जयपुर. राजधानी में इस बार होली के त्योहार पर होलिका दहन के लिए बड़े पैमाने पर गो काष्ठ का इस्तेमाल किया जाएगा. करीब पांच सौ स्थानों पर गाय के गोबर से बनी लकड़ी से होलिका दहन किया जाएगा. वहीं, होली पर दौ सौ टन गोकाष्ठ गुजरात भेजा गया है.
अखिल भारतीय गौशाला सहयोग परिषद के अंतरराष्ट्रीय संयोजक और भारतीय जैविक किसान उत्पादक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अतुल गुप्ता ने बताया कि गुजरात सरकार ने इस बार होली पर होलिका दहन महोत्सव गाय के गोबर से बनी लकड़ी से ही करना तय किया है. इसके लिए राजस्थान से दो सौ टन गोकाष्ठ भेजी जा रही है. अतुल गुप्ता ने कहा कि सात साल से जयपुर की श्री पिंजरापोल गौशाला के महामंत्री शिवरतन चितलांगिया और राधेश्याम पाठक के नेतृत्व में गाय के गोबर की लकड़ी बनाने का काम शुरू किया गया. गौशाला की इस मुहिम में अब आम लोगों की भागीदारी में देखी जा रही है, जिसका एक बड़ा स्वरूप इस बार होली के त्योहार पर नजर आएगा.
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बड़े पैमाने पर गोकाष्ठ की बुकिंग : जयपुर में पांच सौ जगह पर होलिका दहन के लिए गोकाष्ठ के लिए बुकिंग हो चुकी है, वहीं, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु के चेन्नई से भी मांग की गई है. दस राज्यों में गोकाष्ठ भेजा जाएगा और इसके प्रति जागरुकता फैलाने का काम किया जाएगा. सौ से अधिक स्वयं सहायता समूह ने कम से कम 2000 टन गोबर की लकड़ी बनाई है और करीब 70 फीसदी की खपत हो चुकी है. गोकाष्ठ की मांग बढ़ती जा रही है, लेकिन जब सरकारें इसके प्रति आगे आएगी, तो इसकी मांग और बढ़ेगी. वहीं, पर्यावरण और गाय संरक्षण को और मजबूती मिलेगी.
सरकार भी जुटेगी जागरूकता की मुहिम में : राजस्थान सरकार के मंत्री जोराराम कुमावत ने बताया कि गाय के गोबर से बने उत्पाद निश्चित तौर पर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बेहतर पहल कहे जाएंगे. उन्होंने कहा कि सरकार भी इस दिशा में काम करना चाहती है, जिसके लिए अधिकारियों से बात कर एक प्लान तैयार किया जाएगा, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग गाय के गोबर से बनी लकड़ी का इस्तेमाल कर सके और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अपनी भागीदारी निभाएं.