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डेनमार्क की तकनीक से सेफ्टी टैंक का पानी होगा शुद्ध, घर-घर पहुंचकर 6 करोड़ की मशीन करेगी यह कमाल - clean toilet water

गोरखपुर में डेनमार्क की तकनीक से सेफ्टी टैंक (Denmark technology purify water) का पानी शुद्ध किया जाएगा. नगर निगम बहुत जल्द इस प्रक्रिया को शुरू करने जा रहा है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 17, 2024, 3:54 PM IST


गोरखपुर: सेफ्टी टैंक यानी की शौचालय का पानी अब पूरी तरह से साफ हो सकेगा. सफाई के साथ इसके मलबे से खाद भी बनायी जाएगी. यह कमाल वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से नहीं, बल्कि 6 करोड़ की मशीन से होगा. इस पूरी प्रकिया में डेनमार्क की तकनीक का उपयोग किया जाएगा, जो गोरखपुर नगर निगम क्षेत्र में बहुत जल्द शुरू होगी.

एक सहायक नगर आयुक्त स्तर के अफसर को इसके तकनीक ज्ञान को जानने और समझने के लिए डेनमार्क भेजा जायेगा, जो मशीन की बरीकियों को जानेंगे. शासन स्तर से इसके लिए नगर निगम को "डी वाटर फीकल स्लज सेफ्टी" मशीन दी जाने वाली है. जिसके क्रम में उसके प्रयोग से पूर्व जरूरी उपायों पर काम हो रहा है. यह मशीन एस्टीपी युक्त होगी, जिसे कहीं भी गली, मोहल्ले में ले जाकर सफाई कार्य किया जा सकेगा. इससे अनहोनी भी नहीं होगी. ट्रीटमेंट से शुद्ध हुए पानी को नदी या कृषि कार्य के उपयोग में लाया जा सकेगा.

नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने बताया कि इस कार्य में 6 करोड़ की लागत की मशीन का उपयोग किया जाएगा. जो शौचालय के गंदे पानी का ट्रीटमेंट करेगी. इसके प्रशिक्षण के लिए नगर निगम के स्वच्छ भारत मिशन के नोडल अधिकारी डॉक्टर मणि भूषण तिवारी को अगले महीने डेनमार्क भेजा जाएगा. यहां अन्य नगर निगम के अधिकारी भी प्रशिक्षण के लिए जाएंगे. जिससे भविष्य में सेफ्टी टैंक के पानी का उपयोग नहीं, सदुपयोग किया जा सकेगा. इससे पर्यावरणीय प्रदूषण को भी लाभ होगा और लोगों को भी परेशानी से निजात मिलेगी.

इसे भी पढ़े-आगरा नगर निगम के पशु कल्याण अधिकारी पर 7 करोड़ रुपये गबन का आरोप, मेयर ने कहा- होगी रिकवरी

नगर आयुक्त ने बताया कि अभी तक सेफ्टी टैंक की सफाई के बाद उसके पानी को ट्रीटमेंट के लिए भेजा जाता है. बिना ट्रीटमेंट के पानी को नदी में कुछ प्राइवेट गाड़ी चालक डाल देते हैं. इस पर भी निगरानी बढ़ाई गई है. शहर में जो भी वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए हैं, उन्हें वहां ऐसे पानी को ले जाने की हिदायत दी गई है. इस मशीन की मदद से सेफ्टी टैंक के सूखे वेस्ट से खाद बनाया जा सकेगा. इस प्रकिया में जो पानी स्वच्छ बनेगा, उसे खेती के लिए प्रयोग में लाया जा सकेगा और नदियों में भी छोड़ा जा सकेगा.

नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने कहा, कि ग्राउंड वाटर लेवल को स्वच्छ रखने के साथ ही अपने आसपास के वातावरण, नदियों, जलाशयों को स्वच्छ रखने में यह व्यवस्था बड़ी भूमिका निभाएगा. उन्होंने कहा, कि शहर के चारों दिशाओं में एसटीपी बनाए जाने का कार्य चल रहा है. रामगढ़ ताल के किनारे एसटीपी कई वर्षों से कार्य कर रहा है, तो इसी प्रकार अब राप्ती नदी, जो इस शहर की प्रमुख नदी है, उसके भी जल को शुद्ध करने के लिए कार्य किया जाएगा. इसी तरह सभी जल को शुद्ध बनाना है, जो प्रदूषण का कारण बन सकते हैं. इसलिए ऐसे उपाय पर कार्य हो रहा है.

