अलवर : धनतेरस के पर्व पर चांदी की खरीदारी को शुभ माना गया है. इस दिन लोग अपने घर से निकल कर बाजार से कुछ न कुछ चांदी के आइटम खरीद कर जरूर लाते हैं. बीते कई सालों से अलवर के सर्राफा बाजार में आने वाले लोग कारीगरों की ओर से तैयार किए गए स्पेशल सिक्के की डिमांड करते हैं. कारण है कि इस सिक्के पर ऐतिहासिक होप सर्कस व माता लक्ष्मी की प्रतिमा उकेरी गई है. इसके साथ ही कारीगरों की ओर से इस बार चांदी के विशेष आइटम तैयार किए गए हैं, जिनमें बारीक नक्काशी की गई है, जो लोगों को आकर्षित कर रही है.
अलवर सर्राफा व्यापार समिति के अध्यक्ष दीपक गर्ग ने बताया कि दीपावली के अवसर पर ज्वेलरी दुकान व शोरूम से चांदी के सिक्के, चांदी के बर्तन, चांदी की मूर्तियां बड़ी संख्या में लोगों की ओर से खरीदी जाती है. इस पर्व पर चांदी खरीदना खुशहाली को दर्शाता है. उन्होंने बताया कि लोगों को चांदी के दाम ज्यादा लगते हैं, तो लोग हर साल कुछ आइटम लेकर जाते हैं. यदि एक व्यक्ति ने पिछले साल चांदी की प्लेट ली है, तो वह सोचता है कि इस सेट को पूरा किया जाए, तो वह अगली बार चांदी की चम्मच, कटोरी, गिलास सहित अन्य चीज खरीदता है, जिससे कि त्योहार पर घर में चांदी भी आती है और उनका सेट भी पूरा हो जाता है. इसको लेकर भी बाजार में तैयारियां पूरी हैं.
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कारीगर करते हैं पूरे साल तैयारी : सर्राफा अध्यक्ष दीपक गर्ग ने बताया कि दीपावली के बाद कारीगर नई-नई खोज करने में जुट जाते हैं और अगली दीपावली से पहले कुछ नया तैयार कर मार्केट में लेकर आते हैं. उन्होंने बताया इस साल कारीगरों की ओर से बहुत ही सुंदर व्यापारिक नक्काशी चांदी की मूर्तियों पर उकेरी गई है. यह मूर्तियां लक्ष्मी जी, गणेश जी की है, जो अलग अलग डिजाइन व आकर की सभी दुकान व शोरूम पर उपलब्ध है.
सोने व चांदी के सिक्के पर उकेरा है ऐतिहासिक होप सर्कस : दीपक गर्ग ने बताया कि अलवर सर्राफा व्यापार समिति की ओर से पिछले कई समय से विशेष सिक्के तैयार किए जाते हैं. यह विशेष सिक्का हर साइज में हर दुकान पर उपलब्ध है. इस विशेष सिक्के पर एक तरफ अलवर शहर का हृदय स्थल व ऐतिहासिक होप सर्कस तो दूसरी तरफ लक्ष्मी जी की मूर्ति उकेरी गई है. सर्राफा अध्यक्ष ने लोगों से अपील की है कि वे इस सिक्के को जरूर अपने घर लेकर जाएं. उन्होंने बताया कि यह सिक्के 10 ग्राम, 20 ग्राम, 50 ग्राम, 100 ग्राम और 250 ग्राम में उपलब्ध हैं. इन सिक्के में चांदी की शुद्धता 99.60 फीसदी रहेगी.
ऐतिहासिक है होप सर्कस : अलवर के इतिहासकार हरिशंकर गोयल ने बताया कि शहर के हृदय स्थल कहे जाने वाले होप सर्कस का निर्माण सन् 1940 में तत्कालीन महाराजा तेजसिंह ने करवाया था. यह स्मारक अंग्रेज वायसराय विक्टर अलेक्जेंडर जॉन की बेटी लेडी होप को समर्पित है. होप सर्कस के उद्घाटन के समय लेडी होप अपने पिता के साथ अलवर की यात्रा पर थी. इसी के चलते इस इमारत को लेडी होप के नाम से जाना जाता है. उन्होंने बताया कि ऊपर से देखने पर यह इमारत कमल के पुष्प की तरह आकृति में दिखाई पड़ती है. वर्तमान में होप सर्कस के ऊपर भगवान शिव का मंदिर है.