ETV Bharat / state

Delhi: यमुना के पानी से जहरीले झाग हटाने के लिए किए 6,856 करोड़ खर्च, फिर भी यमुना मैली की मैली - TOXIC FOAM IN YAMUNA

नजफगढ़ नाले का यमुना को प्रदूषित करने में 70% योगदान. इस साल के अंत तक तैयार होंगे 40 में से 29 एसटीपी.

Etv Bharat
दिल्ली में सबसे ज्यादा दूषित होती है यमुना. (Etv Bharat)
author img

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 21, 2024, 4:54 PM IST

Updated : Oct 21, 2024, 6:20 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में यमुना अपने प्रदूषित जल के कारण लगातार समग्रता में चर्चा का विषय बनी हुई है. दिल्ली की राजनीति में यमुना हर बार चुनावी मुद्दा बनती है. विपक्षी दल इसकी बदहाली पर रोष प्रकट करते हैं. जबकि, सत्ता पक्ष अगले पांच वर्षों में यमुना की स्थिति को सुधारने का दावा करता है.

दिल्ली सरकार की अनेक एजेंसियां जैसे जल बोर्ड, सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग, पीडब्ल्यूडी, दिल्ली नगर निगम और केंद्र सरकार विभिन्न योजनाओं के तहत यमुना को साफ करने का प्रयास कर रहे हैं. लेकिन, दुर्भाग्यवश यमुना दिन प्रतिदिन और अधिक प्रदूषित होती जा रही है. नदी संवाद संस्था के संयोजक जीवकांत का कहना है कि यमुना कई राज्यों से होकर गुजरती है और सरकारें हमेशा एक-दूसरे पर आरोप लगाकर अपनी जिम्मेदारी से कट जाती हैं.

यमुना का प्रदूषण: एक अध्ययन की रोशनी में: यमुना नदी यमुनोत्री से निकलकर प्रयागराज में संगम तक पहुंचते-पहुंचते जितनी मैली होती है, उसमें दिल्ली की हिस्सेदारी सबसे अधिक है. एक अध्ययन के अनुसार, यमुना का केवल दो फीसदी हिस्सा दिल्ली से होकर गुजरता है, लेकिन राजधानी दिल्ली में धुल और प्रदूषण के कारण 80 फीसदी यमुना यही मैली हो जाती है. 1370 किलोमीटर की यमुना में दिल्ली का 22 किलोमीटर का हिस्सा वजीराबाद से ओखला के बीच सबसे अधिक विषैला होता जा रहा है.

यमुना की सफाई के प्रयास और खर्च: पिछले पांच वर्षों में यमुना को स्वच्छ बनाने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा कई कदम उठाए गए हैं. 2017-18 से 2021-22 के बीच जल प्रदूषण को कम करने के लिए विभिन्न मदों में कुल 6,856.91 करोड़ रुपए खर्च किए गए. इनमें से अधिकांश राशि यमुना में गिरने वाले नालों के पानी को साफ करने वाले संयंत्रों पर खर्च की गई है. वर्तमान वित्त वर्ष में भी यमुना की सफाई के लिए 200 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. दिल्ली सरकार ने पहले तो बड़े नालों के पानी को साफ करने के लिए ट्रीटमेंट प्लांट लगाने को अपनी उपलब्धि माना था. हालांकि, इनमें से आधे भी चालू नहीं हुए हैं.

नजफगढ़ नाले की भूमिका: दिल्ली सरकार ने यमुना को स्वच्छ बनाने के लिए कई योजनाएं तैयार की हैं. इसके बावजूद नदियों की स्थिति में सुधार लाने की राह में कई चुनौतियां है. दो वर्ष पहले सरकार ने यमुना में मिलने वाले बड़े नालों के पानी को साफ करने के लिए ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने को एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया था. इस दिशा में कई प्लांट स्थापित भी किए गए हैं, लेकिन इनमें से आधे भी अब तक चालू नहीं हो पाए हैं.

