नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि अन्य राजनीतिक दलों की तरह आप पार्टी भी यहां कार्यालय के लिए जगह पाने का हकदार है और केंद्र से इस मुद्दे पर छह सप्ताह के भीतर निर्णय लेने को कहा है. न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि आप पार्टी सामान्य पूल से एक घर की हकदार हैं. केवल दबाव या अनुपलब्धता अस्वीकार करने का कोई कारण नहीं है क्योंकि दबाव हमेशा रहता है और ऐसे में ही घर हमेशा राजनीतिक दलों को आवंटित किए गए है.
आप को 15 जून तक अपना वर्तमान कार्यालय खाली है करना
बता दें कि पार्टी को सर्वोच्च न्यायालय में दिए गए वचन के अनुसार 15 जून तक अपना वर्तमान कार्यालय खाली करना है. "न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि पार्टी को डीडीयू मार्ग पर स्थित अपने किसी मंत्री के आवास को अपने अस्थायी कार्यालय के रूप में दावा करने का कोई अधिकार नहीं है. "उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से छह सप्ताह के भीतर पार्टी के प्रतिनिधित्व पर निर्णय लेने और एक तर्कसंगत आदेश पारित करने को कहा है.
हाई कोर्ट ने 27 मई को आम आदमी पार्टी की याचिका पर फैसला रखा था सुरक्षित
उच्च न्यायालय ने 27 मई को आम आदमी पार्टी (आप) की याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रखा था. हालांकि, न्यायालय ने माना कि केवल अनुपलब्धता के आधार पर इसे खारिज नहीं किया जा सकता है. इससे पहले, केंद्र सरकार के वकील कीर्तिमान सिंह ने ये दलील दी थी कि केंद्र सरकार के पास डीडीयू मार्ग पर कोई जमीन खाली नहीं है.
केंद्र सरकार के वकील की दलील
केंद्र सरकार के वकील ने यह भी बताया कि 2024 में पार्टी को साकेत में जमीन आवंटित की गई थी और उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया. 2023 से पहले जब यह एक राष्ट्रीय पार्टी बन गई तब पार्टी ने कभी भी मध्य दिल्ली में जमीन नहीं मांगी. जून 2023 में, उन्होंने (आप) कहा कि डीडीयू मार्ग पर कुछ जमीन उपलब्ध है. और फिर 2023 में हमने उन्हें स्थायी आवंटन के लिए जमीन की पेशकश की. निरीक्षण के बाद, हमने पाया कि डीडीयू मार्ग पर कोई जमीन उपलब्ध नहीं है.
2024 में आप पार्टी को साकेत में मिली जमीन मंजूर नहीं
केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि 2024 में उन्हें साकेत में दो भूखंड प्रदान किया जाता है. जिस पर "वरिष्ठ अधिवक्ता सुधीर नंदराजोग ने सुझाव दिया कि आप उन्हें दूर जगह पर फेंक रहे हैं उन्हें आप मंत्री के कब्जे वाले दो भूखंड पार्टी को उनके कार्यालय के लिए दिए जा सकते हैं. तब कोर्ट ने पूछा था कि क्या आप पार्टी अपने कार्यालय के उद्देश्य के लिए भूखंड का उपयोग कर सकते हैं जबकि ये भूखंड उन्हें आवंटित नहीं किए गए थे. उन्होंने उन पर कब्जा कर लिया और अब वे उनके कब्जे में हैं. जिसपर केंद्र सरकार के वकील कीर्तिमान सिंह ने कहा कि पहले आप पार्टी को कब्जे वाली जमीन वापस करनी होगी.
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दलील अदालत को गुमराह करने का एक मजबूत प्रयास
वरिष्ठ अधिवक्ता नंदराजोग ने कहा कि ये दलील अदालत को गुमराह करने का एक मजबूत प्रयास है. अदालत ने मामले में केंद्र सरकार से पूछा कि क्या राष्ट्रीय राजनीतिक दलों की कोई प्रतीक्षा सूची है? क्या राजनीतिक दलों के लिए घर निर्धारित हैं. सुनवाई के दौरान, न्यायालय ने पूछा था कि क्या दिल्ली के मंत्री के कब्जे में मौजूद भूखंडों को याचिकाओं के परिणाम के अधीन अस्थायी आधार पर पार्टी को उनके कार्यालय के लिए दिया जा सकता है. अधिवक्ता नंदराजोग ने अदालत ये ये भी पूछा कि यदि आप पार्टी को भूमि आवंटित की जाती है तो क्या हम 15 जून तक उस पर भवन बना सकते हैं .
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