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दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रो. इकबाल हुसैन को कुलपति पद से हटाने की चुनौती पर जामिया यूनिवर्सिटी से मांगा जवाब - Jamia Acting VC Controversy

Jamia Acting VC Controversy: दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को जामिया मिलिया इस्लामिया, UGC और कई अन्य को प्रोफेसर इकबाल हुसैन द्वारा दायर एक याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति के रूप में उनकी नियुक्ति को रद्द करने वाले एकल न्यायाधीश के आदेश को चुनौती दी गई थी.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : May 29, 2024, 4:21 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने प्रो. इकबाल हुसैन को जामिया यूनिवर्सिटी के कार्यकारी कुलपति के पद से हटाने के सिंगल बेंच के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर यूनिवर्सिटी को नोटिस जारी किया है. जस्टिस विभू बाखरु की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले की अगली सुनवाई 12 अगस्त को करने का आदेश दिया. 22 मई को हाईकोर्ट के सिंगल बेंच ने प्रोफेसर इकबाल हुसैन को जामिया यूनिवर्सिटी के कार्यकारी कुलपति के पद पर नियुक्ति करने के आदेश को निरस्त कर दिया था. जस्टिस तुषार राव गडेला की सिंगल बेंच ने जामिया यूनिवर्सिटी के कुलपति के पद पर एक हफ्ते में नियुक्ति करने का आदेश दिया था.

सिंगल बेंच ने कहा था कि प्रो. इकबाल हुसैन की प्रो वाइस चांसलर के पद पर नियुक्ति अवैध थी, इसलिए उनकी कार्यकारी कुलपति के पद पर भी नियुक्ति गैरकानूनी है. सिंगल बेंच ने कहा था कि प्रोफेसर इकबाल को 14 सितंबर 2023 को प्रो वीसी के पद पर नियुक्ति का आदेश अवैध था. सिंगल बेंच ने कहा था कि प्रोफेसर इकबाल का जब प्रो वीसी के पद पर नियुक्ति अवैध था तो 12 नवंबर 2023 को जामिया यूनिवर्सिटी के कार्यकारी कुलपति के पद पर नियुक्ति भी अवैध है. सिंगल बेंच में याचिका मोहम्मद शमी अहमद अंसारी और अन्य लोगों ने दायर किया था. 14 सितंबर 2023 को जामिया यूनिवर्सिटी के तत्कालीन कुलपति नजमा अख्तर ने प्रोफेसर इकबाल हुसैन को प्रो वीसी नियुक्त किया था.

यह भी पढ़ें- जामिया के कार्यकारी कुलपति पद से हटाने के आदेश को प्रो. इकबाल हुसैन ने डिवीजन बेंच में दी चुनौती

नजमा अख्तर के सेवानिवृत होने के बाद 12 नवंबर 2023 को रजिस्ट्रार ने नोटिफिकेशन जारी कर इकबाल हुसैन को जामिया यूनिवर्सिटी का कार्यकारी कुलपति नियुक्त किया था. याचिका में कहा गया था कि प्रोफेसर इकबाल हुसैन को प्रो वीसी और फिर बाद में कार्यकारी कुलपति नियुक्त करने का फैसला जामिया मिलिया एक्ट और यूजीसी के प्रावधानों का उल्लंघन कर किया गया था.

हाईकोर्ट ने कहा कि तत्कालीन कुलपति नजमा अख्तर को प्रो वीसी के पद पर नियुक्ति के पहले उम्मीवार का नाम कार्यकारी परिषद के समक्ष स्वीकृति के लिए रखना था. अगर उस नाम पर कोई असहमति होती को उसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाता. लेकिन प्रोफेसर इकबाल हुसैन की नियुक्ति के मामले में ऐसा कुछ नहीं किया गया.

यह भी पढ़ें- जामिया और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में भड़काऊ भाषण देने के मामले में शरजील इमाम को मिली जमानत, यहां फंसा पेंच

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने प्रो. इकबाल हुसैन को जामिया यूनिवर्सिटी के कार्यकारी कुलपति के पद से हटाने के सिंगल बेंच के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर यूनिवर्सिटी को नोटिस जारी किया है. जस्टिस विभू बाखरु की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले की अगली सुनवाई 12 अगस्त को करने का आदेश दिया. 22 मई को हाईकोर्ट के सिंगल बेंच ने प्रोफेसर इकबाल हुसैन को जामिया यूनिवर्सिटी के कार्यकारी कुलपति के पद पर नियुक्ति करने के आदेश को निरस्त कर दिया था. जस्टिस तुषार राव गडेला की सिंगल बेंच ने जामिया यूनिवर्सिटी के कुलपति के पद पर एक हफ्ते में नियुक्ति करने का आदेश दिया था.

सिंगल बेंच ने कहा था कि प्रो. इकबाल हुसैन की प्रो वाइस चांसलर के पद पर नियुक्ति अवैध थी, इसलिए उनकी कार्यकारी कुलपति के पद पर भी नियुक्ति गैरकानूनी है. सिंगल बेंच ने कहा था कि प्रोफेसर इकबाल को 14 सितंबर 2023 को प्रो वीसी के पद पर नियुक्ति का आदेश अवैध था. सिंगल बेंच ने कहा था कि प्रोफेसर इकबाल का जब प्रो वीसी के पद पर नियुक्ति अवैध था तो 12 नवंबर 2023 को जामिया यूनिवर्सिटी के कार्यकारी कुलपति के पद पर नियुक्ति भी अवैध है. सिंगल बेंच में याचिका मोहम्मद शमी अहमद अंसारी और अन्य लोगों ने दायर किया था. 14 सितंबर 2023 को जामिया यूनिवर्सिटी के तत्कालीन कुलपति नजमा अख्तर ने प्रोफेसर इकबाल हुसैन को प्रो वीसी नियुक्त किया था.

यह भी पढ़ें- जामिया के कार्यकारी कुलपति पद से हटाने के आदेश को प्रो. इकबाल हुसैन ने डिवीजन बेंच में दी चुनौती

नजमा अख्तर के सेवानिवृत होने के बाद 12 नवंबर 2023 को रजिस्ट्रार ने नोटिफिकेशन जारी कर इकबाल हुसैन को जामिया यूनिवर्सिटी का कार्यकारी कुलपति नियुक्त किया था. याचिका में कहा गया था कि प्रोफेसर इकबाल हुसैन को प्रो वीसी और फिर बाद में कार्यकारी कुलपति नियुक्त करने का फैसला जामिया मिलिया एक्ट और यूजीसी के प्रावधानों का उल्लंघन कर किया गया था.

हाईकोर्ट ने कहा कि तत्कालीन कुलपति नजमा अख्तर को प्रो वीसी के पद पर नियुक्ति के पहले उम्मीवार का नाम कार्यकारी परिषद के समक्ष स्वीकृति के लिए रखना था. अगर उस नाम पर कोई असहमति होती को उसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाता. लेकिन प्रोफेसर इकबाल हुसैन की नियुक्ति के मामले में ऐसा कुछ नहीं किया गया.

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