नई दिल्ली: तीन अक्टूबर को महाराजा अग्रसेन की जयंती मनाई जाती है. वहीं, अब इस दिवस को सार्वजनिक अवकाश घोषित करने के लिए अखिल भारतीय वैश्य महासम्मेलन ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ज्ञापन देने की बात कही है.
अखिल भारतीय वैश्य महासम्मेलन प्रदेश दिल्ली के अध्यक्ष नरेश कुमार ऐरन ने कहा कि वैश्य समाज के संस्थापक, संतुलित व समता आधारित आदर्श व्यवस्था के रचनाकार, अहिंसा के पुजारी महाराजा अग्रसेन का राष्ट्र व समाज निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान है. वर्तमान समय में इनके बताए मार्ग पर चल कर विकसित भारत का निर्माण किया जा सकता है.
ऐरन ने कहा कि महाराजा अग्रसेन की जयंती पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जाए. महाराजा अग्रसेन के जन्मोत्सव पर व्यापारिक क्षेत्र से जुड़े लोग विधि-विधान से उनकी पूजा-अर्चना करते हैं. दिल्ली में लाखों की संख्या में वैश्य समाज के लोग रहते हैं. इस बारे में दिल्ली के उपराज्यपाल, मुख्यमंत्री केजरीवाल, विधान सभा अध्यक्ष राम निवास गोयल और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता को अखिल भारतीय वैश्य सम्मेलन की ओर से ज्ञापन सौंपेंगे.
अग्रसेन मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम के वंशज: अखिल भारतीय वैश्य महासम्मेलन की तरफ से बताया गया कि महाराजा अग्रसेन मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम के वंशज हैं. वह राजा बल्लभ सेन के सबसे बड़े पुत्र थे. इनका जन्म द्वापर युग के अंतिम चरण में हुआ था. उनके शासन काल में राम राज्य था. सूर्यवंशी क्षत्रिय होने के बावजूद उन्होंने किसी यज्ञ में पशु बलि का पुरजोर विरोध किया था. गणतंत्र के संस्थापक और अहिंसा के पुजारी महाराजा अग्रसेन ने पशु बलि का विरोध करते हुए क्षत्रिय धर्म का त्याग किया था और अग्रोहा नामक नगरी बसाई थी, जो हरियाणा के हिसार जिले में है.
महाराजा अग्रसेन के जीवन के तीन आदर्श थे, एक लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था, दूसरा आर्थिक समरूपता और तीसरा सामाजिक समानता. एक रुपया-एक ईंट का सिद्धांत देकर महाराजा अग्रसेन ने दुनिया को समाजवाद का संदेश दिया था.
महाराजा अग्रसेन के ऊपर थी मां लक्ष्मी की कृपा: अग्रवाल समाज के जन्मदाता महाराजा अग्रसेन के ऊपर मां लक्ष्मी की बहुत कृपा थी. मां लक्ष्मी ने महाराजा अग्रसेन को स्वप्न में आकर वैश्य समाज की स्थापना के लिए कहा था. यही नहीं, एक बार महाराजा अग्रसेन के राज्य में सूखा पड़ गया था. धन और अन्न के लाले पड़ गए थे. तब मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए उन्होंने कठोर तपस्या की. इसके बाद मां लक्ष्मी ने उन्हें साक्षात दर्शन दिए और धन वैभव प्राप्त करने का वरदान दिया.
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