5 साल में ही खर्च हो चुके हैं 6856 करोड़ रुपये, फिर भी मैली की मैली है यमुना (ETV Bharat)

यह भी पढ़ें- Delhi: 'यमुना में प्रदूषण के लिए दिल्ली सरकार जिम्मेदार...' केंद्रीय मंत्री हर्ष मल्होत्रा का बड़ा आरोप

एक्सपर्ट्स के अनुसार, नजफगढ़ नाले का यमुना को प्रदूषित करने में 70% योगदान है. इसे ध्यान में रखते हुए दिल्ली सरकार ने साहिबी नदी को पुनर्जीवित करने का निर्णय लिया है. नजफगढ़ नाले के पानी की सफाई के लिए 700 करोड़ रुपये का बजट भी आवंटित किया गया है. यह योजना नदियों के सौंदर्यीकरण और पर्यावरणीय स्वच्छता के लिए अहम है. दिल्ली के बजट में नजफगढ़ ड्रेन के पानी को साफ करने के लिए किए गए उपायों की जानकारी दी गई है. इसके अंतर्गत फ्लोटिंग वेटलैंड और फ्लोटिंग एयरेटर का इस्तेमाल किया जाएगा. इस साफ-सफाई के बाद, साहिबी नदी को उसकी पूर्व स्थिति में लाने का भी प्रयास किया जाएगा.

"केंद्रीय और राज्य सरकारों का प्राथमिक कार्य नालों के पानी को यमुना में गिरने से रोकना होना चाहिए. इसी तरह, हथिनी कुंड बैराज से दिल्ली के लिए छोड़े गए पानी की मात्रा को भी बढ़ाना आवश्यक है, ताकि यमुना नदी का प्रवाह बनाए रखा जा सके." -जीवकांत, संयोजक, नदी संवाद संस्था

यह भी पढ़ें- Delhi: 'छठी मईया माफ नहीं करेगी...' यमुना की बदहाली पर बीजेपी ने अरविंद केजरीवाल को घेरा

इस साल के अंत तक तैयार होंगे 40 में से 29 एसटीपी: दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि यमुना में गंदगी को नियंत्रित करने के लिए 40 नए डिसेंट्रलाइज्ड सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) स्थापित करने की डेडलाइन को कम कर दिया गया है. चल रहे निर्माण कार्य के अनुसार, इनमें से 29 प्लांट्स इस साल के अंत तक तैयार हो जाएंगे.

वर्तमान में दिल्ली में लगभग 960 मिलियन गैलन प्रतिदिन (MGD) सीवेज उत्पन्न होता है, जिसमें से मात्र 55% का ही ट्रीटमेंट हो पा रहा है. 35 प्लांट्स की मौजूदा क्षमता 632 MGD है, लेकिन ये अभी सिर्फ 530 MGD सीवेज को ही साफ कर रहे हैं. इस स्थिति में बाकी का गंदा पानी सीधे यमुना में जाकर गिर रहा है, जिससे यमुना की स्थिति और भी खराब हो रही है.

यमुना की सफाई पर खर्च पैसे
यमुना की सफाई पर खर्च पैसे (ETV Bharat)

विपक्ष ने सरकार पर साधा निशाना

"आम आदमी पार्टी सरकार ने यमुना की सफाई के लिए हर वित्त वर्ष में करोड़ों रुपये खर्च करने का प्रावधान किया है, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है।" उन्होंने यह भी याद दिलाया कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 2024 तक यमुना को साफ करने का वादा किया था, जो अब तक अधूरा है." -हरीश खुराना, बीजेपी नेता

"दिल्ली की जनता परेशान है, चाहे केंद्र में मोदी जी की सरकार हो या केजरीवाल जी की प्रॉक्सी सरकार।" उन्होंने करप्शन को इस समस्या का मुख्य कारण बताते हुए कहा कि बिना ट्रीटमेंट के कई नाले यमुना में गिर रहे हैं, और इस स्थिति के लिए जिम्मेदार कौन है, यह एक बड़ा सवाल है." देवेंद्र यादव, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष

