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पिछले खोले गए धान उपार्जन केंद्रों में न शेड है न चबूतरा, अब 15 और नए केंद्र का प्रस्ताव

कोरबा जिले के धान उपार्जन केंद्रों में असुविधाओं के बीच 15 नए केंद्र खोलने के प्रस्ताव से फसल का रखरखाव सवालों के घेरे में है.

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : 2 hours ago

Dhan Kharidi kendra
धान उपार्जन केंद्रों (ETV Bharat)

कोरबा : खरीफ वर्ष 2024-25 के लिए सरकार ने एक बार फिर धान खरीदी की तैयारी शुरू कर दी है. 2018 के बाद से कांग्रेस शासन काल में बीते 5 वर्षों में जिले में 24 नए उपार्जन केंद्र खोले गए थे. इसके बाद उपार्जन केंद्रों की संख्या बढ़कर वर्तमान में 65 हो गई है. ज्यादातर नए उपार्जन केंद्रों में अब भी शेड, चबूतरा और तारपोलीन जैसी व्यवस्थाएं मौजूद नहीं हैं. ऐसे में इस वर्ष आधी-अधूरी तैयारी के साथ ही धान खरीदी किए जाने की संभावना है.

धान के रखरखाव को लेकर उठे सवाल : पिछले पांच सालों में जो केंद्र खुले हैं, वहां संसाधन उपलब्ध नहीं कराए जा सके हैं. अब 15 और नए उपार्जन केंद्र खोलने का प्रस्ताव जिले के विभागों ने तैयार किया है. ऐसे में यदि नवंबर माह में निर्धारित तिथि से धान खरीदी शुरू होती है, तो किसानों के धान की रखरखाव पर एक बार फिर सवाल उठना तय है.

उपार्जन केंद्रों में फसलों के रखरखाव पर उठे सवाल (ETV Bharat)

हर साल खुलते हैं नए केंद्र : धान उपार्जन केंद्रों तक किसानों को धान बेचने की सहूलियत को देखते हर साल नए केंद्र की स्वीकृति दी जाती है. इस बार भी पाली तानाखार के विधायक तुलेश्वर मरकाम, रामपुर विधायक फूल सिंह राठिया और कटघोरा विधायक प्रेमचंद पटेल के अलावा अन्य जन प्रतिनिधियों ने नए केंद्र की मांग रखी है. नए केंद्रों को विगत कुछ वर्षों से जिस तत्परता स्वीकृति दी जा रही है, उसके अनुरूप सुविधाओं का अभाव है.

शेड और गोदाम की बनी हुई है कमी : खुले आसमान के नीचे धान खरीदी की तैयारी से हर साल की तरह इस साल भी धान के भीगने की आशंका बनी हुई है. दादर, पिपरिया, नुनेरा, बकसाही, सुमेधा, कुदुरमाल आदि ऐसे उपार्जन केंद्र हैं, जहां धान बेचने के लिए आने वाले किसानों के लिए धान रखने की जगह तो क्या, किसानों के बैठने के लिए सुविधा तक नहीं है. किसानों को धान बिक्री के लिए आने से पहले मौसम की तासीर देखनी पड़ती है. यदि किसान धान बेचने पहुंचे गए तो इस दौरान वर्षा होने पर धान में नमी मानकर किसानों को लौटा दिया जाता है.

वर्तमान में जिले में कुल उपार्जन केद्रों की संख्या 65 है. 15 और नए केंद्र खोलने का प्रस्ताव दिया गया है. नए केंद्रों में शेड, तारपोलीन जैसी सुविधाओं का विकास करना समितियों की जिम्मेदारी होती है. जिसके लिए सरकार से भी सहायता मिलती है. कुछ केंद्रों में संसाधनों के अभाव की शिकायत जरूर है, जिसे धान खरीदी शुरू होने से पहले ही दूर कर लिया जाएगा. : जमाल खान, पर्यवेक्षक, जिला सहकारी बैंक

31 अक्टूबर पंजीयन की अंतिम तिथि : समर्थन मूल्य पर धान बेचने के लिए किसानों का पंजीयन आवश्यक होता है. इसके बिना किसान समितियों में धान नहीं बेच सकते. सहकारिता विभाग से किसानों की पंजीयन प्रक्रिया पूरी की जा रही है. अब तक 52 हजार किसानों ने अपना पंजीयन करा लिया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 8 हजार अधिक है. किसानों का पंजीयन 31 अक्टूबर तक किया जाएगा. यह पंजीयन कराने की अंतिम तिथि है. इस वर्ष भी किसानों से धान की खरीदी बायोमेट्रिक्स पहचान लेने के बाद ही की जाएगी. सरकार द्वारा तैयार मोबाइल एप्लीकेशन से किसानों को टोकन लेने की सुविधा दी गई है.

