लखनऊ : राजधानी समेत इसके आसपास के 6 जिलों को मिलाकर राज्य राजधानी क्षेत्र बनाने के प्रस्ताव को विधानसभा मंजूरी मिल गई. इसके साथ ही स्टेट कैपिटल रीजन (SCR) को NCR की तर्ज पर विकसित करने पर अंतिम मुहर लग गई. बुधवार को उत्तर प्रदेश राज्य राजधानी क्षेत्र (एससीआर) विधेयक के साथ ही नजूल सम्पत्ति, 2024 विधेयक भी पारित हो गया. इन दोनों विधेयकों को योगी सरकार ने अध्यादेश लाने के बाद निर्धारित समयसीमा के अंदर विधानसभा में प्रस्तुत किया.
क्या है स्टेट कैपिटल रीजन : उत्तर प्रदेश राज्य राजधानी क्षेत्र (SCR) विधेयक के तहत NCR की तर्ज पर इसका गठन किया जाएगा. इसमें लखनऊ और पड़ोसी जिलों उन्नाव, हरदोई, सीतापुर, रायबरेली, और बाराबंकी को मिलकर एससीआर का गठन होगा. इन जिलों का तेजी से विकास हो सकेगा. यहां के लोगों को एनसीआर की तर्ज पर सुविधाएं प्रदान की जा सकेंगी. क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण अपने क्षेत्र के लिए निगम, स्थानीय निकाय एवं विभिन्न सरकारी विभागों के समन्वय से क्षेत्रीय योजना तैयार करेगा. निजी व सार्वजनिक क्षेत्र में बुनियादी ढांचा संबंधी परियोजनाओं, जनसुविधाओं का समूचे क्षेत्र की आवश्यकता के अनुसार विकसित किया जाएगा. आवास, यातायात, उद्योग, रोजगार सृजन में बढ़ोत्तरी होगी.
चलेगी सिटी बस, मेट्रो: लखनऊ से उन्नाव, हरदोई, रायबरेली, सीतापुर, बाराबंकी तक सिटी बस और मेट्रो रेल सेवा संचालित की जाएगी. जिससे लाखों नागरिकों को लाभ होगा. इन शहरों में जलापूर्ति व्यवस्था, मानचित्र पास करने की व्यवस्था, बिजली व्यवस्था और ऐसे ही अनेक इंतजाम एकरूप होंगे. स्टेट कैपिटल रीजन के लिए आपत्ति और सुझावों का निस्तारण पहले ही कर दिया गया है.
राजधानी लखनऊ सहित उन्नाव, हरदोई, रायबरेली, सीतापुर और बाराबंकी को राज्य राजधानी क्षेत्र में शामिल करने को लेकर आवास विभाग ने यह फैसला लिया था. इस संबंध में यूपी सरकार ने आम लोगों से आपत्ति और सुझाव मांगे थे. आवास विभाग और आवास बंधु की वेबसाइट पर स्टेट कैपिटल रीजन का ड्राफ्ट डाल दिया गया था.
विधेयक के प्रमुख प्रावधान : स्टेट कैपिटल रीजन तथा अन्य रीजन्स के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में रीजनल डेवलपमेंट अथाॅरिटी का गठन प्रस्तावित है. जिसमें मुख्य सचिव, उपाध्यक्ष, अपर मुख्य सचिव आवास एवं शहरी नियोजन विभाग पदेन सदस्य होंगे. इसके अतिरिक्त कार्यकारी समिति होगी. जिसके अध्यक्ष, रीजनल डेवलपमेंट अथाॅरिटी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी होंगे.
27 हजार 860 वर्ग मीटर एरिया : इसके गठन के लिए राज्य सरकार पर किसी प्रकार का व्यय भार प्रस्तावित नहीं है. इसके तहत सभी 6 जिलों के 27 हजार 860 वर्ग मीटर एरिया को समेटकर राज्य राजधानी क्षेत्र बनाया गया है. इससे इन सभी जिलों में तेज विकास किया जा सकेगा और यहां रहने वाले लोगों को एनसीआर की तर्ज पर सुविधाएं प्रदान की सकेंगी.
नजूल संपति विधेयक 2024 भी पास : वहीं नजूल संपति विधेयक 2024 के तहत सरकार ने नजूल भूमि को संरक्षित करते हुए इन भूमि को निजी व्यक्तियों/संस्थाओं के पक्ष में पूर्ण स्वामित्व के रूप में घोषित करने के बजाय इसका उपयोग केवल सार्वजनिक उपयोगिता के लिए किए जाने का निश्चय किया है. दोनों ही विधेयकों को विधानसभा में वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने प्रस्तुत किया.
विधेयक की खास बातें
- पारित विधेयक के मुताबिक नजूल भूमि के पूर्ण स्वामित्व परिवर्तन संबंधी किसी भी न्यायालय की कार्यवाही या प्राधिकारी के समक्ष आवेदन निरस्त हो जाएंगे और अस्वीकृत समझे जाएंगे.
- यदि इस संबंध में कोई धनराशि जमा की गई है तो ऐसे जमा किए जाने की तारीख से उसे भारतीय स्टेट बैंक की मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (एमसीएलआर) की ब्याज दर पर कैलकुलेट करते हुए धनराशि वापस कर दी जाएगी.
- नजूल भूमि के ऐसे पट्टाधारक जिनका पट्टा अभी भी चालू है और नियमित रूप से पट्टा किराया जमा कर रहे हैं और पट्टे की किसी भी शर्त का उल्लंघन नहीं किया है, के पट्टों को सरकार या तो ऐसी शर्तों पर जैसा सरकार समय-समय पर निर्धारित करती है, जारी रख सकती है या ऐसे पट्टों का निर्धारण कर सकती है.
- पट्टा अवधि की समाप्ति के बाद ऐसी भूमि समस्त विलंगमों से मुक्त होकर स्वतः राज्य सरकार में निहित हो जाएगी.इस अधिनियम के अंतर्गत नजूल भूमि का आरक्षण एवं उसका उपयोग केवल सार्वजनिक इकाइयों के लिए ही किया जाएगा.