नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने फरवरी 2020 के दिल्ली दंगों की साजिश रचने के मामले में आरोपी सलीम मलिक को जमानत देने से इनकार कर दिया. न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति मनोज जैन की खंडपीठ ने यह आदेश पारित किया. मंगलवार को कोर्ट ने कहा कि सलीम उन बैठकों में शामिल हुए जहां दंगे जैसी हिंसा पर खुलकर चर्चा की गई. वित्त पोषण, हथियारों की व्यवस्था, लोगों की हत्या के लिए पेट्रोल बम की खरीद और संपत्ति की आगजनी और क्षेत्र में लगे सीसीटीवी को नष्ट करने पर भी चर्चा हुई थी. न्यायालय ने रेखांकित किया कि यह एक लोकतांत्रिक राष्ट्र में स्वीकार्य नहीं है.
न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत की अध्यक्षता वाली पीठ ने मंगलवार को अपलोड किए गए अपने आदेश में कहा कि यह संकेत देने के लिए पर्याप्त सामग्री है कि आरोपी सलीम मलिक, जिसने कथित तौर पर सद्भाव को नष्ट करने के लिए धर्म के नाम पर स्थानीय लोगों को उकसाया था, एक सह-साजिशकर्ता था. अदालत ने कहा कि विरोध स्थलों को धर्मनिरपेक्ष रंग देने के लिए "धर्मनिरपेक्ष नाम दिए गए थे और साजिशकर्ताओं का उद्देश्य विरोध प्रदर्शन को "चक्का जाम" तक बढ़ाना और एकत्रित भीड़ को हिंसा में शामिल करना था.
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दंगे में 53 लोगों की हुई थी मौत: दरअसल, फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में 53 लोगों की मौत हो गई और 700 से अधिक लोग घायल हो गए. यह हिंसा नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान भड़क गई थी. उच्च न्यायालय के समक्ष, वर्तमान यूएपीए एफआईआर में जून 2020 में गिरफ्तार मलिक ने ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित अक्टूबर 2022 के आदेश को चुनौती दी, जिसने उसे एफआईआर में जमानत देने से इनकार कर दिया था.
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