नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने विदेशों में बसे भारतीयों को दोहरी नागरिकता देने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है. बुधवार को कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि दोहरी नागरिकता पर फैसला लेने का अधिकार कोर्ट को नहीं है, बल्कि संसद इस पर फैसला लेगी.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि ये मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ है. इसके दूरगामी परिणम होंगे. ये कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है. इसे संसद को देखना है. कोर्ट इस पर फैसला नहीं कर सकती है. याचिका प्रवासी लीगल सेल ने दायर किया था. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील रॉबिन राजू ने हाईकोर्ट से कहा कि वर्तमान में जो कानून है वो दोहरी नागरिकता का समर्थन नहीं करता है, क्योंकि जैसे ही कोई व्यक्ति दूसरे देश का पासपोर्ट हासिल कर लेता है वो भारत का नागरिक नहीं रह जाता है.
कोर्ट ने खारिज की दलीलः कोर्ट ने जब याचिकाकर्ता की दलीलों को खारिज कर दिया तब याचिकाकर्ता ने याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया. याचिका में कहा गया था कि हाल में केंद्र सरकार ने कहा था कि दोहरी नागरिका के मुद्दा पर अभी बात चल रही है. विदेशों में रह रहे भारतीयों को अगर दोहरी नागरिकता दी जाती है तो इससे देश को काफी फायदा होगा. विदेश में रह रहे भारतीय देश को काफी मदद कर सकेंगे. याचिका में कहा गया था कि करीब 130 देशों में दोहरी नागरिकता का प्रावधान है.