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जमरानी बांध से नहीं होगा विद्युत उत्पादन, उत्तराखंड-यूपी के 4 जिलों को मिलेगी सिंचाई की सुविधा - धामी मंत्रिमंडल की बैठक

Jamrani Dam Project जमरानी बांध से अब विद्युत उत्पादन नहीं होगा. इससे अब उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के चार जिलों को पेयजल आपूर्ति के साथ-साथ सिंचाई की सुविधा मिलेगी. इन जिलों में उत्तराखंड का उधमसिंह नगर और नैनीताल, जबकि उत्तर प्रदेश का रामपुर और बरेली जिला शामिल है. धामी मंत्रिमंडल की बैठक में जमरानी बांध परियोजना पर सहमति जताई गई है.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 21, 2024, 10:54 PM IST

जमरानी बांध से नहीं होगा विद्युत उत्पादन

देहरादून: उत्तराखंड की बहुउद्देशीय जमरानी बांध परियोजना निर्माण पर धामी मंत्रिमंडल ने मुहर लगा दी है. बुधवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक के दौरान जमरानी बांध परियोजना पर सहमति जताई गई है. इस परियोजना के तहत 14 मेगावाट विद्युत उत्पादन होना था. लेकिन विद्युत उत्पादन पर रोक लगा दी गई है. ऐसे में जमरानी बांध परियोजना से हल्द्वानी शहर की पेयजल आपूर्ति होगी और उत्तर प्रदेश के दो-दो जिलों को सिंचाई की सुविधा भी उपलब्ध होगी.

जमरानी बांध परियोजना को 2028 तक किया जाएगा पूरा: लंबे समय से लटकी जमरानी बांध परियोजना को 25 अक्टूबर 2023 में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक में पीएमकेएसवाई एआईबीपी योजना में शामिल करने की मंजूरी दी गई थी. इसके बाद जनवरी 2024 को हुई पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में जमरानी बांध परियोजना के लिए नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी की एनओसी के लिए भी सहमति मिल गई थी. ऐसे में जल्द ही जमरानी बांध परियोजना का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा. इस परियोजना को 2028 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.

जमरानी बांध परियोजना की लागत कुल 2584.10 करोड रुपए: नैनीताल जिले में गोला नदी पर बनने वाली जमरानी बांध परियोजना की लागत कुल 2584.10 करोड़ रुपए है. जिसमे से बांध निर्माण के लिए केंद्र सरकार 1557.18 करोड़ का खर्च वहन करेगी. बाकी की धनराशि यानी 1026.92 करोड़ रुपए राज्य सरकार वहन करेगी. प्रस्तावित इस परियोजना से हल्द्वानी शहर के लोगों के लिए 42.70 मिलियन क्यूबिक मीटर पेयजल की सुविधा उपलब्ध होगी. जिससे करीब साढ़े दस लाख लोगों को फायदा मिलेगा. साथ ही उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के चार जिलों के 57,065 हेक्टेयर कृषि भूमि के लिए सिंचाई सुविधा भी मिलेगी. इन जिलों में उत्तराखंड का उधमसिंह नगर और नैनीताल, जबकि उत्तर प्रदेश का रामपुर और बरेली जिला शामिल है.

पेयजल मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि जमरानी बांध परियोजना का निर्माण कार्य संपन्न होने के बाद हल्द्वानी शहर की जनता को शुद्ध पेयजल उपलब्ध होगा. इस परियोजना के तहत जो विद्युत उत्पादन करने की व्यवस्था थी, उसको हटा दिया गया है. लिहाजा, पेयजल के साथ ही उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के दो-दो जिलों को सिंचाई के लिए पर्याप्त सुविधा मिल सकेगी.

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जमरानी बांध परियोजना को 2028 तक किया जाएगा पूरा: लंबे समय से लटकी जमरानी बांध परियोजना को 25 अक्टूबर 2023 में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक में पीएमकेएसवाई एआईबीपी योजना में शामिल करने की मंजूरी दी गई थी. इसके बाद जनवरी 2024 को हुई पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में जमरानी बांध परियोजना के लिए नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी की एनओसी के लिए भी सहमति मिल गई थी. ऐसे में जल्द ही जमरानी बांध परियोजना का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा. इस परियोजना को 2028 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.

जमरानी बांध परियोजना की लागत कुल 2584.10 करोड रुपए: नैनीताल जिले में गोला नदी पर बनने वाली जमरानी बांध परियोजना की लागत कुल 2584.10 करोड़ रुपए है. जिसमे से बांध निर्माण के लिए केंद्र सरकार 1557.18 करोड़ का खर्च वहन करेगी. बाकी की धनराशि यानी 1026.92 करोड़ रुपए राज्य सरकार वहन करेगी. प्रस्तावित इस परियोजना से हल्द्वानी शहर के लोगों के लिए 42.70 मिलियन क्यूबिक मीटर पेयजल की सुविधा उपलब्ध होगी. जिससे करीब साढ़े दस लाख लोगों को फायदा मिलेगा. साथ ही उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के चार जिलों के 57,065 हेक्टेयर कृषि भूमि के लिए सिंचाई सुविधा भी मिलेगी. इन जिलों में उत्तराखंड का उधमसिंह नगर और नैनीताल, जबकि उत्तर प्रदेश का रामपुर और बरेली जिला शामिल है.

पेयजल मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि जमरानी बांध परियोजना का निर्माण कार्य संपन्न होने के बाद हल्द्वानी शहर की जनता को शुद्ध पेयजल उपलब्ध होगा. इस परियोजना के तहत जो विद्युत उत्पादन करने की व्यवस्था थी, उसको हटा दिया गया है. लिहाजा, पेयजल के साथ ही उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के दो-दो जिलों को सिंचाई के लिए पर्याप्त सुविधा मिल सकेगी.

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