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शादी के लिए धर्मांतरण करनेवालों को नए धर्म के सभी नियम-कायदे और अधिकार बताए जाएंः हाईकोर्ट - दिल्ली हाईकोर्ट

Delhi High Court: दूसरे धर्म में शादी करने वालों के लिए दिल्ली हाईकोर्ट ने दिशा-निर्देश जारी किया है. एक मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि शादी के लिए धर्मांतरण करने वालों को नए धर्म के सभी नियम-कायदे पता होना चाहिए.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jan 19, 2024, 10:45 PM IST

Updated : Jan 19, 2024, 10:59 PM IST

नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि शादी के लिए धर्मांतरण करने वालों को एक हलफनामा पर साफ-साफ बताना चाहिए कि धर्मांतरण करनेवाले को नए धर्म के सभी नियम-कायदे पता हैं. शुक्रवार को जस्टिस स्वर्णकांता मिश्रा की बेंच ने एक फैसला सुनाते हुए इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी किया.

कोर्ट ने कहा कि धर्मांतरण कराने के दौरान धर्म बदलने वाले लड़का या लड़की को ये साफ-साफ पता होना चाहिए कि नए धर्म में तलाक, कस्टडी, उत्तराधिकार और धार्मिक अधिकार क्या-क्या हैं. कोर्ट ने कहा कि स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत धर्मांतरण कर होने वाली शादियों से पहले शादी करने वालों के उम्र, शादी-शुदा जिंदगी का इतिहास और वर्तमान स्थिति और उसके संबंध में दिए गए साक्ष्यों का एक हलफनामा होना चाहिए.

हाईकोर्ट ने कहा है कि स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत इस बात का भी हलफमाना होना चाहिए कि शादी स्वेच्छा से हो रही है और शादी के बाद नए धर्म के कानून के तहत तलाक, उत्तराधिकार और धार्मिक अधिकारों की पक्षकारों को जानकारी है. धर्मांतरण का प्रमाण पत्र देते समय इस बात का भी प्रमाण पत्र होना चाहिए कि जिसका धर्मांतरण किया जा रहा है उनकी शादी के बाद नए धर्म के कानून के तहत होने वाले बदलावों की पूरी जानकारी दे दी गई है.

हाईकोर्ट ने कहा है कि धर्मांतरण और शादी का सर्टिफिकेट उस भाषा में भी होना चाहिए जिस भाषा में धर्म बदलने वाला पुरुष या महिला समझ सके. शादी के लिए धर्मांतरण करनेवाला अगर हिंदी बोलता है तो उसे अधिकारियों द्वारा हिंदी में समझाया जाना चाहिए. हाईकोर्ट ने यह साफ किया कि अगर कोई अपने मूल धर्म में वापस लौट रहा हो तो उसे ये सारी बातें समझाने की जरूरत नहीं है.

नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि शादी के लिए धर्मांतरण करने वालों को एक हलफनामा पर साफ-साफ बताना चाहिए कि धर्मांतरण करनेवाले को नए धर्म के सभी नियम-कायदे पता हैं. शुक्रवार को जस्टिस स्वर्णकांता मिश्रा की बेंच ने एक फैसला सुनाते हुए इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी किया.

कोर्ट ने कहा कि धर्मांतरण कराने के दौरान धर्म बदलने वाले लड़का या लड़की को ये साफ-साफ पता होना चाहिए कि नए धर्म में तलाक, कस्टडी, उत्तराधिकार और धार्मिक अधिकार क्या-क्या हैं. कोर्ट ने कहा कि स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत धर्मांतरण कर होने वाली शादियों से पहले शादी करने वालों के उम्र, शादी-शुदा जिंदगी का इतिहास और वर्तमान स्थिति और उसके संबंध में दिए गए साक्ष्यों का एक हलफनामा होना चाहिए.

हाईकोर्ट ने कहा है कि स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत इस बात का भी हलफमाना होना चाहिए कि शादी स्वेच्छा से हो रही है और शादी के बाद नए धर्म के कानून के तहत तलाक, उत्तराधिकार और धार्मिक अधिकारों की पक्षकारों को जानकारी है. धर्मांतरण का प्रमाण पत्र देते समय इस बात का भी प्रमाण पत्र होना चाहिए कि जिसका धर्मांतरण किया जा रहा है उनकी शादी के बाद नए धर्म के कानून के तहत होने वाले बदलावों की पूरी जानकारी दे दी गई है.

हाईकोर्ट ने कहा है कि धर्मांतरण और शादी का सर्टिफिकेट उस भाषा में भी होना चाहिए जिस भाषा में धर्म बदलने वाला पुरुष या महिला समझ सके. शादी के लिए धर्मांतरण करनेवाला अगर हिंदी बोलता है तो उसे अधिकारियों द्वारा हिंदी में समझाया जाना चाहिए. हाईकोर्ट ने यह साफ किया कि अगर कोई अपने मूल धर्म में वापस लौट रहा हो तो उसे ये सारी बातें समझाने की जरूरत नहीं है.

Last Updated : Jan 19, 2024, 10:59 PM IST
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