ETV Bharat / state

सूईंया मेले में 'अमिट छाप' लगवाने के लिए श्रद्धालुओं में जबरदस्त उत्साह, लग रही कतारें - SUIYA FAIR IN BARMER

चौहटन में सूईंया मेले में लगाई जाने वाली अमिट छाप को लेकर श्रद्धालुओं में बहुत क्रेज है. इसे लगवाने के लिए लंबी कतार लगती है.

Suiya Fair In Barmer
सूईंया मेले में अमिट छाप लगवाता एक श्रद्धालु (ETV Bharat Barmer)
author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 30, 2024, 6:42 PM IST

बाड़मेर: जिले में चल रहे 'मरूकुंभ' सूईंया धाम मंदिर मेले में एक अनोखी छाप का चलन जोरों पर है. यह छाप अपनी भुजा पर लगाने के लिए श्रद्धालु वर्षों तक इंतजार करते हैं. यह मेला विशेष पंचयोग होने पर लगता है. इस बार यह अवसर सात साल बाद आया है. ऐसे में श्रद्धालुओं में इस छाप को लगवाने को लेकर उत्साह देखने लायक बन रहा है.

मान्यता है कि सूईंया मेले की छाप महादेव का प्रतीक है, इसलिए यह भक्तों के लिए अत्यंत पवित्र है. यह छाप अमिट होती है. यह श्रद्धालुओं के लिए उनकी आस्था और विश्वास का प्रतीक बन गई है. दरसअल, 7 साल के बाद जिले के चौहटन में यह मेला लगता है. इस​ दिन पौष माह, अमावस्या, सोमवार, व्यातिपात योग एवं मूल नक्षत्र का पंच महायोग बनता है, इसलिए मरुकुभ सूईंया मेला आयोजित हो रहा है. इससे पहले यह मेला वर्ष 2017 में पंच योग होने पर भरा था.

डूंगरपुरी मठ के महंत जगदीश पुरी. (ETV Bharat Barmer)

पढ़ें: 7 साल बाद बना संयोग, ध्वजारोहण के साथ ही मारवाड़ के मरूकुंभ सूईंया मेले का हुआ शुभारंभ

खुशी से लगवाते हैं सूईंया की निशानी: डूंगरपुरी मठ के महंत जगदीश पुरी ने बताया कि यह छाप यहां के प्रमुख मठ डूंगरपुरी मठ के आगे लगाई जाती है. इसे लगवाने के लिए हजारों लोगों की कतार लगती है.सुर्ख लाल तांबे से लोगों के बांह पर यह खास छाप लगाई जाती है. यह इस मरुकुंभ की खास निशानी है. छाप में शरीर पर शिवलिंग की आकृति उकेरी जाती है. यह तांबे से बनी होती है. इसे हल्का सा गर्म और ठंडी करके लगाया जाता है. उन्होंने बताया कि सुईंया मेले में आने वाले श्रद्धालु स्वविवेक ओर अपनी मर्जी से हाथ की बाजू पर मठ और मेले की छाप लगवाते हैं. सूईंया मेले के दौरान छाप लगवाने के लिए मठ के आगे वाले गेट धर्मराज मंदिर के पास पीछे वाले गेट पर जाल के पास एवं भजन-सत्संग के मंच के पास छाप लगाने के स्थान निर्धारित किए गए है.

बाड़मेर: जिले में चल रहे 'मरूकुंभ' सूईंया धाम मंदिर मेले में एक अनोखी छाप का चलन जोरों पर है. यह छाप अपनी भुजा पर लगाने के लिए श्रद्धालु वर्षों तक इंतजार करते हैं. यह मेला विशेष पंचयोग होने पर लगता है. इस बार यह अवसर सात साल बाद आया है. ऐसे में श्रद्धालुओं में इस छाप को लगवाने को लेकर उत्साह देखने लायक बन रहा है.

मान्यता है कि सूईंया मेले की छाप महादेव का प्रतीक है, इसलिए यह भक्तों के लिए अत्यंत पवित्र है. यह छाप अमिट होती है. यह श्रद्धालुओं के लिए उनकी आस्था और विश्वास का प्रतीक बन गई है. दरसअल, 7 साल के बाद जिले के चौहटन में यह मेला लगता है. इस​ दिन पौष माह, अमावस्या, सोमवार, व्यातिपात योग एवं मूल नक्षत्र का पंच महायोग बनता है, इसलिए मरुकुभ सूईंया मेला आयोजित हो रहा है. इससे पहले यह मेला वर्ष 2017 में पंच योग होने पर भरा था.

डूंगरपुरी मठ के महंत जगदीश पुरी. (ETV Bharat Barmer)

पढ़ें: 7 साल बाद बना संयोग, ध्वजारोहण के साथ ही मारवाड़ के मरूकुंभ सूईंया मेले का हुआ शुभारंभ

खुशी से लगवाते हैं सूईंया की निशानी: डूंगरपुरी मठ के महंत जगदीश पुरी ने बताया कि यह छाप यहां के प्रमुख मठ डूंगरपुरी मठ के आगे लगाई जाती है. इसे लगवाने के लिए हजारों लोगों की कतार लगती है.सुर्ख लाल तांबे से लोगों के बांह पर यह खास छाप लगाई जाती है. यह इस मरुकुंभ की खास निशानी है. छाप में शरीर पर शिवलिंग की आकृति उकेरी जाती है. यह तांबे से बनी होती है. इसे हल्का सा गर्म और ठंडी करके लगाया जाता है. उन्होंने बताया कि सुईंया मेले में आने वाले श्रद्धालु स्वविवेक ओर अपनी मर्जी से हाथ की बाजू पर मठ और मेले की छाप लगवाते हैं. सूईंया मेले के दौरान छाप लगवाने के लिए मठ के आगे वाले गेट धर्मराज मंदिर के पास पीछे वाले गेट पर जाल के पास एवं भजन-सत्संग के मंच के पास छाप लगाने के स्थान निर्धारित किए गए है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.