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कनाडा में जॉब का झांसा देकर ठगी करने वाली लेडी मास्टरमाइंड गिरफ्तार, 150 लोगों को बनाया शिकार - Fake Canada jobs gang busted

Fake Canada jobs gang busted: कनाडा में नौकरी दिलाने के नाम पर लोगों से ठगी करने वाले गैंग का पर्दाफाश हुआ है ये गैंग अब तक दिल्ली, पंजाब समेत नेपाल के लोगों को शिकार बना चुका है. पुलिस ने एक महिला को गिरफ्तार किया है.

कनाडा में जॉब
कनाडा में जॉब
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Apr 27, 2024, 1:59 PM IST

नई द‍िल्‍ली: कनाडा में जॉब दिलाने के नाम पर लोगों से ठगी करने वाले रैकेट का पर्दाफाश हुआ है. दिल्ली पुलिस ने इस मामले में एक महिला को गिरफ्तार किया है.

द‍िल्‍ली पुल‍िस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) को भारत के अलग-अलग शहरों और नेपाल के पीड़‍ितों की तरफ से कनाडा में जॉब द‍िलाने के नाम पर ठगी करने की 53 कंप्‍लेंट म‍िली थी. इन कंप्‍लेंट्स पर त्‍वर‍ित कार्रवाई करते हुए आर्थ‍िक अपराध शाखा ने रैकेट की मास्‍टरमाइंड एक मह‍िला को ग‍िरफ्तार कर ल‍िया है. ये रैकेट अब तक 150 से ज्‍यादा लोगों को अपना श‍िकार बना चुका है. पुलिस के मुताबिक इन लोगों ने नौकरी लगाने के नाम पर करीब 4 से 5 करोड़ रुपये लोगों से ठगे हैं.

नेपाल के लोगों से भी की थी ठगी

आर्थिक अपराध शाखा के डीसीपी विक्रम के. पोरवाल ने मामले की जानकारी देते हुए बताया क‍ि दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, तमिलनाडु समेत देश के अलग-अलग ह‍िस्‍सों से 23 पीड़ितों की ओर से कनाडा में जॉब द‍िलाने के नाम पर ठगी करने की ज्‍वाइंट कंप्‍लेट मिली थी. इसके बाद 29 नेपाल मूल के पीड़ितों की भी एक ज्‍वाइंट शि‍कायत मिली. इसमें एक महिला की तरफ से धोखाधड़ी क‍िए जाने के गंभीर आरोप लगाए गए थे. अब पुल‍िस ने उक्‍त अपराध कराने वाली मह‍िला और उसके सहयोग‍ियों को ग‍िरफ्तार करने में कामयाबी हास‍िल कर ली है. मह‍िला की पहचान दीपिका (बदला हुआ नाम) के रूप में की गई. उस पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जर‍िये कनाडा में नौकरी द‍िलाने के नाम पर लोगों को फंसाकर धोखाधड़ी करने के आरोप लगे हैं. इस धोखाधड़ी से करीब 4 से 5 करोड़ रुपए की ठगी करने का अनुमान लगाया गया है. धोखाधड़ी की श‍िकायतें म‍िलने के बाद मार्च, 2024 में ईओडब्ल्यू थाना, नई दिल्ली में आईपीसी की धारा 420/120 (बी) के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई थी.

डीसीपी पोरवाल ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए आरोप‍ियों को पकड़ने के ल‍िए टेक्‍नीकल सर्व‍िलांस से लेकर मुखब‍िरों को अलर्ट क‍िया गया. मुखब‍िरों से सूचना म‍िली क‍ि द‍िल्‍ली ऑफिस को बंद करने के बाद आरोपियों ने चंडीगढ़ में नया ऑफ‍िस, नए नाम से खोला है और वहां पर ठगी का गोरखधंधा शुरू क‍िया गया है. इसके बाद डीसीपी (EOW) ईओडब्ल्यू विक्रम के. पोरवाल की पूरी न‍िगरानी में एसीपी ईओडब्ल्यू घनश्याम की देखरेख में आरोप‍ियों को पकड़ने के ल‍िए टीम का गठन किया गया. इंस्पेक्टर योगराज के नेतृत्व में गठ‍ित टीम में सब इंस्पेक्टर मनोज कुमार, सब इंस्पेक्टर अरविंद कुमार, महिला कॉन्स्टेबल फोरंती और ललतेश शामिल की गईं. टीम ने इस रैकेट की मास्‍टरमाइंड आरोपी मह‍िला दीपिका को पंजाब के जीरकपुर स्थित उसके आवास से गिरफ्तार कर ल‍िया. परिसर में तलाशी लेने पर 02 लैपटॉप, 10 से ज्‍यादा मोबाइल फोन और 03 पासपोर्ट के साथ अन्य आपत्तिजनक दस्तावेज भी बरामद किए गए हैं.

