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'कहां है मनमोहन सिंह के दस्तखत वाली फाइल?', जामा मस्जिद को संरक्षित इमारत घोषित करने के मामले पर HC का सवाल - Delhi HC reprimanded Center and ASI - DELHI HC REPRIMANDED CENTER AND ASI

DELHI HC REPRIMANDED CENTER AND ASI: जामा मस्जिद को क्या एएसआई संरक्षित इमारत घोषित किया जाएगा? दिल्ली हाई कोर्ट ने अफसरों से तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह के दस्तखत वाली फाइल मांगी है. वो फाइल जिसमें जामा मस्जिद को संरक्षित इमारत नहीं बनाए जाने का फैसला किया गया है. हाई कोर्ट ने अफसरों को आखिरी मौका देते हुए अगली सुनवाई पर मूल फाइल पेश करने को कहा है. पढ़िए पूरी खबर

दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र व एएसआई को लगाई फटकार
दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र व एएसआई को लगाई फटकार (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Sep 27, 2024, 10:19 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार और एएसआई को फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा कि सरकार ने वो दस्तावेज दाखिल नहीं किए, जिसमें मुगलकालीन जामा मस्जिद को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के शासन के दौरान संरक्षित इमारत करार देने से इनकार कर दिया गया था. जस्टिस प्रतिभा सिंह की अध्यक्षता वाली बेंच ने एएसआई डायरेक्टर को निर्देश दिया कि वो इस मामले का खुद देखें. साथ ही केंद्र सरकार के वकील अनिल सोनी और मनीष मोहन के साथ बैठक कर विस्तृत हलफनामा दाखिल करें. मामले की अगली सुनवाई अक्टूबर में होगी.

हाईकोर्ट ने कहा कि हमने पिछली सुनवाई में ही वह दस्तावेज दाखिल करने का निर्देश दिया था. लेकिन कुछ खुली शीट और दस्तावेज दाखिल किए गए, जबकि मस्जिद के स्मारक होने संबंधी दस्तावेज दाखिल नहीं किए गए. इससे पहले 28 अगस्त को कोर्ट ने कहा था कि ये एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है और जो केंद्र के सुरक्षित कब्जे में होना चाहिए.

कोर्ट ने कहा कि अगर ये दस्तावेज नहीं मिलता है तो कोर्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को ये बताया गया था कि अधिकारी वह फाइल तलाशने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि वो गुम हो गई है. इस पर कोर्ट ने कहा था कि ये गंभीर मसला है. अगर ये फाइल गुम होती है तो कोर्ट संबंधित अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करेगी. कोर्ट ने 27 फरवरी, 2018 को भी कहा था कि वो वह फाइल खोजकर प्रस्तुत करें, जिसमें कहा गया था कि जामा मस्जिद को संरक्षित इमारत घोषित नहीं किया जाएगा.

दरअसल, हाईकोर्ट उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही, जिसमें यह मांग की गई है कि जामा मस्जिद को संरक्षित इमारत घोषित किया जाए और उसके आसपास अतिक्रमण को हटाने का आदेश दिया जाए. याचिका मार्च 2018 में सुहैल अहमद खान नामक व्यक्ति ने दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि मस्जिद के आसपास के पार्कों पर अवैध कब्जा है और अतिक्रमण किया गया है.

यह भी पढ़ें- DUSU Election 2024: वोटिंग के लिए हां, मतगणना के लिए ना...! जानिए- दिल्ली हाईकोर्ट ने क्यों लगाई रोक

सुनवाई के दौरान एएसआई की ओर से कहा गया था कि तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शाही इमाम को ये आश्वस्त किया था कि जामा मस्जिद को संरक्षित इमारत घोषित नहीं किया जाएगा. जामा मस्जिद केंद्र सरकार की ओर से संरक्षित इमारत नहीं है, इसलिए वो एएसआई के अधिकार क्षेत्र के तहत नहीं आता है. एएसआई ने हाईकोर्ट में दाखिल अपने हलफनामे में कहा कि 2004 में जामा मस्जिद को संरक्षित इमारत घोषित करने का मामला उठा था. हालांकि तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 20 अक्टूबर, 2004 को शाही इमाम को लिखे अपने पत्र में कहा था कि जामा मस्जिद को केंद्र सरकार संरक्षित इमारत घोषित नहीं करेगी.

यह भी पढ़ें- महिला पहलवानों शोषण केस में बृजभूषण शरण सिंह की याचिका पर दिल्ली पुलिस को नोटिस

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार और एएसआई को फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा कि सरकार ने वो दस्तावेज दाखिल नहीं किए, जिसमें मुगलकालीन जामा मस्जिद को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के शासन के दौरान संरक्षित इमारत करार देने से इनकार कर दिया गया था. जस्टिस प्रतिभा सिंह की अध्यक्षता वाली बेंच ने एएसआई डायरेक्टर को निर्देश दिया कि वो इस मामले का खुद देखें. साथ ही केंद्र सरकार के वकील अनिल सोनी और मनीष मोहन के साथ बैठक कर विस्तृत हलफनामा दाखिल करें. मामले की अगली सुनवाई अक्टूबर में होगी.

हाईकोर्ट ने कहा कि हमने पिछली सुनवाई में ही वह दस्तावेज दाखिल करने का निर्देश दिया था. लेकिन कुछ खुली शीट और दस्तावेज दाखिल किए गए, जबकि मस्जिद के स्मारक होने संबंधी दस्तावेज दाखिल नहीं किए गए. इससे पहले 28 अगस्त को कोर्ट ने कहा था कि ये एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है और जो केंद्र के सुरक्षित कब्जे में होना चाहिए.

कोर्ट ने कहा कि अगर ये दस्तावेज नहीं मिलता है तो कोर्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को ये बताया गया था कि अधिकारी वह फाइल तलाशने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि वो गुम हो गई है. इस पर कोर्ट ने कहा था कि ये गंभीर मसला है. अगर ये फाइल गुम होती है तो कोर्ट संबंधित अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करेगी. कोर्ट ने 27 फरवरी, 2018 को भी कहा था कि वो वह फाइल खोजकर प्रस्तुत करें, जिसमें कहा गया था कि जामा मस्जिद को संरक्षित इमारत घोषित नहीं किया जाएगा.

दरअसल, हाईकोर्ट उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही, जिसमें यह मांग की गई है कि जामा मस्जिद को संरक्षित इमारत घोषित किया जाए और उसके आसपास अतिक्रमण को हटाने का आदेश दिया जाए. याचिका मार्च 2018 में सुहैल अहमद खान नामक व्यक्ति ने दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि मस्जिद के आसपास के पार्कों पर अवैध कब्जा है और अतिक्रमण किया गया है.

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सुनवाई के दौरान एएसआई की ओर से कहा गया था कि तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शाही इमाम को ये आश्वस्त किया था कि जामा मस्जिद को संरक्षित इमारत घोषित नहीं किया जाएगा. जामा मस्जिद केंद्र सरकार की ओर से संरक्षित इमारत नहीं है, इसलिए वो एएसआई के अधिकार क्षेत्र के तहत नहीं आता है. एएसआई ने हाईकोर्ट में दाखिल अपने हलफनामे में कहा कि 2004 में जामा मस्जिद को संरक्षित इमारत घोषित करने का मामला उठा था. हालांकि तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 20 अक्टूबर, 2004 को शाही इमाम को लिखे अपने पत्र में कहा था कि जामा मस्जिद को केंद्र सरकार संरक्षित इमारत घोषित नहीं करेगी.

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