गोड्डा: झारखंड के गोड्डा लोकसभा सीट पर अलग राज्य बनने के बाद चुनावी इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है जब कोई भी मुस्लिम उम्मीदवार मैदान मे नहीं है. जबकि गोड्डा लोकसभा सीट अल्पसंख्यक बाहुल्य आबादी वाला संसदीय क्षेत्र है. झारखंड निर्माण के बाद एक मात्र मुस्लिम सांसद फुरकान अंसारी कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीत कर सदन में गए हैं.
गोड्डा लोकसभा सीट की बात करें तो यहां अनुमान के मुताबिक सर्वाधिक चार लाख मुस्लिम मतदाताओं की आबादी है. जबकि गोड्डा लोकसभा क्षेत्र में कुल वोटर की संख्या बीस लाख है. झारखंड निर्माण के बाद गोड्डा में एक उपचुनाव 2002 समेत कुल पांच चुनाव हुए हैं. जिसमें अब तक सभी चुनाव में मुस्लिम उम्मीदवार की भागीदारी रही है. राज्य निर्माण के बाद लोकसभा 2024 छठा चुनाव है, ये पहली बार है जब जिसमें कोई भी मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में नहीं है. ये गणित किसी के लिए सुकून देने वाला है तो किसी के लिए कष्ट देने वाला भी है.
वरिष्ठ पत्रकार हेमचंद्र का मानना है कि गोड्डा लोकसभा सीट पर मुस्लिम उम्मीदवार नहीं होने से दो बातें होंगी, एक तो मुस्लिम मतों का बिखराव नहीं होगा. जिसका फायदा कांग्रेस प्रत्याशी को मिलेगा. वहीं, मुस्लिम मतों के बिखराव नहीं होने से भाजपा उम्मीदवार की परेशानी थोड़ी बढ़ सकती है, क्योंकि इसी कड़ी में पिछले दिनों निवर्तमान सांसद और भाजपा प्रत्याशी निशिकांत दुबे का भी आया था, जिसमे उन्होंने कहा था कि उनका मुकाबला ओबैसी के AIMIM पार्टी के उम्मीदवार से है.
इस बार चुनावी मैदान में गोड्डा से कुल दो मुस्लिम उम्मीदवार मो नूर हसन और समता पार्टी और मो मंसूर मंसूरी ने AIMIM से नामांकन किया था, जिनमें नूर हसन का पर्चा रद्द हो गया और ओवैसी की पार्टी उम्मीदवार ने पर्चा वापस ले लिया. ऐसे में अब यहा कोई भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं है.
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