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चारभुजानाथ की शाही शोभायात्रा में उमड़े श्रद्धालु, करवाया शाही स्नान, गुलाल-अबीर से सराबोर हुया गढ़बोर - Shobha Yatra Of CharbhujaNath - SHOBHA YATRA OF CHARBHUJANATH

राजसमंद के गढ़बोर में जलझूलनी एकादशी पर भगवान चारभुजानाथ मंदिर से शाही लवाजमे के साथ ठाकुर जी की शोभायात्रा निकाली गई. उन्हें दूध तलाई में स्नान करवाया गया. यात्रा के दौरान गुलाल-अबीर से गढ़बोर सराबोर हो गया.

Royal procession of Charbhujanath
चारभुजानाथ की शाही शोभायात्रा (ETV Bharat Rajsamand)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 14, 2024, 8:30 PM IST

पुष्पवर्षा व गुलाल-अबीर के बौछार के बीच निकली चारभुजानाथ की शोभायात्रा (ETV Bharat Rajsamand)

राजसमंद: जिले के गढ़बोर में जलझूलनी एकादशी पर सबसे बड़ा मेला भरा. भगवान चारभुजानाथ मंदिर से शाही लवाजमे के साथ सोने के बेवाण में विराजित ठाकुरजी की स्नान यात्रा निकाली गई, जिसमें देशभर से हजारों की संख्या में लोग उमड़ पड़े. अल सुबह 4 बजे से ही छौगाला छेल के जयकारों की गूंज शुरू हो गई, जो शाम तक जारी रही. शाही बेवाण यात्रा के साक्षी बने श्रद्धालुओं ने चारभुजानाथ पर पुष्पवर्षा व गुलाल-अबीर का छिड़काव किया, जिससे शोभायात्रा के मार्ग में आने वाले गली, मोहल्लों की सड़कें गुलाल अबीर से सराबोर हो गई.

ठाकुरजी को कराया शाही स्नान: ठीक दोपहर 12 बजे मंदिर से रवाना हुई शाही स्नान यात्रा ठीक 2 बजे दूध तलाई पहुंची, जहां तलाई में खड़े श्रद्धालुओं ने अपने हाथ से तलाई के पानी की बौछार कर ठाकुरजी को स्नान कराया. इसके बाद दूध तलाई के दूसरे किनारे पर ठाकुरजी को अल्पविश्राम के दौरान अफीम (अमल) का भोग धराने की रस्म निभाई गई. यहां चारभुजानाथ को शुद्ध जल से स्नान कराया गया. दूध तलाई की परिक्रमा करते हुए ठाकुरजी का बेवाण विभिन्न मार्गों से होकर शाम 5 बजे वापस निज मंदिर पहुंच गया.

पढ़ें: जलझूलनी एकादशी : डोल महोत्सव का आगाज, 13 बैंड और 21 घुड़सवारों के साथ भ्रमण पर निकले भगवान - Jaljhulani Ekadashi

जयकारों की गूंज: बेवाण के आगे गुर्जर समुदाय के पुजारियों के साथ श्रद्धालु थाली-मादल, ढोल-नगाड़ों के धूम-धड़ाके के साथ थिरकते चल रहे थे. इस बीच चारभुजानाथ के जयकारों की गूंज आमजन में स्फूर्ति और खुशी का अहसास करा रही थी. मेले में राजस्थान के साथ मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, दिल्ली, इंदौर, सूरत और मुंबई के साथ विभिन्न अंचलों से हजारों में श्रद्धालु पहुंचे. कानून एवं शांति व्यवस्था को लेकर कुंभलगढ़ उपखंड अधिकारी व मेला प्रभारी उपेंद्र शर्मा के नेतृत्व में भारी पुलिस जाब्ता तैनात रहा.

पढ़ें: मेहंदीपुर बालाजी में जलझूलनी एकादशी पर कुआं पूजन कर ठाकुर जी को कराया जल विहार, स्वर्ण आभूषणों से किया श्रृंगार - Jal Jhulni Ekadashi 2024

थिरकते चले पुजारी: शाही बेवाण में विराजित ठाकुरजी की एक झलक पाने के लिए श्रद्धालु उत्साहित रहे. रेवाड़ी के आगे पुजारी अपने हाथों में छड़ी, गोटा, मयूरपंख, भाला, तलवार, बंदूक सहित सोने-चांदी के आयुध लिए चल रहे थे. मेवाड़ी पगड़ी, गले में स्वर्णहार, धोती-कुर्ता पहने पुजारी थिरकते हुए आगे बढ़ रहे थे. पीछे भगवान की सोने की पालकी थी, जो पुजारियों के सुरक्षा घेरे में थी.

