नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि सुनहरी बाग स्थित मस्जिद को ध्वस्त करने के मामले पर कोई आदेश जारी नहीं करेंगे. नई दिल्ली नगरपालिका परिषद ने हाईकोर्ट से कहा कि मस्जिद के हटाने पर अगर कोई आपत्ति आती है तो उस पर कानून के मुताबिक विचार करेंगे. उसके बाद जस्टिस पुरुषेंद्र कौरव की बेंच ने कहा कि वो इस पर कोई आदेश जारी नहीं करेगी.
सुनवाई के दौरान एएसजी चेतन शर्मा ने कहा कि नई दिल्ली नगरपालिका परिषद के समक्ष ये मामला विचाराधीन है और वो कानून के मुताबिक फैसला करेगी. उन्होंने कहा कि न केवल मस्जिद के इमाम बल्कि दूसरे किसी की भी आपत्ति आएगी तो उस पर कानून के मुताबिक विचार किया जाएगा. शर्मा ने कहा कि मस्जिद को हटाने के प्रस्ताव को लेकर हजारों आपत्तियां मिल चुकी हैं और उन पर कानून के मुताबिक विचार किया जाएगा.
सिर्फ दिल्ली वक्फ बोर्ड ही दायर कर सकता याचिकाः उन्होंने कहा कि मस्जिद के इमाम को इस मामले में याचिका दायर करने का क्षेत्राधिकार नहीं है. केवल दिल्ली वक्फ बोर्ड ही याचिका दायर कर सकती है. उनकी इस दलील के बाद हाईकोर्ट ने याचिका का निस्तारण करते हुए कहा कि इस मामले पर कोई आदेश जारी नहीं करना चाहते हैं.
इसके पहले 28 फरवरी को दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने हाईकोर्ट को बताया था कि सुनहरी बाग स्थित मस्जिद को ध्वस्त करने के मामले पर विचार करने के लिए हेरिटेज कंजर्वेशन कमेटी (एचसीसी) को भेजा गया है. सुनवाई के दौरान ट्रैफिक पुलिस की ओर से पेश वरिष्ठ वकील संजय जैन ने कहा था कि ये याचिका अब निष्प्रभावी हो गई है क्योंकि अब इस मामले पर एचसीसी विचार कर रही है.
दरअसल, मस्जिद के इमाम अब्दुल अजीज की ओर से नई दिल्ली नगरपालिका परिषद की ओर से एक अखबार में जारी उस इश्तेहार को चुनौती दी गई थी, जिसमें मस्जिद को हटाने को लेकर लोगों की राय मांगी गई है. याचिका में कहा गया था कि मस्जिद डेढ़ सौ साल पुरानी है और ये दिल्ली की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है. नई दिल्ली नगरपालिका परिषद, हेरिटेज कंजर्वेशन कमेटी, दिल्ली ट्रैफिक पुलिस और केंद्रीय गृह और शहरी मामलों के मंत्रालय को इस मस्जिद को कोई भी नुकसान करने से रोका जाए.
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