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भाइयों की बिगड़ी ग्रह दशा सुधारेगी यह राखी; बाजार में छाई बनारस की गुलाबी मीनाकारी, जानिए इसकी खासियत - Special Rakhi of Banaras - SPECIAL RAKHI OF BANARAS

रक्षाबंधन पर भाइयों की हसरत रहती है कि बहनों को कोई यादगार उपहार दें तो बहनें भी इस पर्व को यादगार बनाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़तीं. इस बार राखी पर्व पर बनारस के कारीगरों ने भाइयों के लिए उनके ग्रह-नक्षत्र और नाम के अनुरूप रखी तैयार की है.

बनारस में तैयार हुई खास राखी.
बनारस में तैयार हुई खास राखी. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 18, 2024, 5:54 PM IST

वाराणसी : रक्षाबंधन पर भाइयों की हसरत रहती है कि बहनों को कोई यादगार उपहार दें तो बहनें भी इस पर्व को यादगार बनाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़तीं. इस बार राखी पर्व पर बनारस के कारीगरों ने भाइयों के लिए उनके ग्रह-नक्षत्र और नाम के अनुरूप रखी तैयार की है. यह राखी भाइयों की बिगड़ी ग्रह दशा को सुधारेगी. इसकी डिमांड देश के अलग-अलग कोने से है. विदेशों में इसे काफी पसंद किया जा रहा है.

बनारस में तैयार हुई खास राखी. (Video Credit; ETV Bharat)

इस राखी को बनारस की 400 साल पुरानी गुलाबी मीनाकारी के आर्टिजन के जरिए बनाया जा रहा है. यह राखी चांदी और सोने में तैयार की जा रही है. जिसमें दर्जनों महिला कारीगर लगी हुई हैं. इसमें भाइयों के नाम के अनुसार राखी बनाकर उस पर गुलाबी मीनाकारी की कारीगरी की जा रही है. इसके साथ ही भाइयों के नाम व ग्रह को शूट करने वाले रतन को भी इस राखी को बनाने में प्रयोग किया जा रहा है.

ग्रहों के अनुसार बन रही राखी : इस राखी को तैयार करने वाले नेशनल अवार्डी कुंज बिहारी सिंह बताते हैं कि, हम 4 साल से गुलाबी मीनाकारी में राखी बनाने का काम कर रहे हैं. इस बार हमने राखी में एक अनोखा प्रयोग किया है. हमने ब्रेसलेट पेंडेंट, नाम के साथ राखी को बनाया, जो ग्राहकों को खूब पसंद आ रही है. इसके लिए देश के अलग-अलग हिस्सों से ऑर्डर भी खूब मिले हैं. विदेश में रहने वाले एनआरआई ने भी ऐसी राखियों को खूब पसंद किया.

महिलाओं को मिला रोजगार : इससे जुड़ी हुईं महिला कारीगर बताती हैं कि, इस बार राखी ने उन्हें बड़ा काम दिया है. जिससे उनकी आमदनी बेहतर हो सकी है. इसके साथ ही उन्होंने नए तरीके की राखी बनाना भी सीखा है. बताया कि इस राखी में वह गुलाबी मीनाकारी के रंग, चांदी, सोने का प्रयोग कर रही हैं. इसके साथ इसमें मोती वह अन्य अलग-अलग रंग के रतन से राखी को सजा रही हैं. उनका मुनाफा भी खूब हो रहा है.

400 साल पुरानी है कला : गौरतलब है कि गुलाबी मीनाकारी की कला बनारस की सबसे पुरानी कलाओं में से एक मानी जाती है. मुगल सल्तनत के जरिए यह बनारस में आई थी. उसके बाद बनारसी रंग में रंग गई. पीएम मोदी के बनारस के सांसद होने के बाद इस कला को एक नई पहचान मिली और वक्त के साथ खो चुकी इस कला को प्रधानमंत्री ने विश्व पटेल पर नई पहचान दिलाई. वर्तमान में 500 करोड़ से ज्यादा का कारोबार होता है, जिसमें 400 से ज्यादा महिला कारीगर इससे जुड़ी हुई हैं.

यह भी पढ़ें : बांग्लादेश विवाद की जद में फंसा बनारस का कारोबार, 100 करोड़ से ज्यादा का नुकसान - Coup in Bangladesh

वाराणसी : रक्षाबंधन पर भाइयों की हसरत रहती है कि बहनों को कोई यादगार उपहार दें तो बहनें भी इस पर्व को यादगार बनाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़तीं. इस बार राखी पर्व पर बनारस के कारीगरों ने भाइयों के लिए उनके ग्रह-नक्षत्र और नाम के अनुरूप रखी तैयार की है. यह राखी भाइयों की बिगड़ी ग्रह दशा को सुधारेगी. इसकी डिमांड देश के अलग-अलग कोने से है. विदेशों में इसे काफी पसंद किया जा रहा है.

बनारस में तैयार हुई खास राखी. (Video Credit; ETV Bharat)

इस राखी को बनारस की 400 साल पुरानी गुलाबी मीनाकारी के आर्टिजन के जरिए बनाया जा रहा है. यह राखी चांदी और सोने में तैयार की जा रही है. जिसमें दर्जनों महिला कारीगर लगी हुई हैं. इसमें भाइयों के नाम के अनुसार राखी बनाकर उस पर गुलाबी मीनाकारी की कारीगरी की जा रही है. इसके साथ ही भाइयों के नाम व ग्रह को शूट करने वाले रतन को भी इस राखी को बनाने में प्रयोग किया जा रहा है.

ग्रहों के अनुसार बन रही राखी : इस राखी को तैयार करने वाले नेशनल अवार्डी कुंज बिहारी सिंह बताते हैं कि, हम 4 साल से गुलाबी मीनाकारी में राखी बनाने का काम कर रहे हैं. इस बार हमने राखी में एक अनोखा प्रयोग किया है. हमने ब्रेसलेट पेंडेंट, नाम के साथ राखी को बनाया, जो ग्राहकों को खूब पसंद आ रही है. इसके लिए देश के अलग-अलग हिस्सों से ऑर्डर भी खूब मिले हैं. विदेश में रहने वाले एनआरआई ने भी ऐसी राखियों को खूब पसंद किया.

महिलाओं को मिला रोजगार : इससे जुड़ी हुईं महिला कारीगर बताती हैं कि, इस बार राखी ने उन्हें बड़ा काम दिया है. जिससे उनकी आमदनी बेहतर हो सकी है. इसके साथ ही उन्होंने नए तरीके की राखी बनाना भी सीखा है. बताया कि इस राखी में वह गुलाबी मीनाकारी के रंग, चांदी, सोने का प्रयोग कर रही हैं. इसके साथ इसमें मोती वह अन्य अलग-अलग रंग के रतन से राखी को सजा रही हैं. उनका मुनाफा भी खूब हो रहा है.

400 साल पुरानी है कला : गौरतलब है कि गुलाबी मीनाकारी की कला बनारस की सबसे पुरानी कलाओं में से एक मानी जाती है. मुगल सल्तनत के जरिए यह बनारस में आई थी. उसके बाद बनारसी रंग में रंग गई. पीएम मोदी के बनारस के सांसद होने के बाद इस कला को एक नई पहचान मिली और वक्त के साथ खो चुकी इस कला को प्रधानमंत्री ने विश्व पटेल पर नई पहचान दिलाई. वर्तमान में 500 करोड़ से ज्यादा का कारोबार होता है, जिसमें 400 से ज्यादा महिला कारीगर इससे जुड़ी हुई हैं.

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