नई दिल्ली: दिल्ली के विवेक विहार स्थित बेबी केयर न्यू बोर्न सेंटर में 25 मई की देर रात लगी भीषण आग और उसमें सात मासूमों की मौत ने राजधानी को हिलाकर रख दिया था. इस घटना के बाद हुई कई स्तर की जांच में फायर सेफ्टी के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवा विभाग के नियमों की घोर अनदेखी करने का मामला भी सामने आया था. इसके बाद दिल्ली सरकार और उप-राज्यपाल की ओर से जोर दिया गया कि इस तरह के मामलों की पुनरावृति नहीं हो, इसके पुख्ता इंतजाम सभी अस्पतालों व नर्सिंग होम्स में किए जाने जरूरी हैं. बावजूद इसके दिल्ली सरकार का चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय आज भी फायर सेफ्टी नियमों की अनदेखी कर रहा है. दिल्ली फायर सर्विस विभाग ने अस्पताल को फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट जारी करने से इनकार कर दिया है.
बच्चों के लिए सबसे बड़ा अस्पताल: देखा जाए तो चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय में हर रोज बड़ी संख्या में दिल्ली ही नहीं, बल्कि आसपास के राज्यों से मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं. दिल्ली के अलावा पड़ोसी राज्य हरियाणा और उत्तर प्रदेश के अलग-अलग शहरों से खासकर बच्चों की बीमारियों के इलाज के लिए हजारों की संख्या में लोग पहुंचते हैं. दिल्ली सरकार का यह अस्पताल, बच्चों की बीमारियों के इलाज के लिए सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है. वहीं दिल्ली में केंद्र सरकार के अधीन कलावती सरन चिल्ड्रेन हॉस्पिटल सबसे बड़ा अस्पताल माना जाता है.
यहां हुआ फेल: हैरान करने वाली बात यह है कि विवेक विहार नर्सिंग होम की दिल दहला देने वाली घटना के बाद भी, गीता कालोनी स्थित चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय के अस्पताल प्रशासन ने कोई खास सबक नहीं लिया है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दिल्ली फायर सर्विस विभाग की टीम ने फायर सेफ्टी इंतजामों का निरीक्षण करने के दौरान तमाम खामियां पायी हैं. टीम ने निरीक्षण के दौरान पाया कि अस्पताल में फर्स्ट एड होज रील तो उपलब्ध है, लेकिन फंक्शनल नहीं है. इसी तरह से फायर डिटेक्शन एंड अलार्मिंग सिस्टम तो है, लेकिन काम नहीं करते. अगर अस्पताल में आग लगने जैसी कोई घटना हो जाती है, तो इससे अलर्ट करने या सूचना देने के लिए को सिस्टम ही नहीं है.
एक नहीं, कई खामियां: इतना ही नहीं अस्पताल में मैनुअल ऑपरेटिड इलेक्ट्रॉनिक फायर अलार्म सिस्टम (एमओईएफए) भी नहीं है. इंटरनल हाईड्रेंट्स और यार्ड हाईड्रेंट्स तो हैं, लेकिन चालू हालत में नहीं हैं. यहां तक की फायर पंप भी ऑटो मोड में नहीं मिले. अस्पताल की बिल्डिंग में एक रणनीतिक तरीके से लगाए जाने वाले एग्जिट और फ्लोर साइनेज नहीं हैं. लिफ्ट साइनेज भी उपलब्ध नहीं करवाए गए हैं. लिफ्ट प्रेशराइजेशन पंखे तो उपलब्ध हैं, लेकिन यह भी काम नहीं करते हैं.
आवेदन हुआ रिजेक्ट: इन सभी कमियों के सामने आने के बाद ही दिल्ली फायर सर्विस विभाग की ओर से चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय को फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट जारी करने से साफ इनकार कर दिया गया. फायर सर्विस विभाग ने अस्पताल के आवेदन को रिजेक्ट कर दिया है. साथ ही यह स्पष्ट किया गया है कि अस्पताल को इन कमियों के आधार पर फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट जारी नहीं किया जा सकता.
इन डॉक्टर्स की मौजूदगी में किया था निरीक्षण: दिल्ली फायर सर्विस निदेशक अतुल गर्ग की तरफ से निरीक्षण के दौरान मिली इन कमियों और एप्लीकेशन को रिजेक्ट करने संबंधी सूचना अस्पताल की प्रमुख डॉ. ममता जाजू को पत्र जारी कर अवगत करा दिया गया है. इसके अलावा स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट (नर्सिंग होम्स) को भी इस बाबत कॉपी भेजी गई है. दिल्ली फायर सर्विस विभाग के अधिकारियों ने इस अस्पताल का निरीक्षण 8 जून को किया था, जिसमें सीनियर डॉक्टर डॉ. अनिल अग्रवाल, डॉ. प्रवीण एव सतयुईक (जेई/पीडब्ल्यूडी) प्रमुख रूप से मौजूद रहे थे.
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मौजूदा कमियों पर जारी नहीं कर सकते एनओसी: अस्पताल में मौजूद फायर सेफ्टी इंतजामों की कमियों को गिनाते हुए कहा है कि इन सभी की वजह से फायर सेफ्टी एनओसी जारी नहीं की जा सकती. साथ ही इन सभी खामियों को अगर दूर नहीं किया जाता है और अस्पताल का संचालन किया जाता है तो यह उसके अपने रिस्क पर ही होगा. इस सबके लिए पूरी तरह से मैनेजमेंट ही जिम्मेदार होगा. ऑथोरिटी/वैधानिक प्राधिकरण इस दिशा में जो भी उचित समझे, वह इस पर उचित जरूरी कार्रवाई कर सकता है.
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