पढ़ें: जलझूलनी एकादशी : ठाकुर जी ने धारण किया नटवर वेश, भगवान को डोल में विराजमान कराकर निकाली गई यात्राएं - Jaljhulani Ekadashi 2024

भगवान के साथ भक्त हुए गुलाल में सराबोर: ज्यों ही बेवाण नक्कार खाना चौक पहुंचा, तो चारों ओर से रंगबिरंगी गुलाल-अबीर एवं फूलों की बौछार हुई और बेवाण को छूने के लिए भक्तों में होड़ सी मच गई. इस दौरान उड़ रही गुलाल-अबीर की परवाह किए बगैर हजारों आंखें येनकेन ठाकुरजी के दर्शन को लालायित दिखाई पड़ी. इससे हर शख्स गुलाल में रंग गया. सवारी होली चौक से होते हुए रामी तलाई स्थित छतरी पर पहुंची, तो वहां हरजस का गान किया गया. यहां से सवारी दूध तलाई की ओर बढ़ गई, जहां शाही स्नान हुआ.

पुष्पवर्षा व गुलाल-अबीर के बौछार के बीच निकली चारभुजानाथ की शोभायात्रा (ETV Bharat Rajsamand)

राजसमंद: जिले के गढ़बोर में जलझूलनी एकादशी पर सबसे बड़ा मेला भरा. भगवान चारभुजानाथ मंदिर से शाही लवाजमे के साथ सोने के बेवाण में विराजित ठाकुरजी की स्नान यात्रा निकाली गई, जिसमें देशभर से हजारों की संख्या में लोग उमड़ पड़े. अल सुबह 4 बजे से ही छौगाला छेल के जयकारों की गूंज शुरू हो गई, जो शाम तक जारी रही. शाही बेवाण यात्रा के साक्षी बने श्रद्धालुओं ने चारभुजानाथ पर पुष्पवर्षा व गुलाल-अबीर का छिड़काव किया, जिससे शोभायात्रा के मार्ग में आने वाले गली, मोहल्लों की सड़कें गुलाल अबीर से सराबोर हो गई.

ठाकुरजी को कराया शाही स्नान: ठीक दोपहर 12 बजे मंदिर से रवाना हुई शाही स्नान यात्रा ठीक 2 बजे दूध तलाई पहुंची, जहां तलाई में खड़े श्रद्धालुओं ने अपने हाथ से तलाई के पानी की बौछार कर ठाकुरजी को स्नान कराया. इसके बाद दूध तलाई के दूसरे किनारे पर ठाकुरजी को अल्पविश्राम के दौरान अफीम (अमल) का भोग धराने की रस्म निभाई गई. यहां चारभुजानाथ को शुद्ध जल से स्नान कराया गया. दूध तलाई की परिक्रमा करते हुए ठाकुरजी का बेवाण विभिन्न मार्गों से होकर शाम 5 बजे वापस निज मंदिर पहुंच गया.

पढ़ें: जलझूलनी एकादशी : डोल महोत्सव का आगाज, 13 बैंड और 21 घुड़सवारों के साथ भ्रमण पर निकले भगवान - Jaljhulani Ekadashi

जयकारों की गूंज: बेवाण के आगे गुर्जर समुदाय के पुजारियों के साथ श्रद्धालु थाली-मादल, ढोल-नगाड़ों के धूम-धड़ाके के साथ थिरकते चल रहे थे. इस बीच चारभुजानाथ के जयकारों की गूंज आमजन में स्फूर्ति और खुशी का अहसास करा रही थी. मेले में राजस्थान के साथ मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, दिल्ली, इंदौर, सूरत और मुंबई के साथ विभिन्न अंचलों से हजारों में श्रद्धालु पहुंचे. कानून एवं शांति व्यवस्था को लेकर कुंभलगढ़ उपखंड अधिकारी व मेला प्रभारी उपेंद्र शर्मा के नेतृत्व में भारी पुलिस जाब्ता तैनात रहा.

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थिरकते चले पुजारी: शाही बेवाण में विराजित ठाकुरजी की एक झलक पाने के लिए श्रद्धालु उत्साहित रहे. रेवाड़ी के आगे पुजारी अपने हाथों में छड़ी, गोटा, मयूरपंख, भाला, तलवार, बंदूक सहित सोने-चांदी के आयुध लिए चल रहे थे. मेवाड़ी पगड़ी, गले में स्वर्णहार, धोती-कुर्ता पहने पुजारी थिरकते हुए आगे बढ़ रहे थे. पीछे भगवान की सोने की पालकी थी, जो पुजारियों के सुरक्षा घेरे में थी.

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भगवान के साथ भक्त हुए गुलाल में सराबोर: ज्यों ही बेवाण नक्कार खाना चौक पहुंचा, तो चारों ओर से रंगबिरंगी गुलाल-अबीर एवं फूलों की बौछार हुई और बेवाण को छूने के लिए भक्तों में होड़ सी मच गई. इस दौरान उड़ रही गुलाल-अबीर की परवाह किए बगैर हजारों आंखें येनकेन ठाकुरजी के दर्शन को लालायित दिखाई पड़ी. इससे हर शख्स गुलाल में रंग गया. सवारी होली चौक से होते हुए रामी तलाई स्थित छतरी पर पहुंची, तो वहां हरजस का गान किया गया. यहां से सवारी दूध तलाई की ओर बढ़ गई, जहां शाही स्नान हुआ.

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