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द‍िल्‍ली में धड़ल्‍ले से चल रहे अवैध बोरवेल! एक्‍शन लेने में नाकाम प्रशासन - llegal Borewell in Delhi

llegal Borewell in Delhi: द‍िल्‍ली के ग्राउंड वाटर लेवल को बढ़ाने के ल‍िए भले ही आम आदमी पार्टी सरकार बड़े-बड़े दावे क्‍यों ना करती आई हो. हकीकत यह है क‍ि वो राजधानी में अवैध तरीके से हो रहे जल दोहन को नहीं रोक पा रही है. इसका बड़ा कारण यह है क‍ि द‍िल्‍ली में करीब 19000 से ज्‍यादा अवैध बोरवेल.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Apr 18, 2024, 12:43 PM IST

Updated : Apr 18, 2024, 2:36 PM IST

नई द‍िल्‍ली: अवैध बोरवेल पर लगाम कसने में द‍िल्‍ली जल बोर्ड और दूसरे संबंध‍ित व‍िभाग व ज‍िला मज‍ि‍स्‍ट्रेट प्रशासन नाकाम रहा है. यह समस्‍या द‍िल्‍लीभर में पानी की पर्याप्‍त सप्‍लाई नहीं होने की वजह से लंबे समय से बरकरार है. इसका खुलासा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में दायर एक स्‍टेट्स रिपोर्ट में हुआ है. अब इस मामले पर एनजीटी में आज गुरुवार को एक बार फ‍िर सुनवाई होगी.

एनजीटी में दायर र‍िपोर्ट की माने तो दिल्ली जल बोर्ड ने शहर में कुल 19,000 से ज्‍यादा अवैध बोरवेलों की पहचान की है, लेकिन अब तक स‍िर्फ 11,000 के ख‍िलाफ ही सील‍िंग की कार्रवाई कर पाया है. द‍िल्‍ली में सबसे ज्‍यादा अवैध बोरवेल की संख्‍या नॉर्थ वेस्‍ट द‍िल्‍ली ज‍िले में है जबक‍ि नॉर्थ ईस्‍ट द‍िल्‍ली ज‍िला के अध‍िकार‍ियों के पास अवैध बोरवेल की पहचान करने आद‍ि का कोई र‍िकॉर्ड ही उपलब्‍ध नहीं है. हालांक‍ि, डेटा में राजधानी में कुल 20 हजार से ज्‍यादा अवैध बोरवेल होने का दावा क‍िया गया है.

ग्राउंड वॉटर लेवल में भारी गिरावट: दरअसल, पिछले कुछ सालों में यमुना से कुछ दूरी पर स्थित कई इलाकों में ग्राउंड वॉटर लेवल में भारी गिरावट र‍िकॉर्ड की गई है. हाल ही के महीनों में द‍िल्‍ली के कई इलाके जल संकट से जूझने लग गए हैं ज‍िसका बड़ा उदाहरण पूर्वी द‍िल्‍ली का फर्श बाजार का इलाका है. इस इलाके में बीते सप्‍ताह शुक्रवार को एक नल से पानी लेने के झगड़े में एक मह‍िला की जान चली गई थी. इस मामले पर द‍िल्‍ली की मंत्री आत‍िशी और उप-राज्‍यपाल वीके सक्‍सेना के बीच वाकयुद्ध छ‍िड़ा हुआ है.

दिल्ली में भूजल का किया जा रहा दोहन
दिल्ली में भूजल का किया जा रहा दोहन

एसडीएम के जर‍िए ज‍िला मज‍िस्‍ट्रेट रखते हैं न‍िगरानी: इस बीच देखा जाए तो ब‍िना सक्षम अध‍िकारी की पूर्व अनुमत‍ि के जमीन से पानी न‍िकालने की इजाजत नहीं है. इसके ल‍िए सभी ज‍िलों में ज‍िला मज‍िस्‍ट्रेट (रेवन्‍यू) को स्‍थानीय एसडीएम के जर‍िये अवैध तरीके से भूजल न‍िकासी पर कड़ी न‍िगरानी रखना जरूरी है. इस दौरान उनको पर्यावरण व‍िभाग की मानक संचालन प्रक्रिया का अनुपालन कराना अन‍िवार्य है. वहीं, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति को पर्यावरणीय मुआवजे का आकलन करना जरूरी होता है. बावजूद इसके इस पर कोई खास कार्रवाई नहीं हुई है.

