नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वो दिल्ली की जिला अदालतों में सभी संबंधित पक्षों के लिए निर्बाध वाई-फाई की सुविधा की मांग करने वाली याचिका पर प्रतिवेदन की तरह विचार करें. कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वो इस याचिका पर आठ हफ्तों में विचार कर फैसला करें.
याचिका वकील अर्पित भार्गव ने दायर की थी. इस पर सुनवाई के दौरान जब कोर्ट ने पूछा कि क्या आपने दिल्ली सरकार के समक्ष अपनी बात रखी है तो याचिकाकर्ता ने ना में जवाब दिया. याचिकाकर्ता ने कहा कि इस मामले में सरकार को कोई प्रतिवेदन देने की जरूरत नहीं है. तब कोर्ट ने कहा कि आप दिल्ली सरकार के समक्ष अपनी बातें रखिए और तब कोर्ट आइए. कोई भी आपकी शिकायत के बारे में नहीं जानता है. इसके बाद कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वो याचिकाकर्ता की मांग को प्रतिवेदन की तरह विचार करें और आठ हफ्ते के अंदर फैसला करें.
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याचिका में मांग की गई थी कि दिल्ली की अदालतों में इंटरनेट कनेक्टिविटी के नियमित मेंटेनेंस और वाई-फाई एक्सेस बहाल करने के लिए दिल्ली सरकार को निर्देश जारी किए जाएं. याचिका में कहा गया था कि दिल्ली सरकार वकीलों और पक्षकारों की परेशानियों को लेकर आंख मूंदे हुए है. दिल्ली की अदालतों में आलम ये है कि अदालत परिसर से ई-मेल, वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई में भाग लेने या ई-फाईलिंग पोर्टल एक्सेस नहीं किया जा सकता है. इससे जजों, वकीलों, पक्षकारों और मीडियाकर्मियों को परेशानी झेलनी पड़ती है.
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