नई दिल्ली: दिल्ली के प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी और भारी भरकम बिलों की शिकायतें सरकार और स्वास्थ्य विभाग को मिलती रही हैं. अब प्राइवेट अस्पतालों की कार्यशैली पर दिल्ली सरकार के कर्मचारियों ने भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. ताजा मामला दिल्ली सरकार से सूचीबद्ध प्राइवेट अस्पतालों/हेल्थ सेंटर्स को लेकर सामने आया है. दरअसल स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) को बड़ी संख्या में अलग-अलग तरह की शिकायतें प्राप्त हुई हैं. इसमें डीजीईएचएस लाभार्थियों को कैशलेस मेडिकल फैसिलिटी नहीं देने से लेकर ओवर चार्ज करने व नियमों का अनुपालन नहीं करने जैसी तमाम शिकायतें मिली हैं.
इसके बाद महानिदेशालय की तरफ से एडवाइजरी जारी की गई है और इसका अनुपालन न करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं. स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के एसपीओ डॉ. एसके नायक की ओर से जारी एडवाइजरी में स्पष्ट किया गया है कि प्राइवेट अस्पतालों/हेल्थ सेंटर्स के साथ हुए करार के उल्लंघन की बड़ी संख्या में शिकायतें मिल रही हैं. इसमें डीजीईएचएस लाभार्थियों को अप्वाइंटमेंट न मिलने से लेकर कैशलेस चिकित्सा सुविधा प्रदान नहीं करने, सीजीएचएस/डीजीईएचएस दरों का पालन न करना और सीजीएचएस दर सूची से अधिक दरें वसूलने आदि की शिकायतें सबसे ज्यादा हैं. इस तरह की चिकित्सा सुविधाएं मौजूदा समय में सरकार में सेवाएं दे रहे कर्मचारियों/रिटायर्ड कर्मियों और उनके आश्रितों को दी जाती हैं. लेकिन प्राइवेट अस्पतालों की तरफ से निर्धारित नियमों का पालन नहीं कर उनका घोर उल्लंघन किया जा रहा है, जिसकी विभाग को खूब शिकायतें मिली हैं.
महानिदेशालय ने इन शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए अब फ्रैश एडवाइजरी कर इन सभी अस्पतालों को कड़ी चेतावनी दी है. साथ ही यह स्पष्ट कर दिया है कि प्राइवेट सूचीबद्ध अस्पताल अगर लाभार्थियों के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव करते हैं तो यह समझौते के नियमों और शर्तों के अंतर्गत एमओयू को उल्लंघन माना जाएगा. ऐसे अस्पताल के खिलाफ नियमानुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी.
5 साल पहले दिए थे ये निर्देश: एडवाइजरी में 29 मार्च, 2019 को जारी समझौते का जिक्र करते हुए कहा गया है कि डीजीईएचएस लाभार्थियों के व्यापक हित को ध्यान में रखते हुए इसके जरिए सभी सूचीबद्ध अस्पतालों को खास निर्देश दिए गए थे. इसमें एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने के लिए कहा गया था, जिससे डीजीएचईएस लाभार्थियों (पेंशनभोगियों और सेवारत) की ओर से आसानी से संपर्क किया जा सके, यदि उनको ट्रीटमेंट में किसी प्रकार की कोई परेशानी हो रही हो. डीजीएचएस का कहना है कि कई बार निर्देश जारी होने बावजूद डीजीईएचएस लाभार्थियों को अभी भी तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इसलिए, सभी सूचीबद्ध अस्पतालों को एमओयू के अनुसार डीजीईएचएस लाभार्थियों (पेंशनभोगियों और सेवारत) को बिना किसी भेदभाव के इलाज प्रदान करने का निर्देश दिया जाता है.
अस्पताल को देनी होंगी ये सभी जानकारियां: महानिदेशालय की ओर से इस आदेश को 1 मई, 2024 से प्रभावी किया गया है. साथ ही यह भी निर्देश दिए गए हैं कि इस तारीख से अब डीजीईएचएस ईमेल के जरिए पैशेंट (रोगी) को एडमिट करने से लेकर डिस्चार्ज करने की पूरी डिटेल एक फॉर्मेट के जरिए संबंधित अस्पतालों को देनी होगी. इस ईमेल की कॉपी एम्पैनल्ड (सूचीबद्ध) अस्पतालों की ओर से उस वक्त देनी होगी, जब वो कैशलेस बिलों के भुगतान के लिए दावा (क्लेम) किया जाएगा. इस फॉर्मेट में पेशेंट के नाम, डीजीईएचएस कार्ड नंबर, कॉन्टैक्ट नंबर और एडमिशन/डिस्चार्ज डेट को ब्यौरा मेल पर देना अनिवार्य किया गया है.
क्लेम पाने के लिए अस्पताल को देना होगा पूरा फॉर्मेट: प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी पर नकेल कसते हुए स्वास्थ्य विभाग की ओर से यह भी साफ कर दिया है कि, इस तरह की जानकारी अगर ईमेल के जरिए नहीं दी जाती है और उसकी कॉपी बिल क्लेम के वक्त संलग्न नहीं की जाती है तो बिल का भुगतान किसी भी परिस्थिति में नहीं किया जाएगा. इसलिए सभी सूचीबद्ध अस्पताल/सेंटर्स को डीजीईएचएस पेंशनभोगी लाभार्थियों के हर बिल के साथ निर्धारित फॉर्मेट को सुनिश्चित करना जरूरी है. साथ ही अगर इस एडवाइजरी का अगर कोई अस्पताल अनुपालन नहीं करता है, तो उसे गंभीरता से लेते हुए उसके खिलाफ उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी. एडवाइजरी की प्रति सभी सूचीबद्ध प्राइवेट अस्पतालों/सेंटर्स के चिकित्सा निदेशक/अधीक्षकों को भी भेज दी गई है.
बताते चलें कि स्वास्थ्य सेवाएं निदेशालय की वेबसाइट पर 28 दिसंबर, 2023 तक अपडेटेड लिस्ट में दिल्ली-एनसीआर के 435 सूचीबद्ध प्राइवेट अस्पताल/सेंटर्स शामिल हैं. वहीं, 51 ऐसे प्राइवेट अस्पताल, डाइग्नोसिस सेंटर्स और हेल्थ केयर सेंटरों की सूची भी उपलब्ध है, जिनको समय-समय पर विभाग की ओर से अलग-अलग कारणों से पैनल हटा दिया गया है.
1997 में की गई थी डीजीईएचएस की शुरुआत: दिल्ली सरकार के कर्मचारियों/पेंशनभोगियों और उनके आश्रितों को केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) की तर्ज पर व्यापक चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने के उद्देश्य से डीजीईएचएस की शुरुआत अप्रैल, 1997 में की गई थी. दिल्ली सरकार कर्मचारी स्वास्थ्य योजना में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और दिल्ली सरकार के अधीन संचालित सभी अस्पताल/डिस्पेंसरीज, स्वायत्त निकाय, स्थानीय निकाय, एमसीडी, एनडीएमसी, दिल्ली छावनी बोर्ड, केंद्र सरकार और अन्य सरकारी निकाय जैसे एम्स, पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट (दिल्ली विश्वविद्यालय) आदि को शामिल किया गया था. वहीं, इस योजना में समय-समय पर अधिसूचित कुछ निजी अस्पतालों/डायग्नोस्टिक केंद्रों को भी रेफरल स्वास्थ्य सुविधाओं के रूप में सूचीबद्ध किया जाता है.
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