ऐसे काम करता था ये रैकेट
फर्जी जॉब रैकेट चलाने वाली आरोपी मह‍िला और उसके साथी अपना कनाडा में कनेक्‍शन बताते थे और वहां नौकरी करने की इच्‍छा रखने वालों को फंसाने का काम क‍िया करते थे. झूठा वादा कर और आकर्षक जॉब का लालच देकर पीड़‍ितों को अपने जाल में फंसाते थे. रोजगार के बेहतर अवसर को देखकर पीड़‍ितों ने ब‍िना कुछ सोचे समझे आरोप‍ियों को बड़ी मात्रा में पेमेंट भी कर दी थी.

एक बार पेमेंट मिलने के बाद ये गैंग दूसरा ठ‍िकाना ढूंढ लेता था. आरोपी ठगी करने के बाद उस ऑफिस को बंद कर दूसरे शहर में क‍िसी और नाम से ऑफ‍िस खोल लेते थे. बठ‍िंडा, द‍िल्ली और फ‍िर चंडीगढ़ में इन्होंने ठगी के लिए ऑफिस खोले. बताया जाता है क‍ि चंडीगढ़ स्‍थ‍ित धोखाधड़ी करने वाले ऑफ‍िस में करीब 10 लोग काम कर रहे थे. इस दौरान संकेत म‍िले कि ये फर्जी जॉब रैकेट अब तक करीब 150 लोगों को अपना श‍िकार बना चुका है ज‍िनसे लगभग 4-5 करोड़ रुपए की ठगी की जा चुकी है. फिलहाल आरोपी महिला पुलिस कस्टडी रिमांड पर है.

जाल में फंसाने के लिए पहले लेते थे छोटा अमाउंट
पूछताछ में पता चला है कि आरोपी पीड़‍ितों से थोड़े-थोड़े रुपये लेकर उनको कनाडा में जॉब द‍िलाने का लालच देते थे. शुरुआत में 6,000 रुपये लेकर उनको आकर्षित वेबसाइट और सोशल मीड‍िया के फेसबुक, इंस्‍टाग्राम और अन्‍य प्‍लेटफार्म पर भ्रामक व‍िज्ञापन द‍िखाकर फंसाते थे. इसके बाद एक पीड़‍ित से करीब 5 लाख रुपये से ज्‍यादा बटोकर उस ऑफ‍िस पर ताला लगाकर फरार हो जाते थे. ड‍िज‍िटल प्‍लेटफार्म पर भुगतान कर फर्म का प्रचार क‍िया जाता था ज‍िससे कि लोग ज्‍यादा से ज्‍यादा उनके झांसे में आ सकें. रकम इक्‍ट्ठा होने के बाद ये अचानक कार्यालय बंद कर फरार हो जाते थे और दूसरे शहर में एक नया कार्यालय नई फर्म, नई वेबसाइट और कॉन्‍टेक्‍ट नंबर के साथ खोलते थे. ये ऑफ‍िस उस शहर के खास कमर्श‍ियल एर‍िया में खोले जाते थे.


द‍िल्‍ली, बठिंडा और चंडीगढ़ में खोले थे ठगी के अड्डे
पुल‍िस के मुताब‍िक दिल्ली में रोहिणी के क्राउन हाइट्स में ऑफ‍िस खोला हुआ था. इसी तरह से चंडीगढ़ में सेक्टर-17 में कार्यालय चलाते हुए म‍िले. बठिंडा के एक प्रसिद्ध होटल में भी इनका कार्यालय था. उनकी फर्म का नाम दिल्ली में लैडर ग्रुप्स, चंडीगढ़ में माइग्रेट मास्टर और वीज़ा विस्टा था. इस तरह से एक बार पिछला कार्यालय बंद हो जाने के बाद उनकी पुरानी फर्म के नाम से पता लगाना संभव नहीं होता था. पीड़ितों को लुभाने के लिए हर जगह ज्यादातर नए टेली-कॉलर्स अप्‍वाइंट क‍िए जाते थे. हालांक‍ि, आरोपी कंपनी की तरफ से अभी तक क‍िसी को भी जॉब के स‍िलस‍िले में विदेश नहीं भेजा गया. पुल‍िस ने ठगी गई रकम को भी जब्‍त कर ल‍िया है.

