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प्राइमरी टीचर्स के लिए B.ED की अनिवार्यता खत्म, नियमावली में संशोधन को कैबिनेट ने दी मंजूरी

Uttarakhand Primary Teacher उत्तराखंड सरकार ने प्रारंभिक शिक्षकों के लिए बीएड अनिवार्यता को समाप्त कर दिया है. ऐसे में अब बीएलएड कर चुके युवाओं को प्रारंभिक शिक्षक बनने का रास्ता साफ हो गया है.

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फोटो- ईटीवी भारत
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Mar 11, 2024, 7:06 PM IST

देहरादूनः मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में उत्तराखंड राजकीय प्रारंभिक शिक्षा (अध्यापक) (संशोधन) सेवा नियमावली, 2012 (यथासंशोधित) में संशोधन किए जाने को मंजूरी दे दी है. नियमावली में संशोधन के बाद प्रारंभिक शिक्षकों (प्राइमरी टीचर्स) के लिए बीएड की अनिवार्यता समाप्त हो कर दी गई है.

दरअसल, राजस्थान के एक मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की गई थी. सिविल अपील संख्या-5069/2023 में सर्वोच्च न्यायालय ने 11 अगस्त 2023 को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) की ओर से 28 जून 2018 को जारी अधिसूचना को रद्द कर दिया था. इसके बाद राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुरूप सभी राज्यों को 4 सितंबर 2023 को पत्र जारी किया था. ताकि राज्यों में प्रारंभिक शिक्षकों के लिए अनिवार्य बीएड को समाप्त करने कि दिशा में कार्रवाई की जाए.

इसके बाद प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय, उत्तराखंड में इस बाबत प्रस्ताव तैयार किया गया, जिसे मंत्रिमंडल के सम्मुख रखा गया. ऐसे में सोमवार को धामी मंत्रिमंडल की बैठक के दौरान सुप्रीम कोर्ट के निर्णय और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के निर्देशों के क्रम में सहायक अध्यापक प्राथमिक पद के लिए निर्धारित अर्हताओं में से बीएड योग्यता को हटाने पर मंजूरी दे दी है. लिहाजा, 'उत्तराखंड राजकीय प्रारंभिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली, 2012' (यथासंशोधित) में संशोधन किया जाना प्रस्तावित है.

अभी तक उत्तराखंड में बीएलएड के बाद बीएड वाले युवाओं को ही प्रारंभिक शिक्षक भर्ती परीक्षा के लिए योग्य माना जाता था. लेकिन अब सरकार ने बीएलएड करने वाले युवाओं को प्राथमिक शिक्षक बनने का मौका दिया है.

ये भी पढ़ेंः धामी कैबिनेट बैठक में 11 प्रस्तावों पर लगी मुहर, सेवा नियमावली को मिली मंजूरी, हेली दर्शन कार्यक्रम भी अप्रूव्ड

देहरादूनः मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में उत्तराखंड राजकीय प्रारंभिक शिक्षा (अध्यापक) (संशोधन) सेवा नियमावली, 2012 (यथासंशोधित) में संशोधन किए जाने को मंजूरी दे दी है. नियमावली में संशोधन के बाद प्रारंभिक शिक्षकों (प्राइमरी टीचर्स) के लिए बीएड की अनिवार्यता समाप्त हो कर दी गई है.

दरअसल, राजस्थान के एक मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की गई थी. सिविल अपील संख्या-5069/2023 में सर्वोच्च न्यायालय ने 11 अगस्त 2023 को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) की ओर से 28 जून 2018 को जारी अधिसूचना को रद्द कर दिया था. इसके बाद राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुरूप सभी राज्यों को 4 सितंबर 2023 को पत्र जारी किया था. ताकि राज्यों में प्रारंभिक शिक्षकों के लिए अनिवार्य बीएड को समाप्त करने कि दिशा में कार्रवाई की जाए.

इसके बाद प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय, उत्तराखंड में इस बाबत प्रस्ताव तैयार किया गया, जिसे मंत्रिमंडल के सम्मुख रखा गया. ऐसे में सोमवार को धामी मंत्रिमंडल की बैठक के दौरान सुप्रीम कोर्ट के निर्णय और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के निर्देशों के क्रम में सहायक अध्यापक प्राथमिक पद के लिए निर्धारित अर्हताओं में से बीएड योग्यता को हटाने पर मंजूरी दे दी है. लिहाजा, 'उत्तराखंड राजकीय प्रारंभिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली, 2012' (यथासंशोधित) में संशोधन किया जाना प्रस्तावित है.

अभी तक उत्तराखंड में बीएलएड के बाद बीएड वाले युवाओं को ही प्रारंभिक शिक्षक भर्ती परीक्षा के लिए योग्य माना जाता था. लेकिन अब सरकार ने बीएलएड करने वाले युवाओं को प्राथमिक शिक्षक बनने का मौका दिया है.

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