लखनऊ: पूरे यूपी में इस समय डेंगू का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है. लखनऊ में बीते दिनों डेंगू से कई मौत हुई. प्रदेश में इस समय लगभग 400 मरीज हैं. राजधानी का सबसे पुराना क्षेत्र फैजुल्लागंज डेंगू की गिरफ्त में है. पिछले कुछ वर्षों का आंकड़ा आपको हैरान कर देगा. यह एक ऐसा क्षेत्र है जो सबसे पहले डेंगू की चपेट में आता है. आलम यह है कि लोग यहां पलायन करना शुरू कर देते हैं.
खराब है हालात: क्षेत्रीय निवासी अभिषेक मिश्रा ने बताया, कि हर साल जब भी कोई बीमारी शुरू होती है, तो सबसे पहले शुरुआत फैजुल्लागंज क्षेत्र से होती है. लोग बीमारी से परेशान होकर इधर-उधर भटकते रहते हैं. बीमारी होने का जड़ ही है कि यहां पर साफ सफाई बिल्कुल भी नहीं है. नाली खुली हुई है. कूड़ा उठाने वाले यहां आते नहीं है. स्वास्थ्य विभाग की कोई भी टीम निरीक्षण करने या जांच करने नहीं आती है. नगर निगम की टीम एंटी लार्वा का छिड़काव तक नहीं करवाती. ऐसे में हर बार स्थिति ऐसी बनती है, कि हर घर में लोग बीमार पड़ जाते हैं. स्थानीय लोगों ने कहना है, कि अभी अक्टूबर का महीना लगा तक नहीं है. लेकिन, बच्चे अभी से बीमार पड़ गए हैं. किसी को डेंगू है तो किसी को मलेरिया है.
शिवप्रकाश मिश्रा ने बताया, कि फैजुल्लागंज वार्ड नंबर 4 में हमेशा ऐसी स्थिति बनती है, कि लोग अपना घर छोड़कर दूसरे जगह जाने लगते हैं. इस बात में पूरी सच्चाई है. यह कोई झूठी बात नहीं है. यहां की स्थिति खराब है. आए दिन लोग बीमार पड़ते हैं. यहां तक की बहुत से लोग डेंगू और मलेरिया के चलते जिंदगी से हाथ धो बैठते हैं. फिर भी किसी की आंखें नहीं खुलती. जिम्मेदार व्यक्ति निरीक्षण करने तक नहीं आते हैं. यहां के सभासद रामू दास कनौजिया हैं. वह सिर्फ वोट मांगने के लिए आते हैं. कई बार शिकायत की कई बार नगर निगम को लिखित पत्र भेजा. कई बार सभासद को पत्र भेजा लेकिन, कोई भी सुनवाई नहीं हुई. हर साल यहां रहने वाले लोग डेंगू मलेरिया की चपेट में आते हैं.
ज्योति सिंह ने कहा, कि यहां पर बहुत ज्यादा दिक्कत है बीमारियों की शुरुआत ही इसी क्षेत्र से होती है और घर के सभी सदस्य एक साथ बीमार पड़ जाते हैं. अभी संचारी रोग चल रहे हैं. डेंगू मलेरिया से हर घर में कोई ना कोई बीमार पड़ा है. घर के बाहर बैठने में हालत खराब हो जाती है. दिन में इतने मच्छर लगते हैं, तो रात का तो पूछिए ही मत. बच्चों को स्कूल ले जाना मुश्किल हो जाता है. एक-एक हफ्ता बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं. बच्चों की पढ़ाई छूट जाती है.
नहीं पहुंचती नगर निगम की टीम: स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले सात वर्षों से फैजुल्लागंज के इस वार्ड में लोग रह रहे है. कोई भी बदलाव नहीं हुआ है. यहां तक की यह क्षेत्र पिछले 10 वर्षों से नगर निगम के अंतर्गत आता है, लेकिन यहां का कोई भी कार्य नहीं हुआ है. नगर निगम के टीम आती ही नहीं है. न ही यहां पर कभी कोई टीम एंटी लार्वा का छिड़काव करने आती है और न ही यहां पर साफ सफाई करने के लिए कोई कर्मचारी आते हैं, लेकिन नगर निगम के अंतर्गत आने के बाद पिछले दस वर्षों से नगर निगम हर वर्ष हाउस टैक्स शुल्क लेता है.
सम्भावित बीमारी के शुरुआती लक्षण
- तीन दिन से अगर लगातार बुखार हैं तो डॉक्टर से परामर्श ले और जांच कराएं.
- बुखार एवं शरीर पर दाने (चकत्ते)
- जोड़ो या मांसपेशियों में दर्द.
- ऑखे लाल होना
- सिर में दर्द व भारीपन महसूस करना.
रोकथाम एवं नियन्त्रण
- घर के आस-पास पानी जमा न होने.
- पानी से भरे हुए बर्तनों एवं टंकियों को ढक कर रखें.
- समय-समय के अन्तराल पर कूलर को खाली करके साफ कपडे़ से पोछ कर सूखा एवं साफ करने के बाद ही दोबारा प्रयोग करें.
- पूरी बाह के कपडे पहनने.
- बच्चों को घर से बाहर न निकलने दें.
- मच्छर रोधी क्रीम लगाने एवं मच्छरदानी का प्रयोग करें.
- वेक्टर नियन्त्रण के लिए भूमिगत पानी का संग्रहण स्थान, बडे़ जल निकायों आदि में लार्वा नष्ट करने वाले कीटनाशकों और लार्वा भक्षण करने वाली मछलियों का प्रयोग उपयोगी है.
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