एनजीटी में 2022 में आया था अवैध बोरवेल से जुड़ा मामला: द‍िल्‍ली में अवैध बोरवेल से जुड़ा मामला एनजीटी में साल 2022 में उस वक्‍त आया था जब आया नगर में दो प्‍लॉट को सील करने के न‍िर्देश द‍िए गए थे. यहां पर अवैध तरीके से जमीन से पानी की न‍िकासी का काम क‍िया जा रहा था और टैंकरों के जर‍िए लोगों को पानी सप्‍लाई क‍िया जा रहा था. डीपीसीसी ने इस माह की शुरुआत में बोरवेल संचालक पर 9.46 लाख रुपये का पर्यावरणीय मुआवजा लगाया था.

ये भी पढ़ें- जल मंत्री आतिशी ने LG से 24 घंटे के अंदर दिल्ली जल बोर्ड के सीईओ को सस्पेंड करने की मांग की, जानें क्यों

एनजीटी के आदेश के बाद चीफ सेक्रेटरी ने की थी व‍िभागीय मीट‍िंग: ट्र‍िब्‍यूनल ने मार्च माह में डीजेबी से अवैध बोरवेल मामले पर पूरी स्‍टेट्स र‍िपोर्ट सबम‍िट करने के न‍िर्देश द‍िए थे ज‍िसमें कार्रवाई से लेकर पर्यावरणीय मुआवजा आद‍ि सब कुछ ड‍िटेल हो. चीफ सेक्रेटरी को संबंध‍ित व‍िभागों के साथ मीट‍िंग के जर‍िए इसके ठोस उपाय सुन‍िश्‍च‍ित करने के न‍िर्देश भी द‍िए थे. इस द‍िशा में मुख्य सचिव की ओर से गत 12 अप्रैल को डीजेबी, एमसीडी, डीपीसीसी, राजस्व विभाग, दिल्ली पुलिस और यूडी विभाग के अफसरों के साथ अहम मीट‍िंग की गई थी.

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जुर्माने की र‍िकवरी में तेजी लाने के दि‍ए गए थे न‍िर्देश: इसके बाद, डीजेबी और राजस्व विभाग को उन क्षेत्रों में अवैध बोरवेलों पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया, जोकि पानी का ज्‍यादा दोहन या फि‍र मुनाफाखोरी के ल‍िए ल‍िए भूजल न‍िकासी कर रहे हैं. इस बात पर भी बल द‍िया गया क‍ि जहां पर पानी का लेवल संतोषजनक है और गुणवत्ता के ल‍िहाज से पानी पीने योग्य है, वहां पर बोरवेल को अनुमति प्रदान की जाए. डीपीसीसी को अवैध बोरवेल के ख‍िलाफ लगाए गए जुर्माने की र‍िकवरी में तेजी लाने के न‍िर्देश भी चीफ सेक्रेटरी की तरफ से मीट‍िंग में द‍िए गए थे.

ये भी पढ़ें- दिल्ली: गर्मी बढ़ने के साथ पानी की किल्लत शुरू, सोमनाथ भारती ने LG पर राजनीति करने का लगाया आरोप

70 करोड़ के जुर्माने में से वसूले स‍िर्फ 53 लाख: डीपीसीसी ने ट्रिब्यूनल को अवगत कराया है क‍ि 70.65 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया था, लेकिन स‍िर्फ 121 उल्लंघनकर्ताओं से केवल 53 लाख रुपये की वसूली की गई. वहीं, 18,481 मामलों में जुर्माना लगाया गया है. डीपीसीसी की ओर से इस राशि का उपयोग भूजल से संबंधित जल गुणवत्ता निगरानी के लिए बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने के ल‍िए क‍िया है.

ज‍िला मज‍िस्‍ट्रेटों ने डेटा को वेर‍िफाई करने की जरूरत पर द‍िया बल: मीट‍िंग के दौरान ज‍िला मज‍िस्‍ट्रेटों की तरफ से अवैध बोरवेल के डेटा को एक बार फ‍िर से वेर‍िफाइ करने की जरूरत पर बल देने की बात कही है. इस डेटा के आधा अधूरा और स्‍पष्‍ट नहीं होने का मामला भी रखा है. साथ ही यह भी समस्‍या उठाई कि कई बार अवैध बोरवेल के ख‍िलाफ एक्‍शन लेने पर उनको जनता के व‍िरोध का सामना भी करना पड़ता है. यह सब डीजेबी की ओर से पर्याप्‍त पानी की सप्‍लाई नहीं क‍िए जाने की वजह से है.