आरोपी दीपिका (बदला हुआ नाम) का जन्म हनुमानगढ़, राजस्थान में हुआ था और इमीग्रेशन सेवाओं में विशेषज्ञता हासि‍ल करने वाली कंपनियों में टेली-कॉलर के तौर पर काम कर चुकी हैं. आरोपी ने राजस्थान विश्वविद्यालय में ऑर्टस में ग्रेजुएशन की है. इसके बाद उसने सहयोग‍ियों के साथ म‍िलकर धोखाधड़ी का गोरखधंधा शुरू क‍िया.

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द‍िल्‍ली पुल‍िस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) को भारत के अलग-अलग शहरों और नेपाल के पीड़‍ितों की तरफ से कनाडा में जॉब द‍िलाने के नाम पर ठगी करने की 53 कंप्‍लेंट म‍िली थी. इन कंप्‍लेंट्स पर त्‍वर‍ित कार्रवाई करते हुए आर्थ‍िक अपराध शाखा ने रैकेट की मास्‍टरमाइंड एक मह‍िला को ग‍िरफ्तार कर ल‍िया है. ये रैकेट अब तक 150 से ज्‍यादा लोगों को अपना श‍िकार बना चुका है. पुलिस के मुताबिक इन लोगों ने नौकरी लगाने के नाम पर करीब 4 से 5 करोड़ रुपये लोगों से ठगे हैं.

नेपाल के लोगों से भी की थी ठगी

आर्थिक अपराध शाखा के डीसीपी विक्रम के. पोरवाल ने मामले की जानकारी देते हुए बताया क‍ि दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, तमिलनाडु समेत देश के अलग-अलग ह‍िस्‍सों से 23 पीड़ितों की ओर से कनाडा में जॉब द‍िलाने के नाम पर ठगी करने की ज्‍वाइंट कंप्‍लेट मिली थी. इसके बाद 29 नेपाल मूल के पीड़ितों की भी एक ज्‍वाइंट शि‍कायत मिली. इसमें एक महिला की तरफ से धोखाधड़ी क‍िए जाने के गंभीर आरोप लगाए गए थे. अब पुल‍िस ने उक्‍त अपराध कराने वाली मह‍िला और उसके सहयोग‍ियों को ग‍िरफ्तार करने में कामयाबी हास‍िल कर ली है. मह‍िला की पहचान दीपिका (बदला हुआ नाम) के रूप में की गई. उस पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जर‍िये कनाडा में नौकरी द‍िलाने के नाम पर लोगों को फंसाकर धोखाधड़ी करने के आरोप लगे हैं. इस धोखाधड़ी से करीब 4 से 5 करोड़ रुपए की ठगी करने का अनुमान लगाया गया है. धोखाधड़ी की श‍िकायतें म‍िलने के बाद मार्च, 2024 में ईओडब्ल्यू थाना, नई दिल्ली में आईपीसी की धारा 420/120 (बी) के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई थी.

डीसीपी पोरवाल ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए आरोप‍ियों को पकड़ने के ल‍िए टेक्‍नीकल सर्व‍िलांस से लेकर मुखब‍िरों को अलर्ट क‍िया गया. मुखब‍िरों से सूचना म‍िली क‍ि द‍िल्‍ली ऑफिस को बंद करने के बाद आरोपियों ने चंडीगढ़ में नया ऑफ‍िस, नए नाम से खोला है और वहां पर ठगी का गोरखधंधा शुरू क‍िया गया है. इसके बाद डीसीपी (EOW) ईओडब्ल्यू विक्रम के. पोरवाल की पूरी न‍िगरानी में एसीपी ईओडब्ल्यू घनश्याम की देखरेख में आरोप‍ियों को पकड़ने के ल‍िए टीम का गठन किया गया. इंस्पेक्टर योगराज के नेतृत्व में गठ‍ित टीम में सब इंस्पेक्टर मनोज कुमार, सब इंस्पेक्टर अरविंद कुमार, महिला कॉन्स्टेबल फोरंती और ललतेश शामिल की गईं. टीम ने इस रैकेट की मास्‍टरमाइंड आरोपी मह‍िला दीपिका को पंजाब के जीरकपुर स्थित उसके आवास से गिरफ्तार कर ल‍िया. परिसर में तलाशी लेने पर 02 लैपटॉप, 10 से ज्‍यादा मोबाइल फोन और 03 पासपोर्ट के साथ अन्य आपत्तिजनक दस्तावेज भी बरामद किए गए हैं.

