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दिल्ली के मंदिरों में लगा देवी भक्तों का तांता, देखें मां कालकाजी की भव्य आरती - shardiya navratri 2024

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : 3 hours ago

Shardiya Navratri 2024: राजधानी में शारदीय नवरात्रि के अवसर पर मंदिरों में भक्तों का हुजूम उमड़ा. इस अवसर पर झंडेवालान मंदिर, छतरपुर मंदिर एवं कालकाजी जैसी प्रसिद्ध मंदिरों में विशेष आरती का आयोजन भी किया गया. पढ़ें पूरी खबर..

शारदीय नवरात्रि 2024
शारदीय नवरात्रि 2024 (ETV Bharat)

नई दिल्ली: शारदीय नवरात्रि के पहले दिन राजधानी के विभिन्न मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी. इनमें झंडेवालान मंदिर, छतरपुर मंदिर और मां कालकाजी मंदिर जैसे बड़े मंदिर भी शामिल रहे. इन मंदिरों में नवरात्रि को लेकर व्यापक तैयारियां की गईं. साथ ही इन मंदिरों में इस अवसर पर देवी भगवती का विशेष श्रृंगार भी किया गया.

किए गए ये इंतजाम: कालकाजी मंदिर के पीठाधीश्वर महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने बताया कि मंदिर में भक्तों के प्रवेश के लिए तीन द्वार और निकास के लिए भी तीन द्वार बनाए गए हैं. नवरात्रि के दौरान मंदिर में लाखों की भीड़ उमड़ती है. वहीं प्रशासन की तरफ से दिल्ली पुलिस और अर्ध सैनिक बलों के जवानों की भी तैनाती हुई है. मंदिर परिसर को सीसीटीवी कैमरे से निगरानी रखी जा रही है और भक्तों की भीड़ को नियंत्रित करने व अन्य जरूरी सूचनाएं को लगातार प्रेषित किया जा रहा है. नवरात्रि के पहले दिन यहां लोगों की भारी भीड़ देखी गई.

इन मंदिरों में भी भव्य पूजन: इसी तरह शारदीय नवरात्रि 2024 के पहले दिन छतरपुर मंदिर और झंडेवालान मंदिर में भी भव्य आरती की गई. इस दौरान सुबह से ही भक्तों का तांता लगा रहा, जिन्होंने मां भगवती के सामने शीश नवाया. वहीं उनमें गजब का उत्साह देखा गया. झंडेवालान मंदिर में नवरात्रि में प्रात: 4:00 बजे व सांयकाल 7:00 बजे दो समय माता की श्रृंगार आरती की जाती है. यहां सुरक्षा के लिएं परिसर व बाहर 260 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, जिससे पुलिस की टीम कड़ी निगरानी रखेगी.

यह भी पढ़ें- नोएडाः मंदिरों और पांडालों में किए गए सुरक्षा के व्यापक इंतजाम, माहौल खराब करने वालों की खैर नहीं!

मां शैलपुत्री की पूजा का है विधान: बता दें की शारदीय नवरात्रि के पहले दिन, देवी शैलपुत्री की पूजा करने का विधान है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, हिमालयराज के घर जब पुत्री का जन्म हुआ तो उनका नाम शैलपुत्री रखा गया. मां शैलपुत्री का वाहन वृषभ है, इसलिए इन्हें वृषारूढा के नाम से भी बुलाया जाता है. मां शैलपुत्री के दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल होता हैं. उन्हें सती के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि वह सती मां का ही दूसरा रूप हैं.

यह भी पढ़ें- नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की ऐसे करें पूजा, जानें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

यह भी पढ़ें- शारदीय नवरात्रि 2024: मां शैलपुत्री का यह प्रिय भोग, करें मंत्र जप और पाएं सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य का आशीर्वाद

नई दिल्ली: शारदीय नवरात्रि के पहले दिन राजधानी के विभिन्न मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी. इनमें झंडेवालान मंदिर, छतरपुर मंदिर और मां कालकाजी मंदिर जैसे बड़े मंदिर भी शामिल रहे. इन मंदिरों में नवरात्रि को लेकर व्यापक तैयारियां की गईं. साथ ही इन मंदिरों में इस अवसर पर देवी भगवती का विशेष श्रृंगार भी किया गया.

किए गए ये इंतजाम: कालकाजी मंदिर के पीठाधीश्वर महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने बताया कि मंदिर में भक्तों के प्रवेश के लिए तीन द्वार और निकास के लिए भी तीन द्वार बनाए गए हैं. नवरात्रि के दौरान मंदिर में लाखों की भीड़ उमड़ती है. वहीं प्रशासन की तरफ से दिल्ली पुलिस और अर्ध सैनिक बलों के जवानों की भी तैनाती हुई है. मंदिर परिसर को सीसीटीवी कैमरे से निगरानी रखी जा रही है और भक्तों की भीड़ को नियंत्रित करने व अन्य जरूरी सूचनाएं को लगातार प्रेषित किया जा रहा है. नवरात्रि के पहले दिन यहां लोगों की भारी भीड़ देखी गई.

इन मंदिरों में भी भव्य पूजन: इसी तरह शारदीय नवरात्रि 2024 के पहले दिन छतरपुर मंदिर और झंडेवालान मंदिर में भी भव्य आरती की गई. इस दौरान सुबह से ही भक्तों का तांता लगा रहा, जिन्होंने मां भगवती के सामने शीश नवाया. वहीं उनमें गजब का उत्साह देखा गया. झंडेवालान मंदिर में नवरात्रि में प्रात: 4:00 बजे व सांयकाल 7:00 बजे दो समय माता की श्रृंगार आरती की जाती है. यहां सुरक्षा के लिएं परिसर व बाहर 260 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, जिससे पुलिस की टीम कड़ी निगरानी रखेगी.

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मां शैलपुत्री की पूजा का है विधान: बता दें की शारदीय नवरात्रि के पहले दिन, देवी शैलपुत्री की पूजा करने का विधान है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, हिमालयराज के घर जब पुत्री का जन्म हुआ तो उनका नाम शैलपुत्री रखा गया. मां शैलपुत्री का वाहन वृषभ है, इसलिए इन्हें वृषारूढा के नाम से भी बुलाया जाता है. मां शैलपुत्री के दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल होता हैं. उन्हें सती के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि वह सती मां का ही दूसरा रूप हैं.

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