ये भी पढ़ें: सीएम केजरीवाल के बर्खास्‍त निजी सचिव ब‍िभव कुमार को नहीं म‍िली CAT से राहत, ट्र‍िब्‍यूनल बोला- नहीं दे सकते हैं अंतर‍िम राहत

नई द‍िल्‍ली: अवैध बोरवेल पर लगाम कसने में द‍िल्‍ली जल बोर्ड और दूसरे संबंध‍ित व‍िभाग व ज‍िला मज‍ि‍स्‍ट्रेट प्रशासन नाकाम रहा है. यह समस्‍या द‍िल्‍लीभर में पानी की पर्याप्‍त सप्‍लाई नहीं होने की वजह से लंबे समय से बरकरार है. इसका खुलासा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में दायर एक स्‍टेट्स रिपोर्ट में हुआ है. अब इस मामले पर एनजीटी में आज गुरुवार को एक बार फ‍िर सुनवाई होगी.

एनजीटी में दायर र‍िपोर्ट की माने तो दिल्ली जल बोर्ड ने शहर में कुल 19,000 से ज्‍यादा अवैध बोरवेलों की पहचान की है, लेकिन अब तक स‍िर्फ 11,000 के ख‍िलाफ ही सील‍िंग की कार्रवाई कर पाया है. द‍िल्‍ली में सबसे ज्‍यादा अवैध बोरवेल की संख्‍या नॉर्थ वेस्‍ट द‍िल्‍ली ज‍िले में है जबक‍ि नॉर्थ ईस्‍ट द‍िल्‍ली ज‍िला के अध‍िकार‍ियों के पास अवैध बोरवेल की पहचान करने आद‍ि का कोई र‍िकॉर्ड ही उपलब्‍ध नहीं है. हालांक‍ि, डेटा में राजधानी में कुल 20 हजार से ज्‍यादा अवैध बोरवेल होने का दावा क‍िया गया है.

ग्राउंड वॉटर लेवल में भारी गिरावट: दरअसल, पिछले कुछ सालों में यमुना से कुछ दूरी पर स्थित कई इलाकों में ग्राउंड वॉटर लेवल में भारी गिरावट र‍िकॉर्ड की गई है. हाल ही के महीनों में द‍िल्‍ली के कई इलाके जल संकट से जूझने लग गए हैं ज‍िसका बड़ा उदाहरण पूर्वी द‍िल्‍ली का फर्श बाजार का इलाका है. इस इलाके में बीते सप्‍ताह शुक्रवार को एक नल से पानी लेने के झगड़े में एक मह‍िला की जान चली गई थी. इस मामले पर द‍िल्‍ली की मंत्री आत‍िशी और उप-राज्‍यपाल वीके सक्‍सेना के बीच वाकयुद्ध छ‍िड़ा हुआ है.

दिल्ली में भूजल का किया जा रहा दोहन
दिल्ली में भूजल का किया जा रहा दोहन

एसडीएम के जर‍िए ज‍िला मज‍िस्‍ट्रेट रखते हैं न‍िगरानी: इस बीच देखा जाए तो ब‍िना सक्षम अध‍िकारी की पूर्व अनुमत‍ि के जमीन से पानी न‍िकालने की इजाजत नहीं है. इसके ल‍िए सभी ज‍िलों में ज‍िला मज‍िस्‍ट्रेट (रेवन्‍यू) को स्‍थानीय एसडीएम के जर‍िये अवैध तरीके से भूजल न‍िकासी पर कड़ी न‍िगरानी रखना जरूरी है. इस दौरान उनको पर्यावरण व‍िभाग की मानक संचालन प्रक्रिया का अनुपालन कराना अन‍िवार्य है. वहीं, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति को पर्यावरणीय मुआवजे का आकलन करना जरूरी होता है. बावजूद इसके इस पर कोई खास कार्रवाई नहीं हुई है.

