नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र गुरुवार को बुलाया गया है. इस सत्र के शुरू होने से ठीक एक दिन पहले एलजी सचिवालय ने मुख्य सचिव व वित्त सचिव को पत्र लिखकर कहा है कि वह सत्र के दौरान कैग की रिपोर्ट को सदन में प्रस्तुत करने के लिए मुख्यमंत्री को संज्ञान में लाएं. उपराज्यपाल वीके सक्सेना के प्रधान सचिव आशीष कुंद्रा ने पत्र में लिखा है कि कैग की 12 रिपोर्ट (वर्ष 2020-21 तक की) लंबित है. इससे पहले 17 अगस्त को एलजी ने सीधे विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर कैग रिपोर्ट सदन पटल पर रखने को कहा था.
एलजी सचिवालय ने आम आदमी पार्टी शासित दिल्ली सरकार पर अलग-अलग विभागों के कुल 12 कैग रिपोर्ट दबाने का आरोप लगाया है. उपराज्यपाल सचिवालय ने सरकार के वित्त, प्रदूषण, दिल्ली में शराब के विनियमन और आपूर्ति, सार्वजनिक उपक्रमों और सामाजिक और सामान्य क्षेत्रों से संबंधित विभागों के खातों और शेल्टर होम से संबंधित कुल 12 कैग रिपोर्ट मुख्यमंत्री आतिशी के पास लंबित होने की बात कही है. इनमें से कुछ कैग रिपोर्ट 2022 से लंबित हैं.
पत्र में लिखा है कि वर्ष 2017-18 से 2021-22 की अवधि के दौरान दिल्ली में शराब की खरीद-बिक्री से संबंधित ऑडिट पर कैग की रिपोर्ट 4 मार्च 2024 को दिल्ली सरकार को भेजी गई थी, और यह 11 अप्रैल से आतिशी के पास लंबित है. दिल्ली सरकार की विवादास्पद आबकारी नीति और उसकी ऑडिट रिपोर्ट काफी महत्वपूर्ण है. इसमें बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं. भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद केजरीवाल सरकार ने इस नीति को रद्द कर दिया था.
एलजी के प्रधान सचिव ने मुख्य सचिव व वित्त सचिव को पत्र लिखकर यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि इन रिपोर्टों को 26 और 27 सितंबर को होने वाले विधानसभा सत्र में पेश किया जाए.
पूर्व मुख्यमंत्री से भी किया था अनुरोध: उपराज्यपाल सचिवालय ने बताया कि 22 फरवरी को उपराज्यपाल ने सभी लंबित 12 कैग रिपोर्ट को विधानसभा में पेश किए जाने में देरी के संबंध में पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी पत्र लिखा था, तब उनसे अनुरोध किया था कि वे वित्त मंत्री आतिशी को सलाह दें कि वे इन्हें विधानसभा के समक्ष पेश करें.
बता दें, दिल्ली सरकार अधिनियम, 1991 की धारा 48 के साथ संविधान के अनुच्छेद 151 और दिल्ली सरकार के नियम 210 के अनुसार, राज्य के वित्त और दिल्ली में शासन से संबंधित विभिन्न क्षेत्रों के प्रदर्शन पर कैग रिपोर्ट रखना संवैधानिक जनादेश है. उपराज्यपाल ने कहा कि कैग रिपोर्ट को दिल्ली विधानसभा में न रखकर, दिल्ली सरकार विधान सभा और बड़े पैमाने पर जनता की जांच से बच रही है, जो लोकतांत्रिक जवाबदेही के आधार को कमजोर कर रही है. लंबित रिपोर्ट को दिल्ली विधानसभा के समक्ष रखने के मामले में दिल्ली सरकार द्वारा इस तरह की चूक उनके संवैधानिक दायित्वों की घोर उपेक्षा है.
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