हरिद्वार: पितृ अमावस्या के पावन पर्व पर धर्म नगरी हरिद्वार की हर की पौड़ी पर सुबह से ही श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा है. देश के अलग-अलग राज्यों से हरिद्वार पहुंचकर मां गंगा में श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा रहे हैं. पितरों को मोक्ष की प्राप्ति के लिए श्रद्धालु गंगा स्नान कर पिंडदान और दान पुण्य कर रहे हैं. कहा जाता है कि जो भी श्राद्ध पक्ष में अपने पितरों को जल नहीं दे पाया है, वह पितृ अमावस्या के दिन गंगा में स्नान कर अपने पितरों को जल अर्पित कर सकते हैं. ऐसा करने से पितरों को मोक्ष मिलता है.
आज है सर्व पितृ अमावस्या: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का प्रत्येक दिन महत्वपूर्ण होता है. पूर्वजों की मृत्यु की तिथि के आधार पर उनका श्राद्ध किया जाता है. यदि किसी को तिथि याद नहीं है, तो सर्व पितृ अमावस्या के दिन विधि-विधान से पितरों का तर्पण करना चाहिए. ऐसी मान्यता है कि इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है. वह प्रसन्न होकर अपने धाम वापस जाते हैं. पितृ पक्ष का आखिरी दिन सर्व पितृ अमावस्या होता है और सनातन धर्म में इसका विशेष महत्व माना गया है.
हरिद्वार में गंगा स्नान के लिए उमड़ा श्रद्धालुओं का रेला: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गंगा स्नान करने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है. देवी-देवताओं का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है. अमावस्या तिथि के दिन गंगा स्नान करना बहुत ही लाभकारी माना गया है. खासतौर पर सर्व पितृ अमावस्या के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व माना गया है. कहते हैं कि सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितर गंगा पर जाते हैं. फिर वहीं से अपने पितृ लोक की ओर प्रस्थान करते हैं. ऐसे में यदि इस दिन गंगा स्नान किया जाए, तो पितर प्रसन्न होते हैं और उनकी आत्मा को शांति मिलती है. जिस व्यक्ति पर पितरों का आशीर्वाद होता है, उसके जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है.
सर्व पितृ अमावस्या का शुभ मुहूर्त: आज सर्व पितृ अमावस्या है. अगर किसी ने पितृ पक्ष के 15 दिनों में श्राद्ध, तर्पण नहीं किया है, तो वो आज बुधवार को पितृ अमावस्या के दिन 15 दिनों की जगह एक दिन ही श्राद्ध तर्पण कर सकते हैं. अमावस्या मंगलवार 1 अक्टूबर को रात्रि 9:39 बजे से शुरू हो चुकी है. इसका समापन 3 अक्टूबर को रात्रि 12:18 बजे होगा. ऐसे में आज बुधवार 2 अक्टूबर को सर्व पितृ अमावस्या मनाई जा रही है.
ऐसे करें पितरों को तर्पण और पिंडदान: सुबह जल्दी उठकर स्नान के बाद साफ कपड़े पहनकर सूर्यदेव को जल चढ़ाएं. इस समय पूर्वजों का ध्यान करें. जल अर्पित करते समय मुख दक्षिण दिशा की तरफ रखें. हाथ में कुश और काले तिल को लेकर तर्पण करें. जौ का प्रयोग भी कर सकते हैं. अपने पितरों की शांति के लिए शास्त्रों में जिन मंत्रों के बारे में बताया गया है, उनका जाप करें. इससे पितर खुश होंगे और आज सर्व पितृ अमावस्या पर अपने वंशजों को आशीर्वाद देकर पितृ लोग को लौट जाएंगे.
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