नई दिल्ली: दिल्ली एनसीआर के स्कूलों में बम की अफवाह से बुधवार को पूरे दिन हो-हल्ला चलता रहा. हालांकि सभी स्कूलों की विस्तृत जांच के बाद कुछ भी नहीं मिला. हालांकि ऐसा पहली बार नहीं है, जब इस तरह की अफवाह फैलाई गई हो. पिछले एक साल से भी ज्यादा समय से इस तरह की घटनाएं सामने आ रही हैं, लेकिन इन घटनाओं को रोकने के लिए दिल्ली सरकार अभी तक कोई एक्शन प्लान तैयार नहीं कर पाई है. इन घटनाओं को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में भी एक मामला लंबित है, जिसपर दिल्ली सरकार को जवाब दाखिल करना है. अब इस मामले में शुक्रवार को सुनवाई की जाएगी.
ऐसी घटनाओं के खिलाफ प्रशासन की नाकामी इसी से जाहिर होती है कि दिल्ली हाईकोर्ट पिछले लगभग एक साल से इस मामले में दिल्ली सरकार की रिपोर्ट के इंतजार में है, ताकि ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए एक्शन प्लान बनाया जा सके. हालांकि हर बार स्टेटस रिपोर्ट के लिए वक्त मांगकर राज्य सरकार इस मुद्दे को लटका रही है.
एक अप्रैल को सुनवाई के दौरान भी स्कूलों के मामले से जुड़ी याचिका पर जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने दिल्ली सरकार की रिपोर्ट दाखिल न होने पर अपनी नाराजगी जाहिर की थी. कोर्ट ने कहा था कि इसपर दिल्ली पुलिस ने तो अपना जवाब दाखिल कर दिया, लेकिन दिल्ली सरकार का जवाब आना अभी बाकी है. एकल पीठ का कहना था कि स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बम की धमकियों और अन्य आपदाओं से निपटने के लिए एक विस्तृत और उचित एक्शन प्लान तैयार करने के लिए दिल्ली सरकार का जवाब जरूरी है.
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इस टिप्पणी के साथ जस्टिस प्रसाद ने दिल्ली सरकार को 29 अप्रैल तक अपनी स्टेटस रिपोर्ट सकारात्मक रूप से दायर करने का निर्देश दिया था. साथ ही चेतावनी भी दी थी कि इसमें नाकाम रहने पर शिक्षा विभाग के जॉइंट सेक्रेटरी पद के अधिकारी को कोर्ट में आकर सफाई देनी होगी कि समय पर रिपोर्ट क्यों नहीं दी गई. उल्लेखनीय है कि बुधवार को एक बार फिर दिल्ली सहित एनसीआर के करीब 100 स्कूलों में ईमेल के जरिए बम होने की धमकी मिली थी.
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