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कोरबा : खरीफ वर्ष 2024-25 के लिए सरकार ने एक बार फिर धान खरीदी की तैयारी शुरू कर दी है. 2018 के बाद से कांग्रेस शासन काल में बीते 5 वर्षों में जिले में 24 नए उपार्जन केंद्र खोले गए थे. इसके बाद उपार्जन केंद्रों की संख्या बढ़कर वर्तमान में 65 हो गई है. ज्यादातर नए उपार्जन केंद्रों में अब भी शेड, चबूतरा और तारपोलीन जैसी व्यवस्थाएं मौजूद नहीं हैं. ऐसे में इस वर्ष आधी-अधूरी तैयारी के साथ ही धान खरीदी किए जाने की संभावना है.

धान के रखरखाव को लेकर उठे सवाल : पिछले पांच सालों में जो केंद्र खुले हैं, वहां संसाधन उपलब्ध नहीं कराए जा सके हैं. अब 15 और नए उपार्जन केंद्र खोलने का प्रस्ताव जिले के विभागों ने तैयार किया है. ऐसे में यदि नवंबर माह में निर्धारित तिथि से धान खरीदी शुरू होती है, तो किसानों के धान की रखरखाव पर एक बार फिर सवाल उठना तय है.

उपार्जन केंद्रों में फसलों के रखरखाव पर उठे सवाल (ETV Bharat)

हर साल खुलते हैं नए केंद्र : धान उपार्जन केंद्रों तक किसानों को धान बेचने की सहूलियत को देखते हर साल नए केंद्र की स्वीकृति दी जाती है. इस बार भी पाली तानाखार के विधायक तुलेश्वर मरकाम, रामपुर विधायक फूल सिंह राठिया और कटघोरा विधायक प्रेमचंद पटेल के अलावा अन्य जन प्रतिनिधियों ने नए केंद्र की मांग रखी है. नए केंद्रों को विगत कुछ वर्षों से जिस तत्परता स्वीकृति दी जा रही है, उसके अनुरूप सुविधाओं का अभाव है.

शेड और गोदाम की बनी हुई है कमी : खुले आसमान के नीचे धान खरीदी की तैयारी से हर साल की तरह इस साल भी धान के भीगने की आशंका बनी हुई है. दादर, पिपरिया, नुनेरा, बकसाही, सुमेधा, कुदुरमाल आदि ऐसे उपार्जन केंद्र हैं, जहां धान बेचने के लिए आने वाले किसानों के लिए धान रखने की जगह तो क्या, किसानों के बैठने के लिए सुविधा तक नहीं है. किसानों को धान बिक्री के लिए आने से पहले मौसम की तासीर देखनी पड़ती है. यदि किसान धान बेचने पहुंचे गए तो इस दौरान वर्षा होने पर धान में नमी मानकर किसानों को लौटा दिया जाता है.

वर्तमान में जिले में कुल उपार्जन केद्रों की संख्या 65 है. 15 और नए केंद्र खोलने का प्रस्ताव दिया गया है. नए केंद्रों में शेड, तारपोलीन जैसी सुविधाओं का विकास करना समितियों की जिम्मेदारी होती है. जिसके लिए सरकार से भी सहायता मिलती है. कुछ केंद्रों में संसाधनों के अभाव की शिकायत जरूर है, जिसे धान खरीदी शुरू होने से पहले ही दूर कर लिया जाएगा. : जमाल खान, पर्यवेक्षक, जिला सहकारी बैंक

31 अक्टूबर पंजीयन की अंतिम तिथि : समर्थन मूल्य पर धान बेचने के लिए किसानों का पंजीयन आवश्यक होता है. इसके बिना किसान समितियों में धान नहीं बेच सकते. सहकारिता विभाग से किसानों की पंजीयन प्रक्रिया पूरी की जा रही है. अब तक 52 हजार किसानों ने अपना पंजीयन करा लिया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 8 हजार अधिक है. किसानों का पंजीयन 31 अक्टूबर तक किया जाएगा. यह पंजीयन कराने की अंतिम तिथि है. इस वर्ष भी किसानों से धान की खरीदी बायोमेट्रिक्स पहचान लेने के बाद ही की जाएगी. सरकार द्वारा तैयार मोबाइल एप्लीकेशन से किसानों को टोकन लेने की सुविधा दी गई है.

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