देहरादून: उत्तराखंड शासन ने बुधवार देर रात IAS और पीसीएस के साथ सचिवालय सेवा के अधिकारियों की जिम्मेदारी में बदलाव किया. इस बदलाव ने कई अधिकारियों को चौंकाया तो सरकार ने बैलेंस करने की कोशिश में नए प्रयोग भी किए हैं. हालांकि कुछ नाम ऐसे भी थे, जिनको लेकर पहले से ही चर्चा आम हो चुकी थी.
38 आईएएस और 5 पीसीएस का तबादला: उत्तराखंड में प्रमुख सचिव से लेकर अपर सचिव स्तर के अधिकारियों तक की जिम्मेदारियां बदली गई हैं. इन तबादलों में ऐसे कई समीकरण दिखाई दिए, जिसने इस सूची को खास बनाया है. हालांकि कुछ मामलों में जानकार तबादला सूची में कमी रहने की बात भी कह रहे हैं. तबादला सूची में 38 आईएएस अधिकारी, एक IFS, 5 PCS और एक सचिवालय सेवा के अधिकारी को जिम्मेदारी मिली. राज्य में 6 जिलों के जिलाधिकारी बदले गए हैं.
प्रमुख सचिव आर के सुधांशु को किया गया हल्का: उत्तराखंड शासन में प्रमुख सचिव स्तर के दो अधिकारी हैं, और इस तबादला सूची में दोनों ही अधिकारियों को हल्का करने का काम किया गया. वन विभाग में निदेशक राजाजी के विवादित मामले पर अपनी विपरीत नोटिंग से चर्चाओं में आए आरके सुधांशु को राजस्व की जिम्मेदारी से हटाया गया.
सिन्हा को उच्च शिक्षा: रंजीत सिन्हा को उच्च शिक्षा का प्रभार दिया गया है. सचिव रविनाथ रमन से ये विभाग वापस लिया गया है. प्रमुख सचिव एल फेनई के हटाए पद वापस उन्हें दे दिए गए हैं. अध्यक्ष अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ विकास निगम की जिम्मेदारी एल फेनई को फिर से दे दी गई है.
मुख्यमंत्री कार्यालय में एंट्री भी दी और आउट भी हुए अफसर: मुख्यमंत्री कार्यालय में बतौर सचिव और विशेष सचिव जिम्मेदारी देख रहे आईएएस आर मीनाक्षी सुंदरम और IFS पराग मधुकर धकाते को बाहर किया गया है. यह दोनों ही अधिकारी कई बड़ी जिम्मेदारियां देख रहे हैं. हालांकि आर मीनाक्षी सुंदरम मुख्यमंत्री दफ्तर के काफी करीब माने जाते रहे हैं. लेकिन उन्हें सीएम कार्यालय और श्रम जैसी जिम्मेदारी से हटाना आपसी खींचतान का नतीजा बताया जा रहा है.
जिम्मेदारियां से ओवरलोड अफसर को भी किया अवमुक्त: शासन की सूची में ऐसे अधिकारियों के भी नाम हैं, जिनके पास जरूरत से ज्यादा बड़ी जिम्मेदारियां थीं. सचिव शैलेश बगौली भी उन्हीं में से एक थे, जिनसे उच्च शिक्षा वापस लिया गया. इसी में सूचना महानिदेशक बंशीधर तिवारी का नाम भी शामिल है, जिन्हें उन्हीं की इच्छा पर हल्का करते हुए शिक्षा महानिदेशक की जिम्मेदारी वापस ली गई है.
विरोध को किया दरकिनार, गढ़वाल-कुमाऊं में बनाया सामंजस्य: गढ़वाल और कुमाऊं कमिश्नर अब मुख्यमंत्री के सचिव के तौर पर जिम्मेदारी देखेंगे. हालांकि गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पांडे पहले से ही सचिव मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी देख रहे हैं. खास बात यह है कि गढ़वाल मंडल के लिए सेपरेट कमिश्नर की मांग भी हुई थी, लेकिन उसे दरकिनार करते हुए, कुमाऊं के कमिश्नर को भी मुख्यमंत्री कार्यालय में एंट्री दे दी गई है. इस तरह अब गढ़वाल और कुमाऊं में बैलेंस करने की कोशिश हुई है.
ईमानदार छवि और अच्छा काम करने वाले अफसरों को भी दी गई प्राथमिकता: उत्तराखंड सरकार ने ईमानदार छवि वाले अधिकारियों को भी तरजीह दी है. IAS सुरेंद्र नारायण पाण्डेय को राजस्व विभाग दिया गया है. देहरादून के जिलाधिकारी के रूप में ईमानदार छवि वाले संविन बंसल को भेजा गया है. हरिद्वार में कर्मेंद्र सिंह को जगह मिली. इसी तरह इकबाल अहमद की भी जिम्मेदारी बढ़ी है. सीडीओ के रूप में सुंदरलाल सेमवाल और गिरीश गुणवंत को भी जगह दी गई है.
लंबे होमवर्क के बाद भी खाली रह गए कई पद: उत्तराखंड शासन के लंबे होमवर्क के बाद भी कई पद खाली रह गए और इन पदों का सूची में कहीं जिक्र नहीं किया गया. देहरादून में अपर जिलाधिकारी का पद काफी लंबे समय से खाली पड़ा है, लेकिन इतनी बड़ी सूची जारी करने के बावजूद देहरादून अपर जिलाधिकारी के पद पर तैनाती को लेकर किसी का नाम नहीं दिया गया. इसी तरह मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण में सचिव और संयुक्त सचिव का पद भी खाली पड़ा हुआ है. उधर दूसरी तरफ स्मार्ट सिटी के सीईओ के तौर पर जिलाधिकारी ही जिम्मेदारी देखेंगे, यह भी सूची में स्पष्ट नहीं किया गया.
सचिवालय सेवा के अफसरों का इंतजार बरकरार: अपर सचिव स्तर पर जिम्मेदारी देख रहे सचिवालय सेवा के अधिकारियों का इंतजार अब भी बरकरार है. सूची में केवल एक सचिवालय सेवा की अधिकारी को जिम्मेदारी मिली है, जबकि बाकी पर कोई निर्णय नहीं लिया गया. जिस महिला अधिकारी को जिम्मेदारी मिली है, उसके पास पहले से ही काफी जिम्मेदारियां हैं. सचिवालय सेवा की गरिमा रौंकली को सिंचाई और लघु सिंचाई की जिम्मेदारी होने के बावजूद उन्हें खेल और युवा कल्याण की भी अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई है. जबकि सचिवालय सेवा में कई अधिकारी इस बार सूची में नई जिम्मेदारी को लेकर इंतजार कर रहे थे.
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