नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली दंगों की साजिश रचने की आरोपी देवांगन कलीता की जांच से संबंधित केस डायरी को संरक्षित रखने का आदेश दिया है. जस्टिस जसमीत सिंह की बेंच ने कहा कि ट्रायल कोर्ट में चल रहे मामले का कोई भी फैसला हाईकोर्ट में लंबित इस मामले के फैसले पर निर्भर करेगा. मामले की अगली सुनवाई 31 जनवरी 2025 को होगी.
केस डायरी के दस्तावेजों को संरक्षित रखने का दिशानिर्देश
देवांगन कलीता की ओर से पेश वकील ने हाईकोर्ट से कहा कि केस डायरी में पूर्व की तिथियों को अंकित कर बयानों को दर्ज किया गया है जो कानूनी तौर पर वैध नहीं है. उन्होंने मांग की कि केस डायरी के दस्तावेजों को संरक्षित रखने का दिशानिर्देश जारी किए जाएं. तब कोर्ट ने कहा कि हम एकतरफा आदेश जारी नहीं कर सकते, दिल्ली पुलिस का जवाब आने दीजिए. कलीता की ओर से कहा गया कि ट्रायल कोर्ट में आरोप तय करने पर सुनवाई चल रही है. आरोप तय करने पर सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने केस डायरी में पूर्व की तिथियों वाले बयानों का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि देवांगन कलीता की पुलिस के साथ धक्का-मुक्की करवाने में मुख्य भूमिका थी.
सड़क जाम कर लोगों को उकसाने का आरोप
कलीता पर आरोप है कि उसने 22 फरवरी 2020 को जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के पास सड़क जाम करने के लिए लोगों को उकसाया था. कलीता को यूएपीए के मामले में जमानत मिल चुकी है. इस मामले में जिन लोगों को आरोपी बनाया गया है उनमें सफूरा ज़रगर, ताहिर हुसैन, उमर खालिद, खालिद सैफी, इशरत जहां, मीरान हैदर, गुलफिशा, शफा उर रहमान, आसिफ इकबाल तन्हा, शादाब अहमद, तसलीम अहमद, सलीम मलिक, मोहम्मद सलीम खान, अतहर खान, शरजील इमाम, फैजान खान, नताशा नरवाल और देवांगन कलीता शामिल हैं. इनमें सफूरा ज़रगर, आसिफ इकबाल तन्हा, देवांगन कलीता और नताशा नरवाल को जमानत मिल चुकी है. बता दें कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में 53 लोग मारे गए थे और करीब दो सौ लोग घायल हो गए थे.
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