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इस साल गर्मी में 8000 मेगावॉट तक पहुंच सकती है दिल्ली में बिजली की मांग, तैयारी में जुटा बीएसईएस - Electricity demand in delhi

Electricity demand in Delhi: अप्रैल आते ही गर्मी ने सितम ढाना शुरू कर दिया है, जिसे देखते हुए अनुमान लगाया है कि दिल्ली में इस बार बिजली की डिमांड 8000 मेगावॉट तक पहुंच सकती है. इसे लेकर बीएसईएस दिल्ली ने तैयारी भी शुरू कर दी है.

Electricity demand in delhi
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Apr 8, 2024, 6:39 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी में गर्मी बढ़ने के कारण बिजली की मांग भी लगातार बढ़ रही है. इसको पूरा करने के लिए बीएसईएस दिल्ली ने तैयारी कर ली है, जिससे गर्मी में दक्षिण, पश्चिम, मध्य और पूर्वी दिल्ली के लगभग दो करोड़ निवासियों को बेहतर बिजली आपूर्ति की जा सके. इस बार गर्मी में बिजली खपत के पिछले सारे रिकॉर्ड टूटने के अनुमान का अनुमान है. कहा जा रहा है कि दिल्ली में बिजली की पीक डिमांड 8000 मेगावॉट पहुंचने का अनुमान है. पिछले साल राजधानी में बिजली की पीक डिमांड 7438 मेगावॉट पहुंची थी. वहीं, 2022 में बिजली की मांग 7695 मेगावॉट तक पहुंच गई थी.

पारंपरिक पावर प्लांटों से मिल रही बिजली के अलावा, बीएसईएस को लगभग 2100 मेगावॉट अक्षय ऊर्जा मिलेगी. वहीं सौर ऊर्जा के प्लांटों से बीएसईएस को 888 मेगावॉट सौर ऊर्जा मिलेगी. इसके अलावा हाइड्रो पावर प्लांट से 515 मेगावॉट बिजली, विंड पावर से 500 मेगावॉट बिजली कचरे से बनने वाली 40 मेगावॉट. बीएसईएस क्षेत्र में उपभोक्ताओं के घरों की छतों पर लगे रूफटॉप सोलर पैनलों से भी 163 मेगावॉट बिजली बीएसईएस को दी जाएगी. इसके अलावा पावर बैंकिंग के माध्यम से भी बीएसईएस को 670 मेगावॉट बिजली मिलेगी.

यह भी पढ़ें-केंद्र ने राज्यों से पर्याप्त बिजली आपूर्त‍ि सुनिश्चित करने को दिए न‍िर्देश

बिजली की मांग का लगभग सटीक अनुमान लगाने के लिए बीएसईएस अत्याधुनिक तकनीकों का भी इस्तेमाल कर रही है. इसमें मौसम का अनुमान लगाने वाली तकनीक भी शामिल है. बीएसईएस एडवांस्ड स्टैटिस्टिकल फोरकास्टिंग मॉडल्स, अत्याधुनिक वेदर फोरकास्टिंग सोल्यूशंस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग का इस्तेमाल कर रही है.

इसमें आईएमडी-पॉस्को द्वारा उपलब्ध कराई गई विशेषज्ञता का भी उपयोग किया जा रहा है. बिजली की मांग का बेहतर अनुमान लगा पाने की क्षमता, उपभोक्ताओं को बिजली आपूर्ति करने में काफी मददगार साबित होती है. बिजली की बढ़ती जरूरतों को देखते हुए बीएसईएस ने अपने नेटवर्क को भी अपग्रेड किया है. अत्याधुनिक तकनीकों से बीएसईएस अब बिजली की मांग का लगभग सटीक अनुमान लगा सकती है. इसके लिए लोड फोरकास्टिंग सिस्टम के अलावा मॉडलिंग तकनीक का भी उपयोग हो रहा है.

यह भी पढ़ें-केजरीवाल सरकार ने लागू की सोलर पॉलिसी, उपभोक्ताओं को मिलेगा बंपर लाभ

नई दिल्ली: राजधानी में गर्मी बढ़ने के कारण बिजली की मांग भी लगातार बढ़ रही है. इसको पूरा करने के लिए बीएसईएस दिल्ली ने तैयारी कर ली है, जिससे गर्मी में दक्षिण, पश्चिम, मध्य और पूर्वी दिल्ली के लगभग दो करोड़ निवासियों को बेहतर बिजली आपूर्ति की जा सके. इस बार गर्मी में बिजली खपत के पिछले सारे रिकॉर्ड टूटने के अनुमान का अनुमान है. कहा जा रहा है कि दिल्ली में बिजली की पीक डिमांड 8000 मेगावॉट पहुंचने का अनुमान है. पिछले साल राजधानी में बिजली की पीक डिमांड 7438 मेगावॉट पहुंची थी. वहीं, 2022 में बिजली की मांग 7695 मेगावॉट तक पहुंच गई थी.

पारंपरिक पावर प्लांटों से मिल रही बिजली के अलावा, बीएसईएस को लगभग 2100 मेगावॉट अक्षय ऊर्जा मिलेगी. वहीं सौर ऊर्जा के प्लांटों से बीएसईएस को 888 मेगावॉट सौर ऊर्जा मिलेगी. इसके अलावा हाइड्रो पावर प्लांट से 515 मेगावॉट बिजली, विंड पावर से 500 मेगावॉट बिजली कचरे से बनने वाली 40 मेगावॉट. बीएसईएस क्षेत्र में उपभोक्ताओं के घरों की छतों पर लगे रूफटॉप सोलर पैनलों से भी 163 मेगावॉट बिजली बीएसईएस को दी जाएगी. इसके अलावा पावर बैंकिंग के माध्यम से भी बीएसईएस को 670 मेगावॉट बिजली मिलेगी.

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बिजली की मांग का लगभग सटीक अनुमान लगाने के लिए बीएसईएस अत्याधुनिक तकनीकों का भी इस्तेमाल कर रही है. इसमें मौसम का अनुमान लगाने वाली तकनीक भी शामिल है. बीएसईएस एडवांस्ड स्टैटिस्टिकल फोरकास्टिंग मॉडल्स, अत्याधुनिक वेदर फोरकास्टिंग सोल्यूशंस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग का इस्तेमाल कर रही है.

इसमें आईएमडी-पॉस्को द्वारा उपलब्ध कराई गई विशेषज्ञता का भी उपयोग किया जा रहा है. बिजली की मांग का बेहतर अनुमान लगा पाने की क्षमता, उपभोक्ताओं को बिजली आपूर्ति करने में काफी मददगार साबित होती है. बिजली की बढ़ती जरूरतों को देखते हुए बीएसईएस ने अपने नेटवर्क को भी अपग्रेड किया है. अत्याधुनिक तकनीकों से बीएसईएस अब बिजली की मांग का लगभग सटीक अनुमान लगा सकती है. इसके लिए लोड फोरकास्टिंग सिस्टम के अलावा मॉडलिंग तकनीक का भी उपयोग हो रहा है.

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