यह भी पढ़ें- Delhi: प्रदूषण को लेकर दिल्ली में राजनीति गर्म, देवेंद्र यादव ने यमुना घाट का किया दौरा

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में यमुना अपने प्रदूषित जल के कारण लगातार समग्रता में चर्चा का विषय बनी हुई है. दिल्ली की राजनीति में यमुना हर बार चुनावी मुद्दा बनती है. विपक्षी दल इसकी बदहाली पर रोष प्रकट करते हैं. जबकि, सत्ता पक्ष अगले पांच वर्षों में यमुना की स्थिति को सुधारने का दावा करता है.

दिल्ली सरकार की अनेक एजेंसियां जैसे जल बोर्ड, सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग, पीडब्ल्यूडी, दिल्ली नगर निगम और केंद्र सरकार विभिन्न योजनाओं के तहत यमुना को साफ करने का प्रयास कर रहे हैं. लेकिन, दुर्भाग्यवश यमुना दिन प्रतिदिन और अधिक प्रदूषित होती जा रही है. नदी संवाद संस्था के संयोजक जीवकांत का कहना है कि यमुना कई राज्यों से होकर गुजरती है और सरकारें हमेशा एक-दूसरे पर आरोप लगाकर अपनी जिम्मेदारी से कट जाती हैं.

यमुना का प्रदूषण: एक अध्ययन की रोशनी में: यमुना नदी यमुनोत्री से निकलकर प्रयागराज में संगम तक पहुंचते-पहुंचते जितनी मैली होती है, उसमें दिल्ली की हिस्सेदारी सबसे अधिक है. एक अध्ययन के अनुसार, यमुना का केवल दो फीसदी हिस्सा दिल्ली से होकर गुजरता है, लेकिन राजधानी दिल्ली में धुल और प्रदूषण के कारण 80 फीसदी यमुना यही मैली हो जाती है. 1370 किलोमीटर की यमुना में दिल्ली का 22 किलोमीटर का हिस्सा वजीराबाद से ओखला के बीच सबसे अधिक विषैला होता जा रहा है.

यमुना की सफाई के प्रयास और खर्च: पिछले पांच वर्षों में यमुना को स्वच्छ बनाने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा कई कदम उठाए गए हैं. 2017-18 से 2021-22 के बीच जल प्रदूषण को कम करने के लिए विभिन्न मदों में कुल 6,856.91 करोड़ रुपए खर्च किए गए. इनमें से अधिकांश राशि यमुना में गिरने वाले नालों के पानी को साफ करने वाले संयंत्रों पर खर्च की गई है. वर्तमान वित्त वर्ष में भी यमुना की सफाई के लिए 200 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. दिल्ली सरकार ने पहले तो बड़े नालों के पानी को साफ करने के लिए ट्रीटमेंट प्लांट लगाने को अपनी उपलब्धि माना था. हालांकि, इनमें से आधे भी चालू नहीं हुए हैं.

नजफगढ़ नाले की भूमिका: दिल्ली सरकार ने यमुना को स्वच्छ बनाने के लिए कई योजनाएं तैयार की हैं. इसके बावजूद नदियों की स्थिति में सुधार लाने की राह में कई चुनौतियां है. दो वर्ष पहले सरकार ने यमुना में मिलने वाले बड़े नालों के पानी को साफ करने के लिए ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने को एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया था. इस दिशा में कई प्लांट स्थापित भी किए गए हैं, लेकिन इनमें से आधे भी अब तक चालू नहीं हो पाए हैं.