ऐसे काम करता था ये रैकेट
फर्जी जॉब रैकेट चलाने वाली आरोपी मह‍िला और उसके साथी अपना कनाडा में कनेक्‍शन बताते थे और वहां नौकरी करने की इच्‍छा रखने वालों को फंसाने का काम क‍िया करते थे. झूठा वादा कर और आकर्षक जॉब का लालच देकर पीड़‍ितों को अपने जाल में फंसाते थे. रोजगार के बेहतर अवसर को देखकर पीड़‍ितों ने ब‍िना कुछ सोचे समझे आरोप‍ियों को बड़ी मात्रा में पेमेंट भी कर दी थी.

एक बार पेमेंट मिलने के बाद ये गैंग दूसरा ठ‍िकाना ढूंढ लेता था. आरोपी ठगी करने के बाद उस ऑफिस को बंद कर दूसरे शहर में क‍िसी और नाम से ऑफ‍िस खोल लेते थे. बठ‍िंडा, द‍िल्ली और फ‍िर चंडीगढ़ में इन्होंने ठगी के लिए ऑफिस खोले. बताया जाता है क‍ि चंडीगढ़ स्‍थ‍ित धोखाधड़ी करने वाले ऑफ‍िस में करीब 10 लोग काम कर रहे थे. इस दौरान संकेत म‍िले कि ये फर्जी जॉब रैकेट अब तक करीब 150 लोगों को अपना श‍िकार बना चुका है ज‍िनसे लगभग 4-5 करोड़ रुपए की ठगी की जा चुकी है. फिलहाल आरोपी महिला पुलिस कस्टडी रिमांड पर है.

जाल में फंसाने के लिए पहले लेते थे छोटा अमाउंट
पूछताछ में पता चला है कि आरोपी पीड़‍ितों से थोड़े-थोड़े रुपये लेकर उनको कनाडा में जॉब द‍िलाने का लालच देते थे. शुरुआत में 6,000 रुपये लेकर उनको आकर्षित वेबसाइट और सोशल मीड‍िया के फेसबुक, इंस्‍टाग्राम और अन्‍य प्‍लेटफार्म पर भ्रामक व‍िज्ञापन द‍िखाकर फंसाते थे. इसके बाद एक पीड़‍ित से करीब 5 लाख रुपये से ज्‍यादा बटोकर उस ऑफ‍िस पर ताला लगाकर फरार हो जाते थे. ड‍िज‍िटल प्‍लेटफार्म पर भुगतान कर फर्म का प्रचार क‍िया जाता था ज‍िससे कि लोग ज्‍यादा से ज्‍यादा उनके झांसे में आ सकें. रकम इक्‍ट्ठा होने के बाद ये अचानक कार्यालय बंद कर फरार हो जाते थे और दूसरे शहर में एक नया कार्यालय नई फर्म, नई वेबसाइट और कॉन्‍टेक्‍ट नंबर के साथ खोलते थे. ये ऑफ‍िस उस शहर के खास कमर्श‍ियल एर‍िया में खोले जाते थे.


द‍िल्‍ली, बठिंडा और चंडीगढ़ में खोले थे ठगी के अड्डे
पुल‍िस के मुताब‍िक दिल्ली में रोहिणी के क्राउन हाइट्स में ऑफ‍िस खोला हुआ था. इसी तरह से चंडीगढ़ में सेक्टर-17 में कार्यालय चलाते हुए म‍िले. बठिंडा के एक प्रसिद्ध होटल में भी इनका कार्यालय था. उनकी फर्म का नाम दिल्ली में लैडर ग्रुप्स, चंडीगढ़ में माइग्रेट मास्टर और वीज़ा विस्टा था. इस तरह से एक बार पिछला कार्यालय बंद हो जाने के बाद उनकी पुरानी फर्म के नाम से पता लगाना संभव नहीं होता था. पीड़ितों को लुभाने के लिए हर जगह ज्यादातर नए टेली-कॉलर्स अप्‍वाइंट क‍िए जाते थे. हालांक‍ि, आरोपी कंपनी की तरफ से अभी तक क‍िसी को भी जॉब के स‍िलस‍िले में विदेश नहीं भेजा गया. पुल‍िस ने ठगी गई रकम को भी जब्‍त कर ल‍िया है.

आरोपी दीपिका (बदला हुआ नाम) का जन्म हनुमानगढ़, राजस्थान में हुआ था और इमीग्रेशन सेवाओं में विशेषज्ञता हासि‍ल करने वाली कंपनियों में टेली-कॉलर के तौर पर काम कर चुकी हैं. आरोपी ने राजस्थान विश्वविद्यालय में ऑर्टस में ग्रेजुएशन की है. इसके बाद उसने सहयोग‍ियों के साथ म‍िलकर धोखाधड़ी का गोरखधंधा शुरू क‍िया.

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