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आरोपी उमर खालिद की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित, अब 28 मई को होगी अगली सुनवाई - Delhi Violence Case

दिल्ली हिंसा मामले में सोमवार को दिल्ली पुलिस की ओर से लिखित दलीलें दाखिल की गई. इसके बाद कड़कड़डूमा कोर्ट ने आरोपी उमर खालिद की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है और 28 मई को सुनवाई का आदेश दिया गया.

आरोपी उमर खालिद की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित
आरोपी उमर खालिद की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : May 13, 2024, 5:44 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हिंसा मामले में सोमवार को दिल्ली पुलिस की ओर से कोर्ट में लिखित दलीलें दाखिल की गई. इसके बाद कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली हिंसा मामले के आरोपी उमर खालिद की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया. एडिशनल सेशंस जज समीर बाजपेई ने 28 मई को फैसला सुनाने का आदेश दिया.

इसके पहले 24 अप्रैल को जमानत याचिका पर दोनों पक्षों की दलीलें पूरी हो गई थी. फिर 10 मई को उमर खालिद के वकील त्रिदीप पेस ने 45 पेजों की लिखित दलीलें दाखिल की गई थी. मामले की सुनवाई के दौरान त्रिदिप पेस ने कहा था कि दिल्ली पुलिस चार्जशीट में उमर खालिद के नाम का प्रयोग इस तरह से कर रही है कि जैसे कोई मंत्र हो. चार्जशीट में बार-बार नाम लेने और झूठ बोलने से कोई तथ्य सच साबित नहीं हो जाएगा. उन्होंने कहा था कि उमर खालिद के खिलाफ मीडिया ट्रायल भी चलाया गया.

उमर खालिद के वकील ने जिक्र किया भीमा कोरेगांव मामला

पेस ने यह भी कहा था कि जमानत पर फैसला सुनाते समय कोर्ट को हर गवाह और दस्तावेज की जांच करनी होगी. उन्होंने भीमा कोरेगांव मामले में वर्नोन गोंजाल्वेस और शोमा सेन के मामले का जिक्र करते हुए उमर खालिद की जमानत की मांग की. पेस ने 10 अप्रैल को सुनवाई के दौरान कहा था कि आरोपियों से मिलने का मतलब आतंकी गतिविधि नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर उमर खालिद के पिता इंटरव्यू देते हैं इसका मतलब ये नहीं कि उसे जमानत नहीं दी जा सकती है. उनके पास कोई साक्ष्य नहीं है कि उमर द्वारा आतंकी गतिविधि को अंजाम दिया गया. उमर खालिद के खिलाफ यूएपीए की धारा 15 नहीं लगाई जा सकती है.

पेस ने अभियोजन पक्ष की इस दलील को खारिज कर दिया कि उमर खालिद ने गुप्त बैठकें की. उन्होंने कहा था कि अभियोजन पक्ष ये कह रहा है कि सैफी पोपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के ऑफिस में उमर खालिद, ताहिर हुसैन और खालिद की मुलाकात हुई. अभियोजन का यह बयान केवल गवाह का बयान और सीडीआर है. उन्होंने पूछा कि क्या जमानत नहीं देने के लिए सीडीआर पर भरोसा किया जा सकता है.

सीडीआर के मुताबिक भी सभी आरोपी दिए गए समय और तिथि पर एक साथ नहीं थे. 9 अप्रैल को दिल्ली पुलिस की ओर से दलीलें पूरी कर ली गई थी. सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित प्रसाद ने कहा था कि दिल्ली हाईकोर्ट ने उमर खालिद की जमानत याचिका खारिज कर चुका है.

ये भी पढ़ें : दिल्ली हिंसा मामले के आरोपी उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई अब 9 अप्रैल को

उन्होंने कहा था कि हाईकोर्ट ने सेशंस कोर्ट के जमानत खारिज करने के फैसले पर पूरी सहमति जताई थी. उन्होंने कहा था कि जमानत पर विचार करते समय सभी तथ्यों पर विचार किया जाना चाहिए. अमित प्रसाद ने कहा था कि उमर खालिद की ओर से जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान ये नहीं कहा जा सकता है कि जांच में कई गड़बड़ियां हैं. ये आरोप मुक्त करने की याचिका नहीं है. इस मामले में उमर खालिद की ओर से कहा गया था कि दूसरे आरोपियों के खिलाफ गंभीर आरोप हैं और वे जमानत पर हैं और उन्हें तो दिल्ली पुलिस ने आरोपी भी नहीं बनाया था.

उमर खालिद की ओर से पेश वकील त्रिदीप पेस ने कहा था कि जिन तथ्यों के आधार पर तीन आरोपियों को जमानत दी गई, वही तथ्य उमर खालिद के साथ भी हैं. उन्होंने समानता के सिद्धांत की बात करते हुए उमर खालिद को जमानत देने की मांग की थी. उन्होंने कहा था कि उमर खालिद के खिलाफ कोई आतंकी कानून की धारा नहीं लगी है. कोर्ट ने 28 फरवरी को दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था.

बता दें, उमर खालिद ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी जमानत याचिका वापस ले लिया था और कहा था कि अब वे ट्रायल कोर्ट में याचिका दायर करेंगे. उमर खालिद को 2020 के दिल्ली दंगों के पीछे कथित बड़ी साजिश के मामले में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था और तब से वे जेल मे हैं. इससे पहले 18 अक्टूबर 2022 को दिल्ली हाईकोर्ट ने उमर खालिद की जमानत याचिका खारिज कर दिया था.