यह भी पढ़े-बीएमसी ने रिकॉर्ड 60 हजार करोड़ रुपये का बजट पेश किया


गोरखपुर: सेफ्टी टैंक यानी की शौचालय का पानी अब पूरी तरह से साफ हो सकेगा. सफाई के साथ इसके मलबे से खाद भी बनायी जाएगी. यह कमाल वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से नहीं, बल्कि 6 करोड़ की मशीन से होगा. इस पूरी प्रकिया में डेनमार्क की तकनीक का उपयोग किया जाएगा, जो गोरखपुर नगर निगम क्षेत्र में बहुत जल्द शुरू होगी.

एक सहायक नगर आयुक्त स्तर के अफसर को इसके तकनीक ज्ञान को जानने और समझने के लिए डेनमार्क भेजा जायेगा, जो मशीन की बरीकियों को जानेंगे. शासन स्तर से इसके लिए नगर निगम को "डी वाटर फीकल स्लज सेफ्टी" मशीन दी जाने वाली है. जिसके क्रम में उसके प्रयोग से पूर्व जरूरी उपायों पर काम हो रहा है. यह मशीन एस्टीपी युक्त होगी, जिसे कहीं भी गली, मोहल्ले में ले जाकर सफाई कार्य किया जा सकेगा. इससे अनहोनी भी नहीं होगी. ट्रीटमेंट से शुद्ध हुए पानी को नदी या कृषि कार्य के उपयोग में लाया जा सकेगा.

नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने बताया कि इस कार्य में 6 करोड़ की लागत की मशीन का उपयोग किया जाएगा. जो शौचालय के गंदे पानी का ट्रीटमेंट करेगी. इसके प्रशिक्षण के लिए नगर निगम के स्वच्छ भारत मिशन के नोडल अधिकारी डॉक्टर मणि भूषण तिवारी को अगले महीने डेनमार्क भेजा जाएगा. यहां अन्य नगर निगम के अधिकारी भी प्रशिक्षण के लिए जाएंगे. जिससे भविष्य में सेफ्टी टैंक के पानी का उपयोग नहीं, सदुपयोग किया जा सकेगा. इससे पर्यावरणीय प्रदूषण को भी लाभ होगा और लोगों को भी परेशानी से निजात मिलेगी.

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नगर आयुक्त ने बताया कि अभी तक सेफ्टी टैंक की सफाई के बाद उसके पानी को ट्रीटमेंट के लिए भेजा जाता है. बिना ट्रीटमेंट के पानी को नदी में कुछ प्राइवेट गाड़ी चालक डाल देते हैं. इस पर भी निगरानी बढ़ाई गई है. शहर में जो भी वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए हैं, उन्हें वहां ऐसे पानी को ले जाने की हिदायत दी गई है. इस मशीन की मदद से सेफ्टी टैंक के सूखे वेस्ट से खाद बनाया जा सकेगा. इस प्रकिया में जो पानी स्वच्छ बनेगा, उसे खेती के लिए प्रयोग में लाया जा सकेगा और नदियों में भी छोड़ा जा सकेगा.

नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने कहा, कि ग्राउंड वाटर लेवल को स्वच्छ रखने के साथ ही अपने आसपास के वातावरण, नदियों, जलाशयों को स्वच्छ रखने में यह व्यवस्था बड़ी भूमिका निभाएगा. उन्होंने कहा, कि शहर के चारों दिशाओं में एसटीपी बनाए जाने का कार्य चल रहा है. रामगढ़ ताल के किनारे एसटीपी कई वर्षों से कार्य कर रहा है, तो इसी प्रकार अब राप्ती नदी, जो इस शहर की प्रमुख नदी है, उसके भी जल को शुद्ध करने के लिए कार्य किया जाएगा. इसी तरह सभी जल को शुद्ध बनाना है, जो प्रदूषण का कारण बन सकते हैं. इसलिए ऐसे उपाय पर कार्य हो रहा है.

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