नई दिल्ली: दिल्ली ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन (डीटीसी) के कर्मचारियों ने दिल्ली सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है. कर्मचारियों का कहना है कि भाजपा के निजीकरण का विरोध करने वाली आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार खुद डीटीसी का निजीकरण करती जा रही है. इससे उनकी नौकरी खतरे में है. दिल्ली में डीटीसी की बसें धीरे-धीरे सड़कों से हट रही हैं. उनकी जगह इलेक्ट्रिक बसें आ रही हैं. अगले एक साल में दिल्ली सरकार ने दिल्ली की सड़कों पर 8000 इलेक्ट्रिक बसें चलाने का लक्ष्य रखा है.
कर्मचारियों का कहना है कि इन बसों को बनाने वाली कंपनी ही संचालन कर रही हैं. इतना ही नहीं इलेक्ट्रिक बसों को चलाने के लिए डीटीसी द्वारा फेल किए गए चालकों को निजी कंपनियों ने रखा है. जिससे आए दिन हादसे हो रहे हैं. यात्रियों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. दूसरी तरफ डीटीसी की बसें एक्सपायर होने के बाद सड़कों से हट रही हैं. ऐसे में डीटीसी के चालकों की नौकरी खतरे में है. इतना ही नहीं कर्मचारियों का आरोप है कि डीटीसी में संविदा पर काम करने वाले कर्मचारियों का विभिन्न तरीकों से शोषण किया जा रहा है, जिससे मजबूर होकर नौकरी छोड़ कर निजी कंपनियों में जाकर बसें चला रहे हैं.
इलेक्ट्रिक बसों में डीटीसी के ड्राइवर नहीं: डीटीसी कर्मचारी एकता यूनियन के महासचिव मनोज कुमार शर्मा ने कहा कि जो ड्राइवर डीटीसी में पिछले 15, 20 या 25 साल से बस चला रहे हैं आज उनकी नौकरी खतरे में है. क्योंकि जो नई इलेक्ट्रिक बसें आ रही हैं, उन्हें प्राइवेट कंपनियां ही चलवा रहीं है. वह प्राइवेट ड्राइवर रख रही हैं. मेंटेनेंस भी प्राइवेट कंपनी ही कर रही है. सिर्फ कंडक्टर डीटीसी का है. हम लोग यही मांग कर रहे हैं कि क्या इलेक्ट्रिक बसों के अंदर डीटीसी के ड्राइवर नहीं रखे जा सकते हैं. डीटीसी द्वारा चलाई जा रहीं सीएनजी बसें आने वाले कुछ महीनों में सड़क से हट जाएंगी. इसके बाद चालक कहां जाएंगे. इन्हें कौन नौकरी देगा.
"अभी डीटीसी की बसें चल रही हैं. जब तक बसें हटेंगी तब तक कुछ न कुछ विकल्प संविदा चालकों के लिए निकाल लिया जाएगा. डीटीसी द्वारा अयोग्य घोषित किये गए चालकों को निजी कंपनियां अपने यहां चालक रख रही हैं. इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है. इलेक्ट्रिक बसों के संचालन और मेंटेनेंस की पूर्ण जिम्मेदारी बस बनाने वाली कंपनी की है" - राकेश कुमार, पीआर मैनेजर, डीटीसी
डीटीसी के टेस्ट में फेल चालक चला रहे इलेक्ट्रिक बसें: डीटीसी में चालक होशियार सिंह ने कहा कि डीटीसी की बसें पुरानी हो चुकी हैं. दिन प्रतिदिन खराब हो रही हैं. जो इलेक्ट्रिक बसें आ रही हैं उन्हें चलाने के लिए प्राइवेट चालक को कंपनियां रख रही हैं. ऐसे में हम कहां जाएंगे. परिवार कैसे चलेगा. दिल्ली सरकार ने पहले ही कह दिया था कि डीटीसी के चालकों को घर भेजा जाए. विभाग में ऐसा माहौल है कि डीटीसी से रिजाइन दो और प्राइवेट कंपनियों को ज्वाइन करो. इसलिए डीटीसी वाले तरह-तरह से परेशान करते रहते हैं. ऐसे चालक जिनको डीटीसी अपने टेस्ट में अनफिट कर देती है. वह प्राइवेट कंपनी में इलेक्ट्रिक बसें चला रहे हैं. यही वजह है कि इलेक्ट्रिक बसों से आए दिन हादसे हो रहे हैं.
नौकरी छोड़ने के लिए किया जा रहा मजबूर: डीटीसी कर्मचारी एकता यूनियन के प्रेसिडेंट ललित चौधरी ने कहा कि डीटीसी में जरा जरा सी बात पर अनफिट किया जा रहा है, जिससे उन्हें नौकरी से हटाया जा सके. इस तरह दशकों का अनुभव रखने वाले चालकों को परेशान किया जा रहा है. ऐसा इसलिए किया जा रहा है, जिससे चालक नौकरी छोड़कर प्राइवेट कंपनियों को ज्वाइन कर इलेक्ट्रिक बसें चलाएं. दिल्ली के एक बॉर्डर से दूसरे बॉर्डर पर कर्मचारियों का ट्रांसफर कर दिया जा रहा है, जिससे वह परेशान होकर नौकरी छोड़ रहा है. इतना ही नहीं ट्रांसफर रुकवाने के नाम पर भी कुछ अधिकारियों द्वारा पैसे भी लिए जाने का आरोप है. प्राइवेट कंपनियों में गैर अनुभवी चालक रखने से आए दिन हादसे हो रहे हैं. ये दिल्ली के लोगों के लिए भी खतरा है.
दिल्ली में बस ड्राइवर बेरोजगारी की कगार पर: ललित चौधरी ने कहा कि डीटीसी की मुहर लगवाकर प्राइवेट कंपनियां बसें चला रही हैं. ऑटो, ट्रैक्टर आदि चलाने वाले चालक इन इलेक्ट्रिक बसों को चला रहे हैं. दिल्ली में बसों के असली ड्राइवर बेरोजगारी की कगार पर हैं. दिल्ली सरकार ने पहले सिविल डिफेंस के कर्मचारियों को भर्ती किया फिर निकाल दिया गया. दिल्ली में जो मार्शल महिलाओं की सुरक्षा में बसों में लगे हैं. छह माह से उन्हें वेतन नहीं दिया गया है. जब घर रोटी खाने को नहीं होगी तो क्या वह महिला सुरक्षा कर पाएगा. दिल्ली सरकार कहती है कि उनके पास फंड बहुत है तो वेतन क्यों नहीं दे रही है. इस तरह बसों में महिलाओं की सुरक्षा कैसे पुख्ता होगी.