ये भी पढ़ें : उमर खालिद ने कोर्ट में कहा- मेरे बराबर के आरोप वाले तीन आरोपी जमानत पर हैं लेकिन मैं जेल में

नई दिल्ली: दिल्ली हिंसा मामले में सोमवार को दिल्ली पुलिस की ओर से कोर्ट में लिखित दलीलें दाखिल की गई. इसके बाद कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली हिंसा मामले के आरोपी उमर खालिद की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया. एडिशनल सेशंस जज समीर बाजपेई ने 28 मई को फैसला सुनाने का आदेश दिया.

इसके पहले 24 अप्रैल को जमानत याचिका पर दोनों पक्षों की दलीलें पूरी हो गई थी. फिर 10 मई को उमर खालिद के वकील त्रिदीप पेस ने 45 पेजों की लिखित दलीलें दाखिल की गई थी. मामले की सुनवाई के दौरान त्रिदिप पेस ने कहा था कि दिल्ली पुलिस चार्जशीट में उमर खालिद के नाम का प्रयोग इस तरह से कर रही है कि जैसे कोई मंत्र हो. चार्जशीट में बार-बार नाम लेने और झूठ बोलने से कोई तथ्य सच साबित नहीं हो जाएगा. उन्होंने कहा था कि उमर खालिद के खिलाफ मीडिया ट्रायल भी चलाया गया.

उमर खालिद के वकील ने जिक्र किया भीमा कोरेगांव मामला

पेस ने यह भी कहा था कि जमानत पर फैसला सुनाते समय कोर्ट को हर गवाह और दस्तावेज की जांच करनी होगी. उन्होंने भीमा कोरेगांव मामले में वर्नोन गोंजाल्वेस और शोमा सेन के मामले का जिक्र करते हुए उमर खालिद की जमानत की मांग की. पेस ने 10 अप्रैल को सुनवाई के दौरान कहा था कि आरोपियों से मिलने का मतलब आतंकी गतिविधि नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर उमर खालिद के पिता इंटरव्यू देते हैं इसका मतलब ये नहीं कि उसे जमानत नहीं दी जा सकती है. उनके पास कोई साक्ष्य नहीं है कि उमर द्वारा आतंकी गतिविधि को अंजाम दिया गया. उमर खालिद के खिलाफ यूएपीए की धारा 15 नहीं लगाई जा सकती है.

पेस ने अभियोजन पक्ष की इस दलील को खारिज कर दिया कि उमर खालिद ने गुप्त बैठकें की. उन्होंने कहा था कि अभियोजन पक्ष ये कह रहा है कि सैफी पोपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के ऑफिस में उमर खालिद, ताहिर हुसैन और खालिद की मुलाकात हुई. अभियोजन का यह बयान केवल गवाह का बयान और सीडीआर है. उन्होंने पूछा कि क्या जमानत नहीं देने के लिए सीडीआर पर भरोसा किया जा सकता है.

सीडीआर के मुताबिक भी सभी आरोपी दिए गए समय और तिथि पर एक साथ नहीं थे. 9 अप्रैल को दिल्ली पुलिस की ओर से दलीलें पूरी कर ली गई थी. सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित प्रसाद ने कहा था कि दिल्ली हाईकोर्ट ने उमर खालिद की जमानत याचिका खारिज कर चुका है.

ये भी पढ़ें : दिल्ली हिंसा मामले के आरोपी उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई अब 9 अप्रैल को

उन्होंने कहा था कि हाईकोर्ट ने सेशंस कोर्ट के जमानत खारिज करने के फैसले पर पूरी सहमति जताई थी. उन्होंने कहा था कि जमानत पर विचार करते समय सभी तथ्यों पर विचार किया जाना चाहिए. अमित प्रसाद ने कहा था कि उमर खालिद की ओर से जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान ये नहीं कहा जा सकता है कि जांच में कई गड़बड़ियां हैं. ये आरोप मुक्त करने की याचिका नहीं है. इस मामले में उमर खालिद की ओर से कहा गया था कि दूसरे आरोपियों के खिलाफ गंभीर आरोप हैं और वे जमानत पर हैं और उन्हें तो दिल्ली पुलिस ने आरोपी भी नहीं बनाया था.

उमर खालिद की ओर से पेश वकील त्रिदीप पेस ने कहा था कि जिन तथ्यों के आधार पर तीन आरोपियों को जमानत दी गई, वही तथ्य उमर खालिद के साथ भी हैं. उन्होंने समानता के सिद्धांत की बात करते हुए उमर खालिद को जमानत देने की मांग की थी. उन्होंने कहा था कि उमर खालिद के खिलाफ कोई आतंकी कानून की धारा नहीं लगी है. कोर्ट ने 28 फरवरी को दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था.

बता दें, उमर खालिद ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी जमानत याचिका वापस ले लिया था और कहा था कि अब वे ट्रायल कोर्ट में याचिका दायर करेंगे. उमर खालिद को 2020 के दिल्ली दंगों के पीछे कथित बड़ी साजिश के मामले में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था और तब से वे जेल मे हैं. इससे पहले 18 अक्टूबर 2022 को दिल्ली हाईकोर्ट ने उमर खालिद की जमानत याचिका खारिज कर दिया था.

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