के अंदर पूजा करने की अनुमति है, जबकि मुसलमानों को शुक्रवार को साइट पर नमाज अदा करने की अनुमति है. उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ ने एएसआई को वैज्ञानिक तरीके से काम करने का निर्देश दिया था. 11 मार्च को धार जिले में मध्ययुगीन भोजशाला परिसर का सर्वेक्षण करने के लिए हाईकोर्ट ने ASI को छह सप्ताह का समय दिया है.