बाड़मेर: जिले में चल रहे 'मरूकुंभ' सूईंया धाम मंदिर मेले में एक अनोखी छाप का चलन जोरों पर है. यह छाप अपनी भुजा पर लगाने के लिए श्रद्धालु वर्षों तक इंतजार करते हैं. यह मेला विशेष पंचयोग होने पर लगता है. इस बार यह अवसर सात साल बाद आया है. ऐसे में श्रद्धालुओं में इस छाप को लगवाने को लेकर उत्साह देखने लायक बन रहा है.
मान्यता है कि सूईंया मेले की छाप महादेव का प्रतीक है, इसलिए यह भक्तों के लिए अत्यंत पवित्र है. यह छाप अमिट होती है. यह श्रद्धालुओं के लिए उनकी आस्था और विश्वास का प्रतीक बन गई है. दरसअल, 7 साल के बाद जिले के चौहटन में यह मेला लगता है. इस दिन पौष माह, अमावस्या, सोमवार, व्यातिपात योग एवं मूल नक्षत्र का पंच महायोग बनता है, इसलिए मरुकुभ सूईंया मेला आयोजित हो रहा है. इससे पहले यह मेला वर्ष 2017 में पंच योग होने पर भरा था.
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खुशी से लगवाते हैं सूईंया की निशानी: डूंगरपुरी मठ के महंत जगदीश पुरी ने बताया कि यह छाप यहां के प्रमुख मठ डूंगरपुरी मठ के आगे लगाई जाती है. इसे लगवाने के लिए हजारों लोगों की कतार लगती है.सुर्ख लाल तांबे से लोगों के बांह पर यह खास छाप लगाई जाती है. यह इस मरुकुंभ की खास निशानी है. छाप में शरीर पर शिवलिंग की आकृति उकेरी जाती है. यह तांबे से बनी होती है. इसे हल्का सा गर्म और ठंडी करके लगाया जाता है. उन्होंने बताया कि सुईंया मेले में आने वाले श्रद्धालु स्वविवेक ओर अपनी मर्जी से हाथ की बाजू पर मठ और मेले की छाप लगवाते हैं. सूईंया मेले के दौरान छाप लगवाने के लिए मठ के आगे वाले गेट धर्मराज मंदिर के पास पीछे वाले गेट पर जाल के पास एवं भजन-सत्संग के मंच के पास छाप लगाने के स्थान निर्धारित किए गए है.