एनजीटी में 2022 में आया था अवैध बोरवेल से जुड़ा मामला: द‍िल्‍ली में अवैध बोरवेल से जुड़ा मामला एनजीटी में साल 2022 में उस वक्‍त आया था जब आया नगर में दो प्‍लॉट को सील करने के न‍िर्देश द‍िए गए थे. यहां पर अवैध तरीके से जमीन से पानी की न‍िकासी का काम क‍िया जा रहा था और टैंकरों के जर‍िए लोगों को पानी सप्‍लाई क‍िया जा रहा था. डीपीसीसी ने इस माह की शुरुआत में बोरवेल संचालक पर 9.46 लाख रुपये का पर्यावरणीय मुआवजा लगाया था.

ये भी पढ़ें- जल मंत्री आतिशी ने LG से 24 घंटे के अंदर दिल्ली जल बोर्ड के सीईओ को सस्पेंड करने की मांग की, जानें क्यों

एनजीटी के आदेश के बाद चीफ सेक्रेटरी ने की थी व‍िभागीय मीट‍िंग: ट्र‍िब्‍यूनल ने मार्च माह में डीजेबी से अवैध बोरवेल मामले पर पूरी स्‍टेट्स र‍िपोर्ट सबम‍िट करने के न‍िर्देश द‍िए थे ज‍िसमें कार्रवाई से लेकर पर्यावरणीय मुआवजा आद‍ि सब कुछ ड‍िटेल हो. चीफ सेक्रेटरी को संबंध‍ित व‍िभागों के साथ मीट‍िंग के जर‍िए इसके ठोस उपाय सुन‍िश्‍च‍ित करने के न‍िर्देश भी द‍िए थे. इस द‍िशा में मुख्य सचिव की ओर से गत 12 अप्रैल को डीजेबी, एमसीडी, डीपीसीसी, राजस्व विभाग, दिल्ली पुलिस और यूडी विभाग के अफसरों के साथ अहम मीट‍िंग की गई थी.

ो

जुर्माने की र‍िकवरी में तेजी लाने के दि‍ए गए थे न‍िर्देश: इसके बाद, डीजेबी और राजस्व विभाग को उन क्षेत्रों में अवैध बोरवेलों पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया, जोकि पानी का ज्‍यादा दोहन या फि‍र मुनाफाखोरी के ल‍िए ल‍िए भूजल न‍िकासी कर रहे हैं. इस बात पर भी बल द‍िया गया क‍ि जहां पर पानी का लेवल संतोषजनक है और गुणवत्ता के ल‍िहाज से पानी पीने योग्य है, वहां पर बोरवेल को अनुमति प्रदान की जाए. डीपीसीसी को अवैध बोरवेल के ख‍िलाफ लगाए गए जुर्माने की र‍िकवरी में तेजी लाने के न‍िर्देश भी चीफ सेक्रेटरी की तरफ से मीट‍िंग में द‍िए गए थे.

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70 करोड़ के जुर्माने में से वसूले स‍िर्फ 53 लाख: डीपीसीसी ने ट्रिब्यूनल को अवगत कराया है क‍ि 70.65 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया था, लेकिन स‍िर्फ 121 उल्लंघनकर्ताओं से केवल 53 लाख रुपये की वसूली की गई. वहीं, 18,481 मामलों में जुर्माना लगाया गया है. डीपीसीसी की ओर से इस राशि का उपयोग भूजल से संबंधित जल गुणवत्ता निगरानी के लिए बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने के ल‍िए क‍िया है.

ज‍िला मज‍िस्‍ट्रेटों ने डेटा को वेर‍िफाई करने की जरूरत पर द‍िया बल: मीट‍िंग के दौरान ज‍िला मज‍िस्‍ट्रेटों की तरफ से अवैध बोरवेल के डेटा को एक बार फ‍िर से वेर‍िफाइ करने की जरूरत पर बल देने की बात कही है. इस डेटा के आधा अधूरा और स्‍पष्‍ट नहीं होने का मामला भी रखा है. साथ ही यह भी समस्‍या उठाई कि कई बार अवैध बोरवेल के ख‍िलाफ एक्‍शन लेने पर उनको जनता के व‍िरोध का सामना भी करना पड़ता है. यह सब डीजेबी की ओर से पर्याप्‍त पानी की सप्‍लाई नहीं क‍िए जाने की वजह से है.

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Last Updated : Apr 18, 2024, 2:36 PM IST
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