5 साल में ही खर्च हो चुके हैं 6856 करोड़ रुपये, फिर भी मैली की मैली है यमुना (ETV Bharat)

यह भी पढ़ें- Delhi: 'यमुना में प्रदूषण के लिए दिल्ली सरकार जिम्मेदार...' केंद्रीय मंत्री हर्ष मल्होत्रा का बड़ा आरोप

एक्सपर्ट्स के अनुसार, नजफगढ़ नाले का यमुना को प्रदूषित करने में 70% योगदान है. इसे ध्यान में रखते हुए दिल्ली सरकार ने साहिबी नदी को पुनर्जीवित करने का निर्णय लिया है. नजफगढ़ नाले के पानी की सफाई के लिए 700 करोड़ रुपये का बजट भी आवंटित किया गया है. यह योजना नदियों के सौंदर्यीकरण और पर्यावरणीय स्वच्छता के लिए अहम है. दिल्ली के बजट में नजफगढ़ ड्रेन के पानी को साफ करने के लिए किए गए उपायों की जानकारी दी गई है. इसके अंतर्गत फ्लोटिंग वेटलैंड और फ्लोटिंग एयरेटर का इस्तेमाल किया जाएगा. इस साफ-सफाई के बाद, साहिबी नदी को उसकी पूर्व स्थिति में लाने का भी प्रयास किया जाएगा.

"केंद्रीय और राज्य सरकारों का प्राथमिक कार्य नालों के पानी को यमुना में गिरने से रोकना होना चाहिए. इसी तरह, हथिनी कुंड बैराज से दिल्ली के लिए छोड़े गए पानी की मात्रा को भी बढ़ाना आवश्यक है, ताकि यमुना नदी का प्रवाह बनाए रखा जा सके." -जीवकांत, संयोजक, नदी संवाद संस्था

यह भी पढ़ें- Delhi: 'छठी मईया माफ नहीं करेगी...' यमुना की बदहाली पर बीजेपी ने अरविंद केजरीवाल को घेरा

इस साल के अंत तक तैयार होंगे 40 में से 29 एसटीपी: दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि यमुना में गंदगी को नियंत्रित करने के लिए 40 नए डिसेंट्रलाइज्ड सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) स्थापित करने की डेडलाइन को कम कर दिया गया है. चल रहे निर्माण कार्य के अनुसार, इनमें से 29 प्लांट्स इस साल के अंत तक तैयार हो जाएंगे.

वर्तमान में दिल्ली में लगभग 960 मिलियन गैलन प्रतिदिन (MGD) सीवेज उत्पन्न होता है, जिसमें से मात्र 55% का ही ट्रीटमेंट हो पा रहा है. 35 प्लांट्स की मौजूदा क्षमता 632 MGD है, लेकिन ये अभी सिर्फ 530 MGD सीवेज को ही साफ कर रहे हैं. इस स्थिति में बाकी का गंदा पानी सीधे यमुना में जाकर गिर रहा है, जिससे यमुना की स्थिति और भी खराब हो रही है.

यमुना की सफाई पर खर्च पैसे
यमुना की सफाई पर खर्च पैसे (ETV Bharat)

विपक्ष ने सरकार पर साधा निशाना

"आम आदमी पार्टी सरकार ने यमुना की सफाई के लिए हर वित्त वर्ष में करोड़ों रुपये खर्च करने का प्रावधान किया है, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है।" उन्होंने यह भी याद दिलाया कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 2024 तक यमुना को साफ करने का वादा किया था, जो अब तक अधूरा है." -हरीश खुराना, बीजेपी नेता

"दिल्ली की जनता परेशान है, चाहे केंद्र में मोदी जी की सरकार हो या केजरीवाल जी की प्रॉक्सी सरकार।" उन्होंने करप्शन को इस समस्या का मुख्य कारण बताते हुए कहा कि बिना ट्रीटमेंट के कई नाले यमुना में गिर रहे हैं, और इस स्थिति के लिए जिम्मेदार कौन है, यह एक बड़ा सवाल है." देवेंद्र यादव, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष

यह भी पढ़ें- Delhi: प्रदूषण को लेकर दिल्ली में राजनीति गर्म, देवेंद्र यादव ने यमुना घाट का किया दौरा

Last Updated : Oct 21, 